दिवंगत शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के परम शिष्य स्वामी प्रज्ञानानंद महाराज जानते हैं कि अविमुक्तेश्वरानंद की हकीकत
कथित शंकराचार्य से ही मिलते अखिलेश यादव
भारत की सनातन संस्कृति में धार्मिक पीठों और उनके प्रतिनिधियों का बहुत महत्व है। पीठ पर विराजमान शंकराचार्य को भगवान के रूप में माना जाता है। माना जाता है कि ऐसे प्रतिनिधि सनातन धर्म का संरक्षण करेंगे। लेकिन इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि ज्योतिर्पीठ के कथित शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सनातन धर्म को नुकसान पहुंचाने वाला काम ही कर रहे है।
सब जानते हैं कि उत्तर प्रदेश की सरकार ने देशभर के साधु-संतों और धार्मिक संस्थाओं की सलाह पर ही प्रयागराज में महाकुंभ के इंतजाम किए। साधु संतों और के अखाड़ो के लिए हजारों अस्थायी शिविर बनाकर बिजली पानी की निशुल्क सुविधा भी उपलब्ध कराई गई। ताकि इन शिविरों में आने वाले श्रद्धालुओं को भी कोई परेशानी न हो। अधिकांश साधु संत मानते हैं कि योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली यूपी सरकार ने महाकुंभ की तैयारियों में कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन यह दुर्भाग्य रहा कि भगदड़ मच गई। 28 जनवरी की रात को महाकुंभ में भगदड़ मच गई जिसकी वजह से 30 श्रद्धालुओं को जान गंवानी पड़ी। इस हादसे के बाद भी सरकार ने मौनी अमावस्या पर स्नान की परंपरा के अनुरूप अखाड़ों का स्नान करवाया। इतना सब कुछ किए जाने के बाद भी ज्योतिर्पीठ के कथित शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद आदेश दे रहे हैं कि योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
अविमुक्तेश्वरानंद जिस अंदाज में बयान दे रहे है उससे प्रतीत होता है कि वह एक धमार्चार्य नहीं ब्लाक किन्हीं राजनीतिक पार्टी के प्रवक्ता है। यदि अविमुक्तेश्वरानंद सनातन धर्म के सही मायने में संरक्षण होते तो मुख्यमंत्री से इस्तीफा नहीं मांगते। राजनीतिक दल के प्रति आकर्षण ही है कि अविमुक्तेश्वरानंद से महाकुंभ में समाजवादी पार्टी एक के प्रमुख अखिलेश यादव ने मुलाकात कर रहे है। सोशल मीडिया पर इस मुलाकात के फोटो और वीडियो प्रसारित हो रहे है कि अविमुक्तेश्वरानंद के बयानों से समाजवादी पार्टी बेहद खुश हैं। यह वही पार्टी है, जिसने अपने शासन में राम भक्तों पर गोलियां चलवायी।
योगी आदित्यनाथ ने तो हो मुख्यमंत्री रहते है हुए अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में आने वाली बाधाओं को हटाया। जबकि अखिलेश यादव और उनके पिता मुलायम सिंह यादव (अब दिवंगत) ने मुख्यमंत्री रहते हुए मंदिर निर्माण में बाधाएं खड़ी करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अब जब अविमुक्तेश्वरानंद, अखिलेश यादव के साथ खड़े है, तब सनातन के प्रति उनकी निष्ठा का अंदाजा लगाया जा सकता है।
शंकराचार्य का पद हथियाया
ज्योति और द्वारिकापीठ के दिवंगत शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के परम शिष्य स्वामी प्रज्ञानानंद सरस्वती ने खुला आरोप लगाया है कि अविमुक्तेश्वरानंद ने शंकराचार्य का पद हथिया है। उन्होंने कहा कि गुरुजी ने अपने जीवनकाल में किसी भी शिष्य को उत्तराधिकारी घोषित नहीं किया। चूंकि वह स्वयं भी गुरु और शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद के सबसे निकट शिष्य रहे इसलिए गुरुजी ने कई बार कहा भी कि अविमुक्तेश्वरानंद से सावधान रहने की जरूरत है। स्वामी प्रज्ञानानंद ने बताया कि गुरुजी की समाधि से पहले ही अविमुक्तेश्वरानंद ने स्वयं का पट्टाभिषेक करवा लिया, जबकि सनातन धर्म में ऐसा कभी नहीं होता। चूंकि फर्जी वसीयत के आधार पर अविमुक्तेश्वरानंद ने शंकराचार्य का पद हथियाया है इसलिए अदालत ने भी बैंक खातों को सीज कर रखा है।
स्वामी प्रज्ञानानंद ने अविमुक्तेश्वरानंद पर वित्तीय अनियमितता करने के गंभीर आरोप लगाए। स्वामी प्रज्ञानानंद के श्री शंकराचार्य आध्यात्म विद्या सेवा संस्थानम का शिविर भी महाकुंभ में लगा हुआ है। शंकराचार्य पद पर विराजित और स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य प्रज्ञानानंद महाराज का कहना है कि इस बार महाकुंभ में सरकार ने जो व्यवसिाएं की है, वे पहले कभी नहीं देखी गई। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तो स्वयं सनातन धर्म के प्रतिनिधि है। यही वजह है कि उन्होंने महाकुंभ में साधु संतों के साथ साथ श्रद्धालुओं का भी ख्याल रखा है।
उन्होंने माना कि 28 जनवरी की घटना दुखद है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि महाकुंभ की व्यवस्थाओं को ही नकार दिया जाए। संभव यह पहला अवसर है कि जब महाकुंभ में करोड़ों श्रद्धालु एकत्रित हो रहे है। ऐसा इसलिए कि अब सनातन को मानने वाले भी जानते है कि देश और प्रदेश की सत्ता में सनातन के प्रतिनिधि बैठे है। उन्होंने कहा कि वे अविमुक्तेश्वरानंद की हकीकत जानते है। ऐसा व्यक्ति सनातन धर्म का प्रतिनिधि हो ही नहीं सकता। स्वामी प्रज्ञानानंद के बयान का अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने भी समर्थन किया है। अविमुक्तेश्वरानंद की हकीकत के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9314230849 व 6375144287 पर स्वामी प्रज्ञानानंद जी से ली जा सकती है।