बड़ी तादाद में रोहिंग्या पकड़े जा सकते हैं बशर्ते पुलिस होम वर्क के बाद मारे छापे?

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कुछ मेरी जानकारियों पर हो कार्यवाही

अजमेर पुलिस को शानदार सैल्युट! बांग्लादेशियों की धर पकड़ में मुस्तैदी बरतने के लिए आए रोज छापे मारे जा रहे हैं। हर रोज अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या पुलिस की पकड़ में आ रहे हैं। इसके लिए मैं अजमेर रेंज आई जी ओम प्रकाश जी और पुलिस कप्तान वंदिता राणा जी को बधाई देता हूं। साथ ही बधाई देता हूं विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी जी को! जिन्होंने पिछले लम्बे समय से इन विदेशी ताकतों को अजमेर से निकाले जाने के लिए अभियान छेड़ रखा है।

पिछले दिनों जिस तेजी के साथ अजमेर पुलिस ने कामयाबी हाँसिल की वह एक तरफ है। दूसरी तरफ अभी बड़ी तादाद में रोहिंग्या अजमेर में बसे हुए हैं, जिनकी पहचान की जानी बहुत जरूरी है।

लम्बे अर्से से मैं अजमेर के बांग्ला देशियों के लिए अपने ब्लॉग लिखता रहा हूँ। आपको याद होगा कि जब अजमेर में कुंवर राष्ट्रदीप सिंह पुलिस कप्तान हुआ करते थे और उन्होंने एक विशेष अभियान छेड कर इन बांग्लादेशियों की पकड़ धकड शुरू की थी तब उनको मैंने बांग्ला देशियों के कई ठिकाने बताए थे और उनको बडी कामयाबी मिली थी।

यहां मैं फिर अजमेर पुलिस कप्तान वंदिता राणा और इस अभियान में अतिरिक्त जागरूकता से काम कर रहे एडिशनल एस.पी. हिमांशु जांगिड़ को एक सूत्र दे रहा हूं। सूत्र के अनुसार अगर कार्रवाई की जाती है तो निश्चित रूप से लगभग सैकड़ो विदेशी बांग्लादेशी पहचान में ही नहीं आ सकते बल्कि पकड़े भी जा सकते हैं।

मेरा सूत्र और मेरी जानकारी शत प्रतिशत पुख़्ता है।

यदि मैडम राणा एक दल गठित कर अजमेर और ब्यावर के आस पास जितने भी पोल्ट्री फार्म्स बने हुए हैं उनकी जानकारी एकत्रित करें तो बहुत बड़ी संख्या में रोहिंग्या पकड़े जा सकते हैं। शत प्रतिशत पोल्ट्री फार्म्स में विदेशी बांग्लादेशी ही काम कर रहे हैं।

पोल्ट्री फार्म्स की लिस्ट डॉ. राजकुमार जयपाल पूर्व विधायक या पोल्ट्री नेता किबरिया से ली जा सकती है।

लगभग 100 के करीब बांग्लादेशी जो पहचान बदल कर काम कर रहे हैं, बांग्लादेशी ही हैं। मेरे सूत्रों ने दरियाफ्त के बाद दावा किया है यदि पुलिस दल रेखांकित करने के बाद इन फार्म हाउस को चेक करते हैं तो पता चल जाएगा कि झूठे दस्तावेजों के माध्यम से इन लोगों ने अपने को अजमेर निवासी बना रखा है।

ऐसा नहीं कि सिर्फ अजमेर जिले में ही यह लोग पोल्ट्री फार्म्स में काम कर रहे हैं बल्कि भीलवाड़ा ! केकड़ी के आस पास भी फैले हुए हैं।

अगर क्षेत्रीय थानाधिकारी भी तत्परता से इस काम में लग जाएं तो ये अभियान असली मुकाम तक पहुँच सकता है। अजमेर शहर में मुख्यत: दरगाह क्षेत्र और वैशाली नगर क्षेत्र में तो घरों, होटलों में काम करने वाले पुरुष और महिलाएं शर्तिया रूप से बांग्लादेशी ही मिलेंगे। मेरी अजमेर की जागरूक पुलिस कों मुफ्त की सलाह है कि पुलिस को मजदूरी करने वाले इन बांग्लादेशीयों के आवासीय ठिकानों पर निरंतर निगरानी रखनी चाहिए।

भीलवाड़ा और देवली के आसपास के तालाबों में मछली पकड़ने का काम भी यह बांग्लादेशी ही कर रहे हैं । जहां-जहां तालाबों में मछलियों की खेती होती है । तालाब मछली आखेट के लिए दिये गए हैं वहां बांग्लादेशी प्रचुर मात्रा में पाए जा सकते हैं। उनकी पकड़ की जाए तो एक बहुत बड़ी कामयाबी मिल सकती है।

एक और बात! अजमेर शहर में जो इलेक्ट्रिक रिक्शा चलाने वाले लोग हैं उनकी भी अगर जांच की जाए तो यह सत्य सामने आ सकता है कि 40% चालक बांग्लादेशी हैं। वर्ग विशेष के लोगों ने बड़ी संख्या में ई रिक्शा खरीद के किराए पर बांग्ला देशियों को दे रखे हैं।

यह मैं पहले भी अपने ब्लॉग्स में बता चुका हूँ कि टेंट हाउस में काम करने वाले या बिजली व साउंड का कारोबार करने वाले लोगों के यहां अस्सी फीसदी लोग बांग्लादेश के ही हैं। इनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं।

देखना अब ये होगा कि अमेरिका से जिस तरह गैर कानूनी रूप से रह रहे विदेशियों को अपने-अपने देशों में खदेड़ा जा रहा है, वैसे ही क्या अजमेर से बांग्लादेशियों को अपने अपने देशों में भेजा जा सकेगा?

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