कम से कम धार्मिक स्थलों को तो वीआईपी कल्चर से दूर रखा जाए
प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में विशिष्ट और अति विशिष्ट यानी वीआईपी और वीवीआईपी लोगों (अधिकांश नेता और अफसर) ही होते हैं के कारण आम श्रृद्धालुओं को होने वाली परेशानियों को दूर करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को सोचना होगा।
आम श्रद्धालु जहां अपनी जेब से पैसे खर्च करके पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ तमाम तकलीफें उठाकर देश के कोने-कोने से ठंड की परवाह किए बिना सड़क,रेल यातायात के माध्यम से प्रयागराज पहुंचतै है। वहीं मंत्री, मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री राज्यों के बड़े अफसर आसानी से क्या हवाई मार्ग से या हूटर लगी गाड़ियों के काफिले के साथ महाकुंभ में जाते हैं। आए दिन ऐसे बड़े लोगों के महाकुंभ में स्नान करने से यातायात बाधित होता है और आम श्रृद्धालु परेशान होते हैं। ऐसे में स्नान के मुख्य दिनों में तो छोडिए,आम दिनों में उनका संगम पर पहुंचना मुश्किल हो जाता है। अब तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी सहित उनकी पूरी कैबिनेट, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल सहित कई राज्यों के मुख्यमंत्री,मंत्री और केंद्रीय मंत्री महाकुंभ में डुबकी लगा चुके हैं।
144 साल बाद हो रहे हैं कुंभ में डुबकी लगाने की इच्छा हर सनातनी में है और होनी भी चाहिए। क्योंकि ये अवसर हमारे जीवनकाल में तो क्या आने वाली दो या तीन पीढ़ी के जीवन में भी नहीं आना है। उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ में व्यवस्थाएं भी अच्छी की है और 26 फरवरी तक करीब 45 करोड़ श्रद्धालुओं के महाकुंभ में आने का अनुमान है। 13 जनवरी से अब तक करीब साढे 17 करोड़ श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं। लेकिन जिस दिन वीवीआईपी स्नान के लिए आते हैं,पूरी व्यवस्थाएं बिगड़ जाती है। जैसे सोमवार को गृहमंत्री अमित शाह स्नान के लिए पहुंचे तो प्रशासन ने कई घंटे संगम तक जाने वाले सभी सातों रास्ते बंद कद कर दिए। सभी पीपा पुल भी बंद रहे।
जाहिर है इससे श्रद्धालुओं को भारी दिक्कत हुई और 10 से 15 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ा। अब 1 फरवरी को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, 5 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और 10 फरवरी को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू महाकुंभ स्नान के लिए जाएंगे। इस दरम्यान कई राज्यों के मुख्यमंत्री और बड़े नेता और अफसर भी पहुंचेंगे। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को छोड़ क्या ये नहीं हो सकता कि वीआईपी और वीवीआईपी लोगों के लिए महाकुंभ में आने के कुछ दिन तय कर दिए जाएं, ताकि वह सभी उसी दिन वहां पहुंचकर डुबकी लगा ले। इससे आम लोगों को भी यह पता रहेगा कि किस दिन मेला क्षेत्र में वीआईपी मूवमेंट रहेगा। इससे वो भी उस दिन जानू से बचेंगे और जो लोग प्रयागराज में हैं वह भी इस बात से वाकिफ रहेंगे कि उन्हें इंतजार करना होगा।
विडंबना ये है कि हमारे लिए हमारे देश में हर जगह वीआईपी कल्चर लागू है। चाहे वह धार्मिक स्थल ही क्यों ना हो।