कोर्ट ने निकाली घमंडी अफसरशाही की अकड़

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– प्रेम आनन्दकर, अजमेर

– सुप्रीम कोर्ट ने एक माह में सेवन वंडर्स और पाथवे तोड़ने के दिए आदेश
– चार सौ से अधिक पेज में लिखे गए कुतर्की मंत्र कोई काम नहीं आए

भई कुछ भी कहो, देश की सबसे बड़ी अदालत ने अजमेर के अक्खड़, बदमिजाज और घमंडी अफसरों की सारी अकड़ निकाल दी। स्मार्ट सिटी योजना का पूरी तरह बंटाधार करने के कारण पत्रकार तो इन अफसरों के पीछे हाथ धोकर पड़े हुए हैं, लेकिन भाजपा और कांग्रेस के नेता मांद में घुसे हुए हैं। पूर्व भाजपा पार्षद अशोक मलिक की याचिका पर पहले राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण यानी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और फिर सुप्रीम कोर्ट ने आनासागर की छाती चीरकर बनाए गए सेवन वंडर्स और पाथवे को तोड़ने आदेश दिए। अब चूंकि यह निर्माण घमंड में चूर अफसरों ने अतिक्रमण कर मनमर्जी से कराए थे, इसलिए उन्हें इन निमार्णों को तोड़ने में पसीना आ रहा था। वे इसे अपनी तौहीन समझ रहे हैं।

यही कारण है कि यह अफसर अपने राजनीतिक आकाओं के पास भी गिड़गिड़ाने के लिए गए। जो आका इन अफसरों को अपनी गोद में बैठाकर पुचकार रहे थे और अपने उल्टे-सीधे काम करवाकर उनकी हर बात मान रहे थे, उन आकाओं ने अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आगे अपनी लाचारी जता दी है। लेकिन हां, ऐसी भी अपुष्ट जानकारी मिली है कि जो चार सौ पेज से अधिक का पत्र सात अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में पेश करने के लिए तैयार किया गया था, वह आकाओं ने ही तैयार कराया था। जितने भी कुतर्की मंत्र पत्र में लिखे गए थे, वह आकाओं ने लिखवाए थे। अब आप इस शहर के अफसरों की हालत देखिए। झूठ पर झूठ बोलते जा रहे हैं।

जो पत्र कोर्ट में पेश किया गया, उसके अनुसार आनासागर के वेटलैंड के बदले अन्य तालाबों के किनारे वेटलैंड बना दिए जाएंगे। अब कोई इन जरूरत से ज्यादा होशियार अफसरों से पूछे कि अन्य तालाबों पर बनाए जाने वाले वेटलैंड से मौजूदा हालत में करीब-करीब मर चुके आनासागर के वेटलैंड को कैसे जिंदा किया जा सकता है। यदि अवैध निर्माण नहीं हटाए जाते हैं, तो आनासागर का वेटलैंड पूरी तरह दम तोड़ देगा और इसके बाद अन्य तालाबों में वेटलैंड बनाने का कोई अर्थ नहीं होगा।

संभवत: कोर्ट अफसरों की इस चालाकी को भांप गया होगा, इसलिए कोर्ट ने पहले एक माह में सेवन वंडर्स सहित पाथवे तोड़ने का स्पष्ट आदेश सुना दिया। जो पत्र पेश किया गया, उस पर कोर्ट ने स्पष्ट प्रस्ताव बनाकर पेश करने के आदेश दिए। इस आदेश से प्रदेश की उस भाजपा सरकार की जमकर फजीहत हो रही है, जो पहले शुचिता और भ्रष्टाचार का छाती पीट-पीटकर रोना रोती थी, अब उसी के शासनकाल में मक्कार अफसर जमकर भ्रष्टाचार और मनमानी कर रहे हैं, लेकिन सरकार ऐसे अफसरों का बाल भी बांका नहीं कर पा रही है।

इस हालात से लगता है कि सत्तारूढ़ भाजपा के ही नेता इन धूर्त अफसरों को अपनी गोद में बोतल से दूध पिलाकर पाल रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तत्काल प्रभाव से मेरे वरिष्ठ साथी सुरेंद्र चतुवेर्दी जी ब्लॉग लिखकर सभी तथ्यों का खुलासा कर चुके हैं, इसलिए मैं इस ब्लॉग में तथ्यों का जिक्र नहीं कर रहा हूं। लेकिन हां, इस प्रकरण से भाजपा नेताओं और पूर्ववर्ती कांग्रेस शासनकाल में इन अफसरों के दम पर मौज करने वाले कांग्रेस नेताओं के चेहरों की हवाइयां उड़ रही हैं।

जनपत्र डेस्क

जनपत्र डेस्क विभिन्न सम्मानित पत्रकारो द्वारा लिखित समाचार, राय आदि का संकलन है |

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