आनासागर के संरक्षण पर हल्ला मचाने वाले भी सोते रहे
आनासागर के किनारे संरक्षित और विकसित नहीं हो रही वेटलैंड
दुनिया की 31 वेटलैंड सिटी में राजस्थान का उदयपुर भी शामिल
अजमेर के आनासागर को संरक्षित करने के लिए पर्यावरण से जुड़ी अनेक संस्थाओं के प्रतिनिधि आए दिन हो हल्ला करते रहते हैं, लेकिन ऐसी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने 2 फरवरी को विश्व आर्द्रभूमि दिवस (वेटलैंड डे) पर अजमेर में जागरूकता का कोई कार्यक्रम नहीं हुआ। वेटलैंड डे का महत्व अजमेर के लिए इसलिए है, क्योंकि यहां शहर के बीचों बीच आनासागर झील है। इस झील के किनारे वेटलैंड यानी आर्द्रभूमि संरक्षित करने की मांग लगातार हो रही है। लेकिन इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि झील की वेटलैंड पर लगातार अतिक्रमण हो रहे है। भूमाफियाओं ने झील की आर्द्र भूमि पर पक्के निर्माण कर लिए है।
प्रशासन ने हाईकोर्ट में भी कहा है कि झील के किनारे वेटलैंड संरक्षित और विकसित किया जाएगा, लेकिन इसी प्रशासन ने झील के किनारे पक्का पाथवे का निर्माण तो कराया ही साथ ही सेवन वंडर के नाम पर सीमेंट कंकरीट और लोहे की इमारत खड़ी कर दी। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने आनासागर के वेटलैंड का ख्याल करते हुए सेवन वंडर सहित सभी पक्के निर्माणों को तोड़ने के आदेश दे रखे हैं, लेकिन एक साल गुजर जाने के बाद भी एनजीटी के आदेश पर अमल नहीं हो रहा है। पर्यावरण से जुड़ी संस्थाओं की यह जिम्मेदारी थी कि दो फरवरी को वेटलैंड डे पर जागरूकता के कार्यक्रम करती। लेकिन ऐसी संस्थाओं के प्रतिनिधि दो फरवरी को सोते रहे।
इससे जाहिर होता है कि आनासागर के सरंक्षण का विरोध सिर्फ अखबारों तक ही सीमित है। यंू तो अखबार वाले भी आनासागर झील को लेकर बड़ी बड़े खबरें प्रकाशित करते हैं, लेकिन 2 फरवरी को वेटलैंड डे पर अखबार वालों ने भी जागरूकता का कोई अभियान नहीं चलाया। यदि झील के किनारे वेटलैंड को संरक्षित और विकसित किया जाए तो अजमेर शहर के प्राकृतिक सौंदर्य में और निखार आ सकता है। सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि झील के पानी को दूषित होने से बचाया जा सकता है। आनासागर को बचाने के लिए वेटलैंड को संरक्षित और विकसित करना जरूरी है।
पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि मानव स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए आर्द्रभूमि होना जरूरी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी लगातार आर्द्रभूमि के संरक्षण और संवर्धन पर जोर दे रहे हैं। पीएम मोदी की पहल पर ही राजस्थान की उदयपुर और एमपी की इंदौर सिटी को वेटलैंड सिटी घोषित करवाया गया है। पूरे देश में उदयपुर और इंदौर ही वेटलैंड सिटी है। दुनिया में अब 31 वेटलैंड सिटी हो गई है। जिन शहरों में झील है उनके आसपास ही आर्द्र भूमि तैयार की जाती है। इसके अंतर्गत इस भूमि पर बड़ी संख्या में पेड़ लगाए जाते हैं। किसी भी भूमि की जान पेड़ होते हैं। पेड़ों की वजह से भूमि में नमी बनी रहती है, जिसका फायदा पर्यावरण को मिलता है।