राठौड़ बाबा की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर सवाल?

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यदि बाबा जी ने अपने सत्ताकाल में स्मार्टसिटी की लूटपाट को रोका होता अजमेर नहीं होता बर्बाद
देवनानी जी के नहीं अपनी पार्टी के दामन वाले धब्बे देखें

राठौड़ बाबा के मुँह में आखिर जुबान आ ही गई। उन्होंने अपनी ढ़ल चुकी सियासत को चमकाने के लिए अजमेर में एक संवाददाता सम्मेलन करके विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी के विरुध्द मोर्चा खोल दिया। उन्होंने इस तरह उन पर आरोप लगाए जैसे अजमेर की बबार्दी के लिए मात्र देवनानी जी ही जिम्मेदार हैं। अजमेर दक्षिण की विधायक अनीता भदेल को उन्होंने शायद सोची समझी सियासत के तहत बक्श दिया।

खैर! उन्होंने जो कहा वह स्क्रिप्टेड था क्यों कि अजमेर की जिस व्यथा कथा का उन्होंने पाठन किया उसके मूल में सिर्फ उनका अंदरुनी गुबार था। जब वह खुद सत्ता के उच्चासन पर विराजमान थे उन्होंने अजमेर के लिए क्या किया यह उन्होंने नहीं बताया। अच्छा होता यदि वह यह भी बताते कि जब उनकी सरकार सियासत में थी और वह अपनी लाल डायरी के पन्ने पलट रहे थे तब स्मार्ट सिटि योजना की बबार्दी पर उन्होंने लगाम क्यों नहीं लगाई?

जब उनके और उनकी पार्टी के चहेते अधिकारी शहर को बर्बाद करने पर तुले हुए थे उन्होंने क्या किया?जब करोड़ों की बन्दर बांट का खेल उनकी पार्टी के नेता कर रहे थे तब वह जुबान पर ताले क्यों लगाए हुए थे?

जब लेता देथा जैसे लोग! राजऋषि जैसे नेता! जिला प्रशासन के लालची अधिकारी ! अजमेर में सीमेंट के जंगल बो रहे थे और आप खादिम बंगले में मजे लूट रहे थे और जब अजमेर की मूलभूत सुविधाओं पर पलीता लगाया जा रहा था तब ये प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों नहीं की गई?

तब तो बाबा राठौड़ आप!! सरकारी गाड़ी में गनमैन लेकर ऐसे घूमा करते थे जैसे पूरे अजमेर जिले के भाग्य विधाता ही आप हैं। लोग ऐसा मानने भी लगे थे।

पुलिस एस्कोर्ट के साथ सायरन बजाते हुए राजमार्गों से आपका गुजरना! रुतबा गालिब करना यह शहर भूला नहीं है।

यदि बाबा जी आपने तब अपनी प्रभुता का लाभ इस शहर को पहुंचाया होता तो आज आपको देवनानी जी पर सवारी करने की जरूरत नहीं पड़ती।

स्मार्ट सिटी के नाम पर जिस तरह आनासागर को किश्तों में बर्बाद किया गया! वह आपकी सरकार के कार्यकाल में ही हुआ।

देवनानी जी जिनके संवैधानिक पद पर आप अपनी टिप्पणियों से हमला कर रहे हैं वह तो आज विधानसभा अध्यक्ष बने हैं। आपके प्रभुता काल में तो वह मात्र अदने से विधायक थे। तब आपने ही स्मार्ट सिटी योजना के अरबों रुपयों का इस शहर की मूलभूत आवश्यकताओं के लिए उपयोग करवा दिया होता।

आनासागर के सेवन वण्डर्स! फूड कोर्ट! वैट लेण्ड की बबार्दी! वेटलैंड में मिट्टी डाल कर की जा रही माफियायों की मनमानी यदि आप तब ही रोक देते तो आज जनता की गाढ़ी कमाई यूँ मिट्टी में नहीं मिलाई जाती!

हे आर टी डी सी के पूर्व नरेश! विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी को तो आपके कार्यकाल में स्मार्ट सिटि योजना की बैठकों में बुलाना भी उचित नहीं समझा जाता था। जरा पूछिए प्रेस कॉन्फ्रेंस में आपकी अगल बगल में शान से बैठे डॉ श्रीगोपाल बाहेती और राजकुमार जयपाल से कि जब शहर की बबार्दी की पटकथा लिखी जा रही थी उस बैठक में उन्होंने अपनी नैतिकता कहाँ गिरवी रख दी थी? उन्होंने क्यों उन कार्यों पर मुहर लगाई थी जिसके आरोप आप किसी संवैधानिक पद पर लगा रहे हैं?

यदि उन बैठकों में शहर के ड्रेनेज सिस्टम ! बाढ़ समस्या! पेय जल समस्या! एसकैप चैनल! सफाई व्यवस्था! सड़कों और बेहतर मूल भूत सुविधाओं पर योजना बना ली जाती तो अजमेर को ये दिन देखने को नहीं मिलते!

देवनानी जी के पास न तो कोई जादुई छड़ी है! न कुबेर का खजाना! न आप जैसी लाल डायरी ! उनकी संवेधानिक मयार्दाओं के बावजूद वह जितना कर रहे हैं यदि आपके सत्ताकाल में उसका आधा भी हो जाता शहर आपको इस तरह धोभीघाट पर नहीं खड़ा करता।

हां, यह बात सही है कि उनकी लाख कोशिशों के बावजूद निकृष्ट अधिकारी उनकी हिदायतों पर उस रफ़्तार से काम नहीं कर रहे जितना उनको करना चाहिए। हर समस्या के अपने विभाग हैं और हर विभाग के उच्चाधिकारियों की अपनी नीयत है। उनको हिदायत दी जा सकती हैं बाध्य तो नहीं किया जा सकता। निगरानी रखी जा सकती है नकेल नहीं कसी जा सकती।

और हाँ, आपने उनकी अध्यक्षीय जिम्मेदारियों पर जो विपरीत टिप्पणी की है वह भी आपको शोभा नहीं देती। यदि आप इतने ही बाहूबली नेता होते तो शायद आपको अजमेर उत्तर से टिकट मिल जाती !! तब ही आपकी हैसियत का भी मूल्यांकन हो जाता! यह भी पता चल जाता कि आपकी जड़ों में कितना खाद पानी था?मगर बाबा जी! आपको तो आपके आका टिकट तक ही नहीं दिला पाए! जीत हार तो बाद की बात।

और हाँ, अंत में आपको यह याद दिला दूँ कि जिस नेता की आप धूल उड़ाने पर आमादा हैं वह बीस साल से आपकी पार्टी को धूल चटाते आ रहे हैं।आज अजमेर में कांग्रेस किस दयनीय स्थिति में है यह आपसे भी छुपा नहीं। पहले तो आप अपनी पार्टी की पाचन शक्ति बढ़ाएं ताकि आपको पार्टी अपना सर्वमान्य नेता मान सके। तभी आपके द्वारा की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस का वजन बढेगा।

सुरेंद्र चतुर्वेदी

सुरेन्द्र चतुर्वेदी की साहित्य की कई विधाओं में पचास के करीब पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं | फिल्मी दुनिया से भी सुरेन्‍द्र चतुर्वेदी का गहरा जुड़ाव रहा है ,जिसके चलते उन्होंने लाहौर, तेरा क्या होगा जानी, कुछ लोग, अनवर, कहीं नहीं, नूरजहां और अन्य तमाम फिल्मों में गीत लिखे, पटकथा लिखीं. पंजाबी, हिंदी, उर्दू आदि कई भाषाओं पर अधिकार रखने वाले सुरेन्द्र चतुर्वेदी अपने ऊपर सूफी प्रभावों के कारण धीरे-धीरे सूफी सुरेन्द्र चतुर्वेदी के रूप में पहचाने जाने लगे. यों तो उन्होंने अनेक विधाएं आजमाईं पर ग़ज़ल में उनकी शख्सि‍यत परवान चढ़ी. आज वे किसी भी मुशायरे की कामयाबी की वजह माने जाते हैं.उनकी शायरी को नीरज, गुलज़ार, मुनव्वर राणा जैसे शायरों ने मुक्तकंठ से सराहा है. गुल़जार साहब ने तो जैसे उन्हें अपने हृदय में पनाह दी है. वे राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा विशिष्ट साहित्यकार सम्मान एवं अन्य कई सम्मानों से नवाजे गए हैं | कानपुर विश्वविद्यालय से मानद डाक्टरेट की उपाधि से विभूषित चतुर्वेदी इन दिनों अजमेर में रह रहे हैं |

चौथी कक्षा में जिंदगी की पहली कविता लिखी | कॉलेज़ तक आते-आते लेख और कविताएं तत्कालीन पत्र पत्रिकाओं में प्रमुखता से प्रकाशित होने लगीं. जैसे धर्मयुग, साप्ताहिक हिंदुस्तान, सरिता, दिनमान, सारिका, इंडिया टुडे आदि |

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