काशी के कोतवाल काल भैरव के दर्शन भी किए
घरेलू एयरलाइंस में एयर होस्टेस ही यात्रियों का कचरा उठाती हैं
मेरी महाकुंभ की सपत्नीक यात्रा का यह अंतिम ब्लॉग है। मेरा प्रयास रहा कि पाठकों को महाकुंभ के साथ साथ अयोध्या और वाराणसी के धार्मिक महत्व से अवगत कराया जाए। 26 जनवरी को सुबह जब हमने काशी में भगवान शंकर के दर्शन किए तो मंदिर परिसर में पैर रखने की जगह नहीं थी। लाखों लोग मंदिर के बाहर खड़े थे। मुझे बताया गया कि 25 जनवरी की रात को काशी में करीब 12 लाख श्रद्धालु एकत्रित थे। मान्यता है कि काशी में भ्रमण के दौरान काल भैरव के दर्शन भी जरूरी किए जाने चाहिए। यदि बनारस जाकर काल भैरव के दर्शन न किए जाए तो काशी की यात्रा को अधूरा माना जाता है। इस मान्यता के चलते ही हमारे समूह के सभी सदस्यों ने काल भैरव के भी दर्शन किए। इसे काल भैरव का ही आशीर्वाद ही कहा जाएगा कि मंदिर के पुजारी ने मरवा पत्तों की माला मेरे हाथ में दी।
काल भैरव पर मरवा पत्तों की माला चढ़ाने की धार्मिक मान्यता है। मंदिर से मिली इस माला को मैं अजमेर तक लेकर आया। काल भैरव के दर्शन के साथ ही मारी चार दिवसीय धार्मिक यात्रा का समापन हुआ। यह सही है कि श्रद्धालु जब प्रयागराज में संगम घाट पर स्नान करने जाएंगे तो अयोध्या में रामलला और काशी में भगवान शंकर के दर्शन भी करेंगे। सरकार को चाहिए कि इन तीनों धार्मिक स्थलों को ध्यान में रखते हुए एक धार्मिक कॉरिडोर का निर्माण किया जाए ताकि श्रद्धालु सुगमता के साथ यात्रा कर सके। इन तीनों धार्मिक स्थलों की दूरी मात्र 200 किलोमीटर है।
कचरा उठाती है एयर होस्टेस
मुझे यह लिखने में कोई संकोच नहीं है कि 63 वर्ष की उम्र में मैंने पहली बार हवाई यात्रा की। हमारा समूह 23 जनवरी को किशनगढ़ एयरपोर्ट से लखनऊ पहुंचा और फिर 26 जनवरी को वाराणसी के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़कर जयपुर एयरपोर्ट पहुंचा। किशनगढ़ से लखनऊ स्टार लाइन और काशी से जयपुर के बीच स्पाइसजेट का हवाई जहाज था। हवाई यात्रा मुझे सामान्य लगी। लेकिन मैंने देखा कि एयर होस्टेस ही विमान में खाद्य सामग्री बेचने का काम कर रही थी और फिर बाद में प्लास्टिक वाला बैग लेकर यात्रियों का कचरा भी एकत्रित कर रही थी। जिन लोगों ने कभी हवाई यात्रा नहीं की उनके मन में एयरहोस्टेस की अलग ही छवि रहती है, लेकिन स्टार लाइन और स्पाइस जेट जैसी कंपनियों के जहाजों में एयरहोस्टेस को ही कचरा उठाना पड़ता है।
मुझे ऐसा प्रतीत हुआ कि इन कंपनियों के जहाजों में एयर होस्टेस को खाद्य सामग्री की बिक्री और फिर कचरा उठाने के लिए ही रखा जाता है। यहां यह उल्लेखनीय है कि हमारे इस समूह में एवीवीएनएल के पूर्व एमडी वीसी भाटी,चंदीराम शोरूम के मालिक रमेश चंदीराम, समाजसेवी सुभाष काबरा, महाकाल कुल्फी के मालिक राजेश मालवीय, व्यवसायी बनवारी लाल डाड, रमेश काबरा और उनकी पत्नियां शामिल रहीं।