आज फादर्स डे पर

लगा खुद की ही लाठी ने अपाहिज कर दिया उसे जब उसके ही बेटे ने खारिज कर दिया आज फादर्स डे है। हिन्दी में कहें तो पिता का दिन है। 365 दिन में से बस एक दिन। एक दिन उस पिता के लिये, जो 365 दिन के न जाने कितने साल अपने परिवार के लिये … Read more

सलाम मतदाता: जीत गया विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र

भारत में लोकतंत्र ने फिर एक बार प्रचंड जीत हासिल की। धर्मान्धता, व्यक्तिपूजा और निरंकुशता हार गई मगर अराजकता, अस्थिरता अथवा अनिश्चितता इसकी जगह ले नहीं पाई। लोकसभा चुनाव परिणामों में जहां एक तरफ, इन्डिया एलायन्स को 232 के लगभग इतनी सीटें मिल गईं ताकि वह सत्ता के निरंकुश हाथी पर अंकुश लगाये रह सके … Read more

नाम पे मजहब के जमघट है लोगों का, शहर में शायद दंगा होने वाला है

जस्ट चकल्लस बात की शुरूआत हम करना चाहते थे मजहब से मगर मजहब की बात शुरू करने से पहले ही जनाब परविन्दर शेख नाम के शायर साहब ने ऊपर लिखे शेर में यूं कह कर हमें रोक दिया कि शहर में शायद दंगा होने वाला है। शेर के बहाने, शेख साहब आखिर कहना क्या चाहते … Read more

मौसम बदल रहा है

जो भी गाली थी वो बच्चों की जुबां तक पहुंची आपके शहर में तालीम कहां तक पहुंची तालीम के बाबत सर सैयद अहमद खान ने कहा है कि इसके बगैर इन्सान की रूह उस चितकबरे संगमर्मर की तरह है जिसके भीतर के खूबसूरत बेलबूटे संगतराश के बगैर छिपे हुए ही रह जाते हैं। इन्सान की … Read more

तो ये था वो स्मार्ट सिटी!

बुलबुल को बागबां से न सय्याद से गिला किस्मत में कैद थी लिखी फस्ले बहार में भाग्यं फलन्ति सर्वत्र न विद्या न च पौरुषम। अगर तकदीर में न लिखा हो तो मुंह तक आया रोटी का निवाला भी कौआ छीन ले जाता है। कहते हैं परवरदिगार के दरबार में जिस दिन किस्मत बंट रही थी … Read more