गणतंत्र दिवस: शराब चाहिए, दुकान बंद है, तो खिड़की से लीजिए

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गणतंत्र दिवस पर सूखा दिवस पर भी देर रात तक बिकती रही शराब, रोजाना यही रहती है हालत

गणतंत्र दिवस पर ड्राई डे यानि सूखा दिवस था यानी शराब की दुकानें बंद थी। लेकिन बंद का मतलब यह नहीं था की पूरी दुकान ही बंद थी। शराब की दुकानों का शटर बंद था। लेकिन उनमें बनी खिड़कियों से और बाहर खड़े सेल्समैन खुलकर शराब बेच रहे थे और उन्हें रोकने वाला कोई नहीं था। पूरे शहर में शराब की दुकानों के बाहर यही नजारा था।

माकड़वाली रोड पर स्थित चार शराब की दुकानों पर रात नौ बजे भी खुलेआम शराब बेची जा रही थी और इस दरम्यान दो बार वहां से पुलिस की जीप निकली, लेकिन किसी ने इस बात की जहमत नहीं उठाई कि गणतंत्र दिवस पर शराब क्यों बिक रही है, रूककर यह पूछा जाए और दुकानदार के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

शराब के धंधेबाजों ने आजकल एक शानदार तरीका निकाल लिया है। रोजाना रात को 8 बजे बाद शटर बंद कर उसके आगे कुछ हिस्से में पांच से छह फीट ऊंचे प्लाईवुड के बोर्ड के लगाकर उसके पीछे शटर में बनाई छोटी खिड़की खोलकर शराब की बिक्री की जाती हैं। ये सुविधा देर रात तक उपलब्ध रहती है। कई दुकानों के बाहर तो खुद सेल्समैन आकर खड़े हो जाते हैं। वाहन रुकते ही उसमें बैठे ग्राहक से डिमांड पूछ कर शटर के पास जाकर उस ब्रांड की आवाज लगाई जाती है। अंदर से खिड़की में से हाथ निकलता है और बोतल बाहर जाती है। अगर ग्राहक के पास नगद में भुगतान करने को नहीं होता है,तो यूपीआई पेमेंट के लिए सेल्समैन के गले में स्कैनर लटका रहता है। कर दीजिए आनलाइन पेमेंट।

यह तय है कि बिना क्षेत्रीय पुलिस थाने और आबकारी विभाग की मिलीभगत के इस तरह से सूखा दिवस पर और अन्य दिनों में रात 8 बजे बाद शराब नहीं मिल सकती। इसके लिए किसे कितनी रकम पहुंचाई जाती है,यह भी बड़ा सवाल है। सरकार ने तो कागजों में तो समय तय कर रखा है,लेकिन ठेकेदारों का अपना समय है। आखिर मदिरावीरों की सुविधा का भी तो सवाल है।

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