कैसे होंगे देवनानी जी के सपने साकार?

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क्या अनूप बरतरिया करेंगे सपने पूरे
मगर उनकी पृष्ठभूमि तो विवादास्पद है

राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी जी की जय हो कि उन्होंने आगामी बजट के मद्देनजर उस समय भी सोचा जब वह अस्वस्थ थे और अस्पताल में चिकित्सकों की निगरानी में थे। बजट में अजमेर को ऐसा क्या दिया जाए कि उसकी बदहाली खत्म हो जाए। इसी सवाल का हल खोजने के लिए उन्होंने एक अनुभवी दल ख्याति नाम आर्किटेक्ट अनूप भरतरिया के नेतृत्व में अजमेर भेजा।

अनूप जी के साथ पूरा प्रशासनिक अमला आगे पीछे घूमने लगा। जगह जगह दौरे हुए। मीडिया को बताया गया कि देवनानी जी के अजमेर को लेकर देखे गए सपनों को साकार करने की दिशा में वह कोई ठोस योजना बनाने के लिए अजमेर आए हैं।

अजमेर आए तो उनका तहे दिल से इस्तकबाल।

……मगर अनूप जी! क्या आप देवनानी जी के सपनों को वाकई पूरा कर पाएंगे?

हो सकता है कर दें मगर मेरे पास आपको लेकर जो जानकारियां हैं उनकी सच्चाई भी तो जरा सभी को बता दें।

मैं जिस विश्व प्रसिद्ध बरतरिया को जानता हूँ उसकी पृष्ठभूमि तो गंभीर आपराधिक आरोपों से घिरी पड़ी है। यदि आप वही बरतरिया हैं तो प्लीज बताने की कृपा करें कि जो जानकारी मुझे है वह सही हैं या गलत।

सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय के अनुसार, अनूप बरतरिया, जो वर्ल्ड ट्रेड पार्क लिमिटेड के निदेशक हैं, पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया हुआ है। मामला जयपुर स्थित वर्ल्ड ट्रेड पार्क से संबंधित है, जहां भरतरिया पर करीब 210 करोड़ रुपये की धनराशि के लेन-देन में अनियमितताओं का आरोप है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सिंडिकेट बैंक से संबंधित 209 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में अनूप बरतरिया और अन्य 16 व्यक्तियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किये है। आरोप है कि अनूप बरतरिया ने चार्टर्ड अकाउंटेंट भारत बंब और सिंडिकेट बैंक के पूर्व एजीएम आदर्श मनचंदा के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बैंकों से ऋण प्राप्त किया और धन का दुरुपयोग किया गया है। क्या आप वही महान आर्किटेक्ट हैं या कोई दूसरे? कहीं मुझसे आपको पहचानने में कोई गलती तो नहीं हो रही।

सीबीआई की जांच के अनुसार, सिंडिकेट बैंक की तीन शाखाओं – एमआई रोड शाखा (जयपुर), मालवीय नगर शाखा (जयपुर), और उदयपुर शाखा – में 118 लोन अकाउंट स्वीकृत और वितरित किए गए। इन लोन अकाउंट्स में हाउसिंग लोन, वाणिज्यिक संपत्तियों के लिए टर्म लोन, ओवरड्राफ्ट लिमिट्स, और विदेशी लेटर आॅफ क्रेडिट शामिल थे।

शिकायत के अनुसार चार्टर्ड अकाउंटेंट भारत बंब ने अपने कर्मचारियों और अन्य व्यक्तियों, जिनमें अनूप बरतरिया और सिंडिकेट बैंक के अधिकारी शामिल थे, के साथ मिलकर साजिश रची। उन्होंने फर्जी दस्तावेजों, जैसे आयकर रिटर्न, बिल, कोटेशन, प्रमाणपत्र और अन्य दस्तावेजों का उपयोग करके विभिन्न क्रेडिट सुविधाएं हासिल कीं।

सीबीआई ने अपनी जांच में पाया कि आरोपियों ने बैंक को 209.93 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी से लोन हासिल करने के लिए धोखा दिया। कई उधारकर्ता ऐसे थे जो मात्र साधारण कर्मचारी थे और इतने बड़े लोन के लिए योग्य नहीं थे।

साजिश के हिस्से के रूप में, बंब, बरतरिया और अन्य ने वर्ल्ड ट्रेड पार्क लिमिटेड, जयपुर में वाणिज्यिक संपत्तियां खरीदने के लिए टर्म लोन लेने के उद्देश्य से एमआई रोड शाखा के अधिकारियों से संपर्क किया। इसके लिए उन्होंने फर्जी आयकर रिटर्न प्रस्तुत किए, जिनमें उनकी आय को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया था।

सीबीआई ने पाया कि आरोपियों ने फर्जी कोटेशन, इनवॉयस, खरीद आदेश, कार्य आदेश, सीए प्रमाणपत्र और आॅडिट किए गए वित्तीय विवरण जमा किए। इन सभी फर्जी दस्तावेजों का उपयोग कर उन्होंने बैंक से बड़े पैमाने पर लोन प्राप्त किया।

यहाँ तक कि सुप्रीम कोर्ट ने अनूप बरतरिया के खिलाफ सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि सीबीआई के पास अनूप बरतरिया के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य हैं, जो उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही जारी रखने के लिए पर्याप्त हैं।

यही नहीं, जयपुर की एक विशेष अदालत ने करीब 2.59 करोड़ रुपये के चेक बाउंस के मामले में अनूप बरतरिया और अन्य के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट को जमानती वारंट में बदलने से इनकार कर दिया था। अदालत ने आरोपियों के अदालत में पेश नहीं होने के कारण यह निर्णय लिया था।

ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ऐसे विवादों में घिरे आर्किटेक्ट अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने में ईमानदारी से योगदान देंगे? या फिर अपने निजी स्वार्थों को साधेंगे!

शहरवासियों को उम्मीद है कि प्रशासन इस मामले की गहन जांच करेगा और सुनिश्चित करेगा कि अजमेर का विकास पारदर्शिता और ईमानदारी के साथ हो।

माननीय देवनानी जी को मेरी एक नेक सलाह है कि अभी कुछ दिनों पूर्व जब उन्होंने शहर के कुछ प्रबुद्ध और बुजुर्ग लोगों को बुलाकर शहर के सौंदर्यकरण और विकास को लेकर बैठक की थी। इस बैठक में हुई चर्चा में आये सुझावों पर ही काम किया जाए तो ही ये शहर स्मार्ट हो सकता है। किसी भी बरतरिया के सुझाव की आवश्यकता नहीं है। मेरा मानना है कि अजमेर के मूल निवासी ही शहर को स्मार्ट बनाने के लिए कोई महत्वपूर्ण और सरल सुझाव दे सकते हैं।

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