शराब घोटाले में जमानत मिलने के बाद खुद ही कहा था कि अगर मैं बेईमान हूं, तो मुझे वोट मत देना भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन से राजनीति में आए थे, खुद ही भ्रष्टाचार में डूबे
अगर मैं बेईमान हूं तो मुझे वोट मत देना। यह बात खुद को कट्टर ईमानदार खाने वाले अरविंद केजरीवाल ने शराब घोटाला में जमानत मिलने के बाद सीएम के पद से इस्तीफा देते हुए कही थी। उन्होंने कहा था कि जब तक इस मामले में जनता अपना निर्णय सुना दे, मैं सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठूंगा। भाजपा उनके कट्टर ईमानदार के जवाब में उन्हें कट्टर बेईमान कहती रही है। और आज जनता ने भी केजरीवाल को कट्टर बेईमान मानते हुए उन्हें निर्ममता से हराते हुए दिल्ली की सत्ता से 11 साल बाद बेदखल कर दिया।
हमारे देश में धारणा है कि व्यक्ति अपने बारे में खुद क्या सोचता है, यह महत्वपूर्ण नहीं है। बल्कि उसके बारे में लोग क्या सोचते हैं, यह महत्व रखता है। दिल्ली के मतदाता अरविंद केजरीवाल और उनके सहयोगियों के बारे में क्या सोचते हैं,ये उन्होंने बता दिया। उनकी नजर में केजरीवाल कट्टर ईमानदार नहीं कट्टर बेईमान थे और उन्होंने दिल्ली का ताज भ्रष्टाचारी के सिर से उतार दिया। भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन से दिल्ली में ही आम आदमी पार्टी का उदय हुआ था और उसी भ्रष्टाचार के दलदल में डूबने से आज वहां उसका पतन हो गया।
अरविंद केजरीवाल की हार ने यह भी साबित कर दिया है की राजनीति में नौटंकी और दोगलापन बहुत समय तक नहीं चलता
। इसके लिए विचारधारा और मुद्दों पर टिके रहना, अपने चुनावी वादों को पूरा करना,विकास से सरोकार रखना भी जरूरी है। दूसरों को चोर और खुद साहूकार कहकर चोरी करते रहना देरसवेर लोगों की नजर में आ ही जाता है। हमेशा आरोपों की बंदूक दागते रहना और सबूत मांगने पर भाग जाने की केजरीवाल की आदत को दिल्ली की जनता आखिर समझ ही गई।
अन्ना हजारे आंदोलन पर सवारी करके 2013 में राजनीति में आने के बाद उन्होंने आप और खुद के लिए राजनीति में नैतिकता के उच्च पायदान तय किए थे। लेकिन सत्ता में आने के साथ ही इन पायदानों से तेजी से नीचे गिरते गए। ऐसे में मतदाता को लगने लगा कि जब आम आदमी पार्टी भी दूसरी पार्टियों जैसी है, तो फिर केजरीवाल और दूसरे नेताओं में क्या अंतर है। ऐसे में वैकल्पिक और एक नई राजनीति की शुरूआत समझ उनसे जुड़ा मतदाताओं का बड़ा वर्ग इन चुनावों में केजरीवाल से छिटक गया और वह चारों खाने चित्त हो गए। पहली बार सत्ता में आने के बाद उन्होंने सरकारी वाहन मकान और अन्य सुविधा लेने से इनकार किया था और कहा कि इसकी क्या जरूरत है।
लेकिन बाद में उन्होंने वह सब किया जो दूसरी पार्टियों के नेता करते हैं। इन चुनावों में उनका शीशमहल भी खूब चर्चा में रहा। जिसे भाजपा ने बड़ा मुद्दा बना दिया। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री आवास को संवारने में उन्होंने 55 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किया। हालांकि आम आदमी पार्टी बार-बार कहती रही की दूसरी पार्टी के नेता भी सरकारी सुविधाओं का लाभ लेते हैं,तो फिर वो ले सकते। बात सही भी है। लेकिन सवाल ये है कि बाकी पार्टियों के नेता इस बात की कभी डींगें नहीं हांकते।
जेल से ही सरकार चलाते रहे
किसी भी नेता पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते ही उससे इस्तीफा मांगने वाले केजरीवाल इतने बेशरम निकले कि शराब घोटाले में जेल में जाने के बाद भी उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया और जेल से ही सरकार चलाते रहे। जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने इस्तीफा इसलिए दिया था कि अपनी छवि को फिर पाक-साफ बना सकें। लेकिन मतदाता भी इतना नादान और भोला नहीं है कि उसे बार-बार गुमराह किया जा सके। केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन, संजय सिंह जैसे आप के फ्रंटलाइन नेताओं के जेल जाने के बाद पार्टी की छवि पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी थी। ऐसे में उससे जुड़ा मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग, जिसमें मिडिल क्लास भी शामिल थे, उससे दूर होते गए. आप की पिछले कार्यकाल में उस पर एक के बाद एक घोटाले के आरोप लगते रहे। लेकिन केजरीवाल हमेशा खुद को कट्टर ईमानदारी ही बताते रहे।
केजरीवाल लगातार दो बार जीते, तो इसका मुख्य कारण उनके द्वारा शुरू की गई मुफ्त की योजनाएं थी। फ्री बिजली, फ्री पानी, फ्री बस यात्रा सहित उन्होंने जो योजनाएं शुरू की, उसके कारण उनका एक ऐसा वोट बैंक तैयार हो गया। जिसे भाजपा भेद नहीं पा रही थी। लेकिन इस बार भाजपा ने भी उनके इसी पिच पर आकर बैटिंग की। पहले तो खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आप सरकार की फ्री बिजली और फ्री पानी की योजनाएं जारी रखने की गारंटी दी और उसके बाद महिलाओं को नगदी और अन्य रेवडियां बांटने में केजरीवाल को भी पीछे छोड़ दिया। ऐसे में मतदाताओं को यकीन हो गया कि जो मुफ्त की सुविधा उन्हें मिली है, वह मिलती रहेगी और दिल्ली में आप की तथा केंद्र में भाजपा की सरकार होने के कारण हमेशा टकराव की स्थिति होने से अटका विकास भी भाजपा की डबल इंजन सरकार बनने के बाद गति पकड़ सकेगा।