बजट 2025 में कैंसर, दुर्लभ और गंभीर बीमारियों की 36 दवाओं को कस्टम ड्यूटी से मुक्त किया गया है। इससे मरीजों को लाखों रुपये की बचत होगी और इलाज सुलभ होगा।
लोकसभा में बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा: कैंसर, दुर्लभ बीमारियों और अन्य गंभीर पुरानी बीमारियों से पीड़ित मरीजों को राहत देने के लिए, मैं 36 जीवनरक्षक दवाओं और औषधियों को पूरी तरह बेसिक कस्टम ड्यूटी से मुक्त करने का प्रस्ताव करती हूं।
किन बीमारियों के लिए दवाएं सस्ती होंगी?
सरकार ने कैंसर, दुर्लभ जेनेटिक डिसऑर्डर और गंभीर पुरानी बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली 36 महत्वपूर्ण दवाओं को कस्टम ड्यूटी से छूट दी है। इन दवाओं में Onasemnogene abeparvovec, Daratumumab, Atezolizumab, Risdiplam और Velaglucerase Alpha जैसी हाई-डिमांड मेडिसिन शामिल हैं।
इन जीवनरक्षक दवाओं में भी 5 प्रतिशत कस्टम ड्यूटी कम
छह और जीवनरक्षक दवाओं को 5% कस्टम ड्यूटी रियायत के तहत लाया गया है। इन दवाओं के निर्माण में उपयोग होने वाले बुल्क ड्रग्स को भी कस्टम ड्यूटी छूट दी गई है जिससे फार्मा कंपनियों के उत्पादन खर्च में कमी आएगी। मरीज सहायता कार्यक्रमों के तहत 37 नई दवाओं और 13 नई स्कीम्स को भी कस्टम ड्यूटी छूट सूची में जोड़ा गया है।
इस कदम से मरीजों को क्या फायदा होगा?
कैंसर और रेयर डिजीज के इलाज में लगने वाले लाखों रुपये की बचत होगी। इसके अलावा मरीजों को इंपोर्ट की गई दवाएं सस्ती मिलेंगी जिससे इलाज सुलभ और किफायती बनेगा। भारत में फार्मास्युटिकल कंपनियों के उत्पादन खर्च में कमी आएगी, जिससे अन्य दवाओं की कीमतों पर भी असर पड़ सकता है।
कस्टम ड्यूटी से पूरी तरह मुक्त 36 जीवनरक्षक दवाओं की सूची
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ओनासेम्नोजेन एबेपार्वोवेक (Onasemnogene abeparvovec): स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी (SMA) नामक दुर्लभ आनुवंशिक बीमारी के इलाज में इस्तेमाल होती है, जो बच्चों में मांसपेशियों की कमजोरी और मृत्यु का कारण बनती है।
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एस्सिमिनिब (Asciminib): क्रोनिक मायलोजेनस ल्यूकेमिया (CML) के इलाज में इस्तेमाल होती है, खासकर उन मरीजों में जिनमें पहले के इलाज कारगर नहीं रहे हों।
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मेपोलिजुमाब (Mepolizumab): इओसिनोफिलिक अस्थमा, क्रोनिक राइनाइटिस विथ नेसल पोलिप्स, और हाइपरियोसिनोफिलिक सिंड्रोम जैसी बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होती है, जिनमें इओसिनोफिल्स नामक श्वेत रक्त कोशिकाओं की संख्या बढ़ जाती है।
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पेगीलेटेड लाइपोसोमल इरिनोटेकन (Pegylated Liposomal Irinotecan): मेटास्टेटिक अग्नाशय के कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होती है, खासकर जब जेमिसिटैबिन (Gemcitabine) से इलाज विफल हो गया हो।
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डाराटुमुमाब (Daratumumab): मल्टीपल मायलोमा के इलाज में इस्तेमाल होती है, एक प्रकार का कैंसर जो प्लाज्मा कोशिकाओं को प्रभावित करता है।
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डाराटुमुमाब (सबक्यूटेनियस) (Daratumumab (subcutaneous)): यह भी मल्टीपल मायलोमा के इलाज में इस्तेमाल होती है, लेकिन इसे इंजेक्शन के द्वारा त्वचा के नीचे दिया जाता है।
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टेक्लिस्टैमाब (Teclistamab): मल्टीपल मायलोमा के इलाज में इस्तेमाल होती है, खासकर उन मरीजों में जिनका पहले कई बार इलाज हो चुका हो।
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एमिवेंटामैब (Amivantamab): नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (NSCLC) के इलाज में इस्तेमाल होती है, खासकर उन मरीजों में जिनके ट्यूमर में एपिडर्मल ग्रोथ फैक्टर रिसेप्टर (EGFR) म्यूटेशन हो।
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एलेक्टिनिब (Alectinib): नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (NSCLC) के इलाज में इस्तेमाल होती है, खासकर उन मरीजों में जिनके ट्यूमर में ALK पॉजिटिव म्यूटेशन हो।
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रिसडिप्लाम (Risdiplam): स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी (SMA) के इलाज में इस्तेमाल होती है।
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ओबिनुटुजुमाब (Obinutuzumab): क्रोनिक लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया (CLL) और कुछ प्रकार के नॉन-हॉजकिन लिंफोमा के इलाज में इस्तेमाल होती है।
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पोलैटुजुमाब वेडोटिन (Polatuzumab vedotin): डिफ्यूज लार्ज बी-सेल लिंफोमा (DLBCL) के इलाज में इस्तेमाल होती है, खासकर जब यह रिलैप्स हो गया हो या रिफ्रैक्टरी हो।
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एंट्रेक्टिनिब (Entrectinib): ROS1 पॉजिटिव नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (NSCLC) और NTRK फ्यूजन-पॉजिटिव सॉलिड ट्यूमर के इलाज में इस्तेमाल होती है।
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एटेज़ोलिज़ुमाब (Atezolizumab): नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (NSCLC), ट्रिपल-नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर, यूरोटेलियल कार्सिनोमा और हेपैटोसेलुलर कार्सिनोमा के इलाज में इस्तेमाल होती है।
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स्पेसोलिमाब (Spesolimab): जनरलाइज्ड पस्टुलर सोरायसिस (GPP) के इलाज में इस्तेमाल होती है।
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वेलाग्लुसिरेज़ अल्फा (Velaglucerase Alfa): गौचर रोग (Gaucher disease) के इलाज में इस्तेमाल होती है।
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एगल्सिडेज़ अल्फा (Agalsidase Alfa): फैब्री रोग (Fabry disease) के इलाज में इस्तेमाल होती है।
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रुरिओक्टोकोग अल्फा पेगोल (Rurioctocog Alfa Pegol): हीमोफिलिया ए के इलाज में इस्तेमाल होती है।
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इडुरसल्फेटेस (Idursulphatase): हंटर सिंड्रोम (Hunter syndrome) के इलाज में इस्तेमाल होती है।
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एल्ग्लुकोसिडेज़ अल्फा (Alglucosidase Alfa): पोम्पे रोग (Pompe disease) के इलाज में इस्तेमाल होती है।
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लारोनिडेज़ (Laronidase): मार्किओ सिंड्रोम (Marquio syndrome) के इलाज में इस्तेमाल होती है।
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ओलिप्यूडेज़ अल्फा (Olipudase Alfa): एसिड स्फिंगोमाइलिनेज डेफिशिएंसी (ASMD) के इलाज में इस्तेमाल होती है।
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टेपोटिनिब (Tepotinib): MET एक्सॉन 14 स्किप म्यूटेशन वाले नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (NSCLC) के इलाज में इस्तेमाल होती है।
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एवेलुमाब (Avelumab): मर्कल सेल कार्सिनोमा और यूरोटेलियल कार्सिनोमा के इलाज में इस्तेमाल होती है।
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एमिसिज़ुमाब (Emicizumab): हीमोफिलिया ए के इलाज में इस्तेमाल होती है, खासकर उन मरीजों में जिनमें फैक्टर VIII इनहिबिटर होते हैं।
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बेलुमोसुडिल (Belumosudil): क्रोनिक ग्राफ्ट-वर्सेज़-होस्ट डिजीज (GVHD) के इलाज में इस्तेमाल होती है।
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मिग्लुस्टेट (Miglustat): नीमैन-पिक टाइप सी बीमारी और गौचर रोग टाइप 1 के इलाज में इस्तेमाल होती है।
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वेलमैनेज़ अल्फा (Velmanase Alfa): अल्फा-मैनोसिडोसिस के इलाज में इस्तेमाल होती है।
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एलिरोकुमाब (Alirocumab): हाइपरलिपिडिमिया (उच्च कोलेस्ट्रॉल) के इलाज में इस्तेमाल होती है, जिससे हृदय रोग का खतरा कम होता है।
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एवोलोकुमाब (Evolocumab): यह भी हाइपरलिपिडिमिया (उच्च कोलेस्ट्रॉल) के इलाज में इस्तेमाल होती है।
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सिस्टामाइन बिटार्ट्रेट (Cystamine Bitartrate): सिस्टिनोसिस के इलाज में इस्तेमाल होती है।
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सीआई-इन्हिबिटर इंजेक्शन (CI-Inhibitor injection): हेरेडिटरी एंजियोएडेमा के इलाज में इस्तेमाल होती है।
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इंक्लिसीरन (Inclisiran): हाइपरलिपिडिमिया (उच्च कोलेस्ट्रॉल) के इलाज में इस्तेमाल होती है।
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एगल्सिडेज़ बीटा (Agalsidase Beta): फैब्री रोग (Fabry disease) के इलाज में इस्तेमाल होती है।
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इमिग्लुसिरेज़ (Imiglucerase): गौचर रोग (Gaucher disease) के इलाज में इस्तेमाल होती है।
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एप्टाकोग अल्फा (सक्रियेटेड रीकॉम्बिनेंट कोगुलेशन फैक्टर VIIa) (Eptacog Alfa (activated recombinant coagulation factor VIIa)): हीमोफिलिया और अन्य रक्तस्राव विकारों के इलाज में इस्तेमाल होती है।
अस्वीकरण: यह जानकारी केवल सामान्य ज्ञान संदर्भ के लिए प्रदान की गई है। किसी भी स्थिति में इसे चिकित्सीय सलाह के रूप में न लें। कृपया किसी भी दवा का उपयोग करने से पहले हमेशा किसी योग्य चिकित्सक से परामर्श लें।