यूजर्स टैक्स के स्थगन का मतलब

0
(0)

क्या आदेश स्थगित किए जाने के पीछे किसी बड़े भाजपा नेता का इशारा?

अजमेर नगर निगम द्वारा साधारण सभा की बैठक बड़े ही साधारण तरीके से सम्पन्न हो गई। कोई बड़ा तूफान या हंगामा नहीं बरपा। यूजर्स चार्ज को लेकर भाजपा और कांग्रेसी पार्षद अंदर खाने मिले नजर आए। फिलहाल यह टैक्स स्थगित कर दिया गया है।

यूजर्स चार्ज का मसला गहलोत सरकार के समय पैदा हुआ था। तब राज्य में कांग्रेसियों का कब्जा था और राज्य में यूजर्स चार्ज लगाया गया था। तब भाजपा ने एक जुट होकर यूजर्स चार्ज का विरोध किया था। अजमेर में भी भाजपा के छोटे बड़े नेताओं सभी ने इस टैक्स का खुल कर विरोध किया था। तब भी अजमेर बन्द और व्यापारियों का विरोध सड़कों पर उतरा था। तब भी सरकार को विरोध के आगे नतमस्तक होना पड़ा था।

अब जबकि राज्य में भाजपा सरकार है और वही पुराना टैक्स थोप दिया गया है तब टैक्स दाताओं की नजर में भाजपा पर है। भाजपा के नेता सकते में हैं। यदि वे विरोधियों का समर्थन करते हैं तो अपनी ही सरकार के फैसले का विरोध करते हैं और यदि वे टैक्स का समर्थन करते हैं तो कांग्रेस काल में उनका विरोध सवाल पूछता है।

नगर निगम की साधारण सभा ने इस टैक्स को फिलहाल स्थगित करके भाजपाई नेताओं की उहापोह को भी स्थगित कर दिया है।

यहाँ बता दूँ कि अजमेर के बड़े नेताओं की टैक्स को लेकर चल रही खामोशी बता रही थी कि यह टैक्स हर हाल में स्थगित होगा। सही पूछो तो भाजपा के नेताओं का टैक्स के विरोध में अंदर खाने समर्थन था। वे खुद चाहते थे कि राज्य सरकार द्वारा लगाए इस टैक्स को सरकार वापस ले। जब तक न ले तब तक नेता कोई बयान न दें।

आपने देखा होगा कि व्यापरियों के समर्थन में न कोई कांग्रेसी नेता मैदान में उतरा न भाजपा का। दोनों ही पार्टियों के नेता अपने अपने मायाजाल में उलझे हुए थे।

निगम की साधारण सभा में टैक्स को स्थगित करने के साथ ही विरोधियों को प्राण वायु मिल गयी है।

निगम के कारिंदो ने दवाब बना कर जिन लोगों से टैक्स वसूल लिया अब उनको किस तरह से टैक्स में छूट मिलेगी यह सवाल यक्ष प्रश्न बनकर सामने आएगा। निगम किस विधि से उनकी भरपाई करेगा यह सवाल उत्तर मांग रहा है।

अधिकृत व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष किशन गुप्ता ने टैक्स स्थगित करने को व्यापारियों के संगठन की जीत बताया है।

यहां बता दूं कि श्री गुप्ता ने विगत दिनों हमारे चैनल “बात आज की” के एक साक्षात्कार में साफ कहा था कि इस टैक्स को किसी कीमत में लागू करने नहीं दिया जाएगा। उन्होंने इसके पीछे एक सकारात्मक तर्क भी दिया था। उन्होंने साफ कहा था कि

जब टैक्स दाताओं को मूल भूत नागरिक सुविधाएं ही मुहैया नहीं तो टैक्स किस बात का ? नगर निगम द्वारा नागरिकों को दी गई सुविधाएं न के बराबर हैं। बाजारों में शौचालय नहीं! खास तौर से महिलाओं के लिए तो दूर दूर तक शौचालय उपलब्ध नहीं! जहां जिनके लिये उपलब्ध भी हैं तो उनकी बदहाली किसी से छिपी नहीं। नियमित साफ सफाई के अभाव में उनका उपयोग ही नहीं हो पाता। इसके अलावा सड़कों की हालत और गंदगी का आलम भी नार्किक है। ऐसे में निगम किस मुंह से यूजर्स टेक्स वसूलने की बात करता है।

गुप्ता जी की बात से भाजपा और कांग्रेस के नेता भी सहमत हैं।

यहाँ एक और गुप्त जानकारी दे दूँ कि इस टैक्स को स्थगित करवाये जाने में अजमेर के एक ऐसे नेता का अप्रत्यक्ष निर्देश है जिसने कांग्रेस काल मे लगाए गए इस टैक्स का खुल कर विरोध किया था। अब भी वह इस टैक्स को लागू किये जाने के पक्ष में नहीं। उनका भी मानना है कि टैक्स दाताओं को पहले पर्याप्त सुविधाएं प्रदान की जाएं फिर टैक्स की बात की जाए। फिलहाल टैक्स स्थगित हुआ है, रद्द नहीं। जाहिर है कि टैक्स की तलवार सर से हटी नहीं है मगर मुझे एतबार है कि यह टैक्स अंतत: लागू नहीं होगा।

क्या आप इस पोस्ट को रेटिंग दे सकते हैं?

इसे रेट करने के लिए किसी स्टार पर क्लिक करें!

औसत श्रेणी 0 / 5. वोटों की संख्या: 0

अब तक कोई वोट नहीं! इस पोस्ट को रेट करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

Leave a Comment