सोनिया गांधी ने पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पुअर लेडी कहा और फिर अपने शब्दों पर सफाई भी नहीं दी। यही गांधी परिवार का घमंड है

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31 जनवरी को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बजट सत्र के शुभारंभ पर संसद के दोनों सदनों को संबोधित किया। राज्यसभा की सदस्य होने के नाते कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी भी सदन में उपस्थित थी। राष्ट्रपति के संबोधन पर प्रतिक्रिया देते हुए सोनिया गांधी ने मीडिया के समक्ष राष्ट्रपति मुर्मू को पुअर लेडी कहकर संबोधित किया। सोनिया गांधी ने अपनी प्रतिक्रिया अंग्रेजी में दी इसलिए हो सकता है कि उन्हें पुअर शब्द का हिंदी में अर्थ समक्ष में नहीं आया हो। हिंदी में पुअर शब्द के कई अर्थ होते हैं। पुअर का मतलब गरीब के साथ साथ खराब भी होता है।

क्रिकेट के मैच में जब कोई बल्लेबाज आउट हो जाता है तो कहा जाता है कि पुअर शॉट (खराब बल्लेबाजी) के कारण आउट हुआ है। सवाल उठता है कि क्या सोनिया गांधी ने देश की राष्ट्रपति की तुलना गरीब और खराब महिला से की है। यदि सोनिया गांधी ने राष्ट्रपति के लिए गरीब और खराब शब्द का इस्तेमाल किया है तो यह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान भी है।

गंभीर बात तो यह है कि भाजपा और अन्य राजनीतिक दलों की आलोचना के बाद भी सोनिया गांधी ने अपने शब्दों पर सफाई नहीं दी है। सफाई न देना ही गांधी परिवार का घमंड दर्शाता है। असल में आजादी के 55 वर्षों तक गांधी परिवार ने देश पर एकछत्र शासन किया। गांधी परिवार की मेहरबानी से ही राष्ट्रपति नियुक्त होते रहे। जिन लोगों ने गांधी परिवार की चाकरी की उन्हें ही राष्ट्रपति बनाया गया। स्वाभाविक है कि ऐसे माहौल में सोनिया गांधी के मन में राष्ट्रपति पद के प्रति कोई सम्मान न रहा हो। सोनिया गांधी ने स्वयं तो कई राष्ट्रपति नियुक्त करवाए, साथ ही अपने पति राजीव गांधी और सास श्रीमती इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री रहते हुए राष्ट्रपतियों की नियुक्ति देखी।

लेकिन अब सोनिया गांधी को यह समझना चाहिए कि केंद्र की सत्ता गांधी परिवार से बहुत दूर हो चुकी है और मौजूदा समय में एक आदिवासी महिला राष्ट्रपति के पद पर विराजमान है। सोनिया गांधी को कम से कम एक आदिवासी महिला का सम्मान करना हीचाहिए। अब जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सोनिया गांधी के बयान को मुद्दा बना रहे है, तब तो कम से कम सफाई तो दी ही जानी चाहिए।

एस पी मित्तल

वर्ष 2016 में मेरी उम्र 54 वर्ष है और मैं करीब 40 वर्षों से पत्रकारिता कर रहा हूँ | पत्रकारिता की घुट्टी जन्मजात है। मेरे पिता स्व.कृष्ण गोपाल जी गुप्ता जो भभक पाक्षिक पत्र निकालते रहे। उससे मैंने पत्रकारिता का सबक सीखा। मेरी पत्रकारिता की यात्रा में दैनिक राष्ट्रदूत, दैनिक भास्कर, दैनिक नवज्योति, दैनिक पंजाब केसरी आदि अखबारों का सहयोग तो रहा ही है, लेकिन वर्ष 2000 में जब मैंने सम्पूर्ण उत्तर भारत में पहली बार केबल नेटवर्क पर न्यूज चैनल शुरू किया तो मुझे सीखने का जोरदार अवसर मिला। जिलेभर के केबल ऑपरेटरों की मदद से जब एक घंटे की न्यूज का प्रसारण हुआ तो अजमेर सहित राजस्थान भर में तहलका मच गया। हालांकि साधनों के अभाव और बड़े मीडिया घरानों के केबल में कूद पडऩे से मुझे अपना अजमेर अब तक नामक चैनल बंद करना पड़ा। 17 नवम्बर 2005 को जब मैंने देश के राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से अजमेर के सर्किट हाऊस में व्यक्तिगत मुलाकात की तो मुझे एक सुखद अनुभूति हुई। यूं तो मेरे लिखे की गूंज राजस्थान विधानसभा से लेकर लोकसभा तक में हुई है, लेकिन मेरी पत्रकारिता की सबसे बड़ी सफलता यही है कि मैं आज भी नियमित लिख रहा हूँ | यदि किसी पाठक के पास कोई सुझाव हो तो अवश्य दें | आपका एस.पी.मित्तल

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