बाढ़ की संभावनाएं सामने है, और पुलिया पर हमारे घर बने हैं

0
(0)

तीन रैक्टर पैमाने पर भी भूकंप आया तो चौथाई अजमेर जमीन में समां जाएगा

स्मार्ट सीटी अजमेर भूकम्प के हल्के से झटके को भी सहन नहीं कर सकता और ताश के पत्तों की तरह मिट्टी में मिल सकता है। यह मैं नहीं कह रहा वैज्ञानिक कह रहे हैं।

अजमेर को लेकर दिल्ली के भू वैज्ञानिकों का एक दल पिछले सप्ताह अजमेर आया और उसने अजमेर के विभिन्न क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया।

दल के मुखिया अनुपम घोष ने बताया कि अजमेर यूँ तो पूरा ही डेंजर जोन में है मगर कायड़ से अजमेर शहर के बीच आने वाली कालोनियां सर्वाधिक खतरे में हैं।

वैज्ञानिकों ने कायड़ में हिंदुस्तान जिंक द्वारा की जा रही खान की खुदाई पर गहरी चिंता व्यक्त की है। रिपोर्ट के मुताबिक कायड़ के चार पांच किलोमीटर रेडियस में जमीन पूरी तरह से खोखली हो चुकी है। जिस तरह चूहे जमीन खोद कर बिल बना लेते हैं उसी तरह से सौ डेढ़ सौ फीट नीचे अंदर ही अंदर पूरा क्षेत्र खोद कर खोखला कर दिया गया है।

वैज्ञानिकों के दल द्वारा किये गए सर्वे के अनुसार सबसे ज्यादा खतरा रिहायशी दरगाह क्षेत्र में है। दरगाह क्षेत्र में आने वाले पर्यटकों की भारी भीड़ का भार, बिना तकनिकी विशेषज्ञ की देख रेख में हुए पांच पांच छ: छ: मंजिÞलो के अनगिनत निर्माण, बिना फाउंडेशन रिपोर्ट लिए नये भवन निमार्णों के लिए लगातार की जा रही गहरी खुदाई कभी भी बड़े हादसे को आमंत्रित कर रही है। ये अत्यंत चिंताजनक बात है।

दरगाह क्षेत्र में यद्यपि खुदाई जैसा खतरा नहीं लेकिन इस इलाके में विगत दस वर्षों में बेहताशा हुए निमार्णों ने जमीन की डेन्सिटी खत्म कर दी है।

इस क्षेत्र में बहुमंजिला इमारतों की संख्या पिछले बरसों में पांच गुणी बढ़ गयी है। दीवारों से दीवारें मिला दी गई हैं। आवागमन तक के लिए छोटे छोटे रास्ते शेष रह गए हैं। कमजोर बुनियाद! जर्जर भवनों पर बहु मंजिÞला निर्माण! रातों रात बिना नक़्शा पास करवाए बनी बिल्डिंग ! इस क्षेत्र के खतरे को बढ़ा चुकी हैं।

ये इमारतें क्षेत्र की जमीन पर बोझ बनी हुई हैं। यहां आपको बता दूँ कि इस इलाके में फर्ज़ी नक्शों से बनी इमारतों की भरमार है। नगर निगम प्रशासन के भ्रष्टाचार की गवाही देती ये इमारतें दिखने में तो ऊंची और खूबसूरत हैं मगर अधिकतर इनका निर्माण रातों रात हुआ है और यह भूकंप के हल्के से झटके को भी सहन नहीं कर पाएंगी।

वैज्ञानिक घोष के मुताबिक तीन रैक्टर पैमाने पर भी यदि अजमेर में भूकंप आ गया तो अजमेर का एक चौथाई हिस्सा नेस्तनाबूद हो जाएगा।

वैज्ञानिकों का मानना है कि अजमेर में जमीन के नीचे पानी भरा हुआ है। आनासागर के आस पास बनी बस्तियों में मकानों की नींव पानी पर खड़ी हुई हैं। यही वजह है कि झील के आस पास बने भवनों के बेसमेंट में पानी भरा रहता है । सैंकड़ों भवन मालिकों ने तो पानी सुखाने में असफल रहने के बाद बेसमेंट को मलवा डालकर पाट दिया है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि भूकम्प आया तो ऐसी कमजोर नीवों वाले मकान भी अपने पांवों पर खड़े नहीं रह पाएंगे।

स्मार्ट सिटी अजमेर भले ही अरबों रुपये लगा कर ओवर स्मार्ट हो गया हो मगर असलियत यह है कि सारे विकास कमजोर मिट्टी पर खड़े हुए हैं और किसी भी प्राकृतिक आपदा आने पर ध्वस्त हो सकते हैं।

क्या अजमेर का ऐसा कोई धनी धोरी है जो इस शहर को आपदा काल में बचाने के लिए सोचे?

फिलहाल तो बाढ़ की संभावनाएं सामने हैं और पुलिया पर हमारे घर बने हैं।

क्या आप इस पोस्ट को रेटिंग दे सकते हैं?

इसे रेट करने के लिए किसी स्टार पर क्लिक करें!

औसत श्रेणी 0 / 5. वोटों की संख्या: 0

अब तक कोई वोट नहीं! इस पोस्ट को रेट करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

Leave a Comment