भारतीय शेयर बाजार हाल ही में एक भारी गिरावट (भारत के गिरते शेयर बाजार के पीछे कई कारण हैं जिसमें से एक पर छोटी सी टिप्पणी…) का गवाह बना, और इसके पीछे की वजह सरकार द्वारा की गई कार्रवाई है, जो अपने आप में एक मिसाल बन गई। यह सब फिनफ्लुएंसर्स (फाइनेंस इंफ्लुएंसर्स) पर कड़ी निगरानी और कुछ बड़े मार्केट मेकर्स पर बैन लगाने से शुरू हुआ। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह कदम वाकई जरूरी था, या फिर यह एक ऐसा प्रयास था जो “मच्छर मारने के लिए तोप चलाने” जैसा साबित हुआ? यह नहीं पता चला की तोप चलाने से मच्छर मरा या नहीं मरा लेकिन घर पूरा तहस नहस हो गया |
क्या हुआ?
- बड़े मार्केट मेकर्स पर बैन: कई बड़े मार्केट मेकर्स, जो बाजार में तरलता लाने और ट्रेडिंग को सुगम बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं, पर कड़ी पाबंदियां लगाई गईं।
- इनके खातों को सील करना और ट्रेडिंग गतिविधियों को सीमित करना जैसे कदम उठाए गए।
- नतीजा: बाजार में तरलता की भारी कमी हुई, जिससे शेयरों की खरीद-फरोख्त में असामान्य गिरावट देखी गई।
- फिनफ्लुएंसरों पर शिकंजा: सोशल मीडिया पर फिनफ्लुएंसरों के खिलाफ सरकार ने कार्रवाई की।
- आरोप: इनफ्लुएंसर गलत या भ्रामक निवेश सलाह देकर खुद मुनाफा कमा रहे थे। सोशल मीडिया पर सक्रिय फिनफ्लुएंसर्स पर यह आरोप लगाया गया कि वे बाजार को “मैनिपुलेट” कर रहे हैं। इन पर नकेल कसने के लिए सख्त नियम लागू किए गए।
- कार्रवाई: कई प्रोफाइल्स को बंद कर दिया गया और उन पर कानूनी केस दर्ज किए गए।
- बाजार में भारी गिरावट: इन कार्रवाइयों का सीधा असर सेंसेक्स और निफ्टी पर पड़ा।
- बड़े निवेशक और रिटेल ट्रेडर्स घबराए और बाजार से बाहर निकलने लगे।
- नतीजा: कई कंपनियों के शेयर अपने 52-सप्ताह के निचले स्तर पर पहुंच गए।
फिनफ्लुएंसर और बाजार का महत्व
फिनफ्लुएंसर आज के डिजिटल युग में छोटे निवेशकों को शिक्षित और प्रेरित करने का काम करते हैं। हालांकि कुछ बुरे उदाहरण जरूर हैं, लेकिन सभी को एक ही तराजू से तौलना गलत साबित हो सकता है।
- फिनफ्लुएंसर की भूमिका:
- छोटे निवेशकों को जटिल फाइनेंशियल टर्म्स को आसान भाषा में समझाना।
- कंपनियों और बाजार ट्रेंड्स की जानकारी देना।
- बड़े मार्केट मेकर्स का योगदान:
- ये संस्थान बाजार की स्थिरता बनाए रखते हैं।
- तरलता प्रदान करते हैं, जिससे खरीदने और बेचने वालों को दिक्कत नहीं होती।
सरकार की कार्रवाई: जरूरी या अत्यधिक?
सरकार का कहना है कि ये कदम बाजार की पारदर्शिता और छोटे निवेशकों की सुरक्षा के लिए उठाए गए। लेकिन क्या वाकई इस तरह की सख्त कार्रवाई की जरूरत थी?
परिणाम:
- घबराहट का माहौल:
- फिनफ्लुएंसर और मार्केट मेकर्स के खिलाफ कार्रवाई से निवेशकों में घबराहट फैली।
- छोटे निवेशकों का भरोसा डगमगा गया।
- तरलता में गिरावट:
- बड़े मार्केट मेकर्स के बिना बाजार में तरलता कम हो गई।
- इससे शेयरों की कीमतें अधिक अस्थिर हो गईं।
- आर्थिक नुकसान:
- शेयर बाजार में भारी गिरावट ने निवेशकों का पैसा डूबा दिया।
- कई छोटे और मंझोले व्यापारी अब बाजार से बाहर हो रहे हैं।
क्या हो सकता था?
- सरकार को इस मुद्दे पर “मच्छर मारने के लिए तोप चलाने” की बजाय, तर्कसंगत और रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए था।
- दोषी फिनफ्लुएंसरों और मार्केट मेकर्स पर व्यक्तिगत कार्रवाई करते हुए, पूरे तंत्र को नुकसान पहुंचाने से बचा जा सकता था।
शेयर बाजार की ताकत उसके सहभागियों में निहित होती है – छोटे निवेशकों से लेकर बड़े मार्केट मेकर्स और फिनफ्लुएंसर तक। ऐसे में हर कदम को सोच-समझकर उठाने की जरूरत है। “मच्छर मारने के लिए तोप नहीं चलायी जाती” – सरकार को इस कहावत से सबक लेते हुए भविष्य में सटीक और संतुलित फैसले लेने चाहिए, ताकि बाजार में स्थिरता बनी रहे और निवेशकों का भरोसा कायम रहे।