कण कण में जा बैठा रावण … इतने राम कहाँ से लाएँ? 0 (0)

मधुकर कहिन विजय दशमी विशेष कल रात रावण सपने में आ गया। सपने में रावण बहुत दुखी एक झील के किनारे, अपने हाथ और दस मूंह बारी बारी धोता हुआ सामान्य भाव में बहुत उदास दिखाई दिया। मैंने अभिवादन करके उसकी उदासी का कारण पूछते हुए रावण से पूछा – क्यों दशानन कहां की तैयारी … Read more

क़म्बख्त तेरे प्यार में… 0 (0)

मेरी नयी किताब के बारे में मधुकर कहिन मैं कोई बहुत बड़ा शायर नहीं … न ही कोई ऐसी शख्सियत जो साहित्य लेखन विधाओं के बारे में बहुत ज्यादा जानता है l कुछ साल पहले जिंदगी में कुछ ऐसा घटा जिसकी वजह से मैंने लिखना शुरू किया l हालांकि कलम का और मेरा रिश्ता खानदानी … Read more

मैं भटकता ही फिरा हूँ 0 (0)

मधुकर कहिन मैं भटकता ही फिरा हूँ रहगुजर से रहगुजर आशियाँ को मेरे जाने लग गयी किसकी नजर जिÞन्दगी की राह में मिल गयी चंद ख्वाईशें चल पड़ा मैं साथ उनके ढूँढने अपनी डगर अय बुलंदी ये बता है तू भला किस काम की तेरी जद में आ गये और कट गए कितने शजर बेवजह … Read more

कंबल और तौलिया 0 (0)

मधुकर कहिन कंबल और तौलिये में झगड़ा हो गया । तौलिया कंबल से बोला – तुम क्या संदूक में पड़े पड़े 7 महीने सड़ते रहते हो ? जिसके बाद दो-तीन महीने के लिए तुम्हें निकाल कर बेडरूम में क्या रख दिया जाता है .. तुम ऐसे भगवान बने फिरते हो जैसे तुम्हारे सिवा किसी का … Read more

फायर ब्रिगेड का नंबर बिना पर्याप्त जन प्रचार के बदल दिया गया 0 (0)

मधुकर कहिन आम शहर वासियों को अब तक पता ही नहीं कि अब 101 नहीं 2429000 डायल करना है | आए दिन आग लगने की घटनाओं के बीच ये मखौल नहीं तो और क्या है ? अजमेर जिला प्रशासन को क्या नहीं करना चाहिए गंभीरता से नए नंबर का प्रचार ? कल बजरंग गढ़ चौराहे … Read more