– प्रेम आनन्दकर, अजमेर
स्वास्थ्य विभाग में फल-फूल रही है भ्रष्टाचार की अमरबेल
भाजपा नेताओं की अफसरों को खुली छूट, तुम भी खाओ-हमें भी खिलाओ
स्वास्थ्य का सौदा चल रहा है…मेजों के नीचे और फाइलों के पीछे से
जी हां, राजस्थान में भ्रष्टाचार की जड़ें काफी गहरी हैं। कोई भी विभाग इससे अछूता नहीं है। सत्तारूढ़ भाजपा नेताओं ने आंखें मूंद ली हैं। अफसरों को इस हिदायत के साथ खुली छूट दी हुई है कि तुम भी खाओ-हमें भी खिलाओ। तो भला, भ्रष्टाचार पर कैसे अंकुश लग सकता है? स्वास्थ्य विभाग इन दिनों जिस दौर से गुजर रहा है, वह न केवल चिंताजनक है, बल्कि शर्मनाक भी है। यह वह विभाग है, जहां जनता जीवन की आस लेकर आती है, लेकिन अब लगता है कि वहां स्वास्थ्य का सौदा चल रहा है…वो भी मेजों के नीचे और फाइलों के पीछे। इन सबमें भी भ्रष्टाचारियों को अब पदोन्नति का इनाम मिलने लगा है? सजा का सिस्टम अब सिफारिश में बदल गया है?
तीन चिकित्सा अधिकारियों के भ्रष्टाचार के कारनामों का जिक्र पिछले ब्लॉग में किया जा चुका है। अब आगे की कहानी। पूर्व निदेशक डॉ. बी.आर. मीणा को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन क्या हुआ? क्या उस गिरफ्तारी से किसी ने कोई सबक लिया? बिल्कुल नहीं, उल्टा अब तो ऐसा लगता है कि भ्रष्टाचार ही प्रमोशन का आधार और रास्ता बन गया है। स्वास्थ्य विभाग में केवल घोटालों की गूंज सुनाई देती है। ऐसा लगता है, यह विभाग अब इलाज नहीं करता, बल्कि अपने चहेतों का भला करता है। जब तक इस लापरवाह और सड़ांध मारती व्यवस्था में जवाबदेही तय नहीं होगी, जब तक इन भ्रष्ट अधिकारियों को बाहर नहीं किया जाएगा, तब तक कोई भी सुधार नहीं होने वाला है।
आज यह सवाल हर उस नागरिक को पूछना चाहिए, जो अस्पताल की कतार में घंटों खड़ा रहता है, जो इलाज के लिए रिश्वत की सूली चढ़ता है और जो उम्मीद करता है कि उसकी सरकार उसे जीवन देगी, जहर नहीं। क्या आपको नहीं लगता कि इन मामलों की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए? क्या आप नहीं चाहते कि उन भ्रष्टाचारियों को सजा मिले, जो जनता की सांसों पर सौदेबाजी करते हैं? कुछ महीनों पहले राजस्थान मेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार डॉ. राजेश शर्मा को फर्जी एमबीबीएस और एमडी की डिग्री बांटने और पंजीकरण करने के आरोप में निलंबित किया गया था। मगर हाय रे राजतंत्र, विभागीय कार्यवाही अभी तक नहीं हुई।
ताज्जुब तो इस बात का है कि पूर्व चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा द्वारा उपकृत अधिकारियों पर भाजपा सरकार भी दिल खोलकर मेहरबान है। भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ सरकार का यह कैसा जीरो टॉलरेंस है, समझ से परे है। किसी को समझ आए तो बताइए। और हां, अपने स्वस्थ जीवन के लिए केवल स्वास्थ्य विभाग के भरोसे नहीं रहें। देशी यानी घरेलू उपचार भी लेते रहें’ प्रदेश की जनता स्वस्थ रहे, ऐसी कामना करता हूं’ भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे स्वास्थ्य विभाग के आरजीएचएस घोटाले का जिक्र किसी अन्य ब्लॉग में विस्तार से किया जाएगा। (तथ्यों से जुड़े प्रमाण और जांच रिपोर्ट की कॉपी सुरक्षित है।)
जनपत्र डेस्क
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