योगी का केजरीवाल को यमुना में डुबकी चैलेंज, मुफ्त की योजनाओं में भी आप को पीछे छोडा भाजपा ने
दिल्ली की सत्ता हासिल करने के लिए छटपटा रही भारतीय जनता पार्टी ने इस बार आम आदमी पार्टी को बुरी तरह घेर लिया है। अरविंद केजरीवाल पर चौतरफा हमले करने के साथ थी भाजपा ने अपने तुरूप के पत्ते और हिंदुत्व के पोस्टर बॉय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दिल्ली के चुनावी रण में उतार दिया है। योगी ने भी पहले ही दिन केजरीवाल को यमुना में डुबकी का चैलेंज देकर और दिल्ली में मंदिरों के लिए कुछ भी नहीं करने का आरोप लगाकर चुनाव को भाजपा के चिरपरिचित एजेंडे हिंदुत्व की ओर मोड़ने की कोशिश शुरू कर दी है। योगी की दिल्ली में कुल 14 आमसभाएं होनी है। इनमें से अभी 11 बाकी है।
भाजपा अपनी चुनावी रणनीति किस बारीकी से बनाती है, योगी की दिल्ली चुनावों में एंट्री इसका सबूत है। बुधवार को योगी ने पहले अपने पूरे मंत्रिमंडल के साथ महाकुंभ में त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाई और अगले दिन गुरुवार को दिल्ली में केजरीवाल को चैलेंज दे दिया कि वह ऐसी डुबकी दिल्ली मंत्रिमंडल के साथ यमुना में लगाकर दिखाएं। यमुना नदी गंदे नाले में तब्दील हो चुकी है। केजरीवाल के 10 साल के शासन की नाकामी की बड़ी मिसाल बनी यमुना न सिर्फ दिल्लीवासियों के लिए महत्वपूर्ण मुद्दा है,बल्कि हिंदूत्व से भी यह जुड़ा हुआ है।
योगी ने साफ कहा कि केजरीवाल ने यमुना को गंदे नाले में बदलकर पाप किया है। केजरीवाल भी यह मान चुके हैं कि वह यमुना नदी को साफ नहीं करा पाए,लेकिन वह यह भी कह रहे हैं कि अब अगर आप की सरकार बनी तो अगले 5 साल में यमुना को पूरी तरह साफ कर देंगे। अब तक की नाकामी पर केजरीवाल ने दलील भी दी थी कि भाजपा ने झूठे आरोप में उन्हें जेल भिजवा दिया। इसलिए वह काम नहीं कर पाए। लेकिन सवाल ये है कि 10 साल में उनकी इस नाकामी पर दिल्ली का मतदाता अब भरोसा कैसे करेगा।
इसके साथ ही योगी की सभा के मंच पर बंटेंगे तो कटेंगे और एक है तो सेफ हैं का नारा लिखा पोस्टर भी नजर आया। योगी ने ही इस नारे के पहले हिस्से को ईजाद किया था और प्रधानमंत्री मोदी ने बाद में एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे का नारा दिया। भाजपा को महाराष्ट्र,हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में चुनाव जीतने में इसने मदद भी पहुंचाई। इन राज्यों राज्यों में जहां-जहां योगी ने चुनाव सभा की वहां भाजपा की कामयाबी की दर 60 से 90 फीसदी तक रही। यानी की सभाओं वाली इतनी सीटें भाजपा ने जीती। इनमें उत्तर प्रदेश के उपचुनावों में कुछ सीटें तो ऐसी थी, जिन्हें भाजपा ने पहली बार जीता है और इससे बंटेंगे तो कटेंगे नारे का ही असर माना गया।
दिल्ली में भी उसकी मदद करेगा, इसकी भाजपा को पूरी उम्मीद है। यूं बीजेपी दिल्ली के पिछले दो चुनावों में भी हिंदुत्व को भुनाने के लिए योगी सहित ऐसे ही नारों का उपयोग कर चुकी है। लेकिन तब उससे ज्यादा कामयाबी नहीं मिली थी। 2014 के चुनाव में पूर्व मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने रामजादे और हरामजादे तथा 2019 के चुनाव में पूर्व मंत्री अनुराग ठाकुर के …..जूते हमारे सालों को का बयान इसी संदर्भ में था। ये हर कोई जानता है कि हरामजादे और गोली किस समुदाय के लोगों को करने के लिए कहा जा रहा था? देखना होगा देश की राजधानी दिल्ली में क्या बंटेंगे तो कटेंगे और एक है तो सेफ रहेंगे नारा असर करेगा।
हिंदुत्व के पिच पर बल्लेबाजी करना भाजपा को पसंद है और इसमें वह कामयाबी के भी हो रही है और योगी से बड़ा खिलाड़ी इस पिच का कोई भी नहीं है। इसमें कोई शक नहीं कि इस बार दिल्ली के चुनाव में भाजपा ने अपनी सारी ताकत होती है और निश्चित रूप से है उसकी प्रतिष्ठा का सवाल भी है कि जो पार्टी दूसरे राज्यों में लगातार चुनाव जीत रही है, वह आधे राज्य दिल्ली में क्यों पस्त हो जाती है। भाजपा ने केजरीवाल की मुफ्त योजनाओं का इसका सबसे बड़ा कारण माना।
तो इस बार भाजपा ने उनसे भी ज्यादा मुफ्त योजनाओं की घोषणा कर केजरीवाल के इस हथियार की काट कर दी। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद फ्री बीज यानी मुक्त योजनाओं की कई बार आलोचना कर चुके हैं लेकिन सत्ता के लिए भाजपा ने इससे भी समझौता कर लिया। उसका सीधा तर्क है कि लोहे को लोहा ही काटता है। इसके अलावा 10 साल की एंटी इनकमबेंसी, केजरीवाल सहित आप के अधिकांश नेताओं पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप और जेल यात्राएं,कई घोटाले और आप के कई नेताओं की पार्टी छोड़ केजरीवाल पर हमलावर होने के कारण इस बार दिल्ली में केजरीवाल की राह आसान नहीं है। ऐसे में कांग्रेस ने भी उसकी राह में और कांटे बिछा दिए हैं।
कांग्रेस ने संघर्ष को त्रिकोणीय बना दिया है। इसमें भले ही कांग्रेस को कोई फायदा ना मिले। लेकिन मिलने वाले मुस्लिम और दलितों वोटों का बड़ा हिस्सा केजरीवाल के पाले से ही जाएगा और इसका सीधा भाजपा को लाभ होगा। इसलिए केजरीवाल बार-बार कह रहे हैं कि कांग्रेस, भाजपा के एजेंडे पर काम कर रही है
बीजेपी ने दिल्ली चुनाव में जिस राज्य के आबादी जिस इलाके में ज्यादा है, वहां उन राज्यों के नेताओं को बुलाकर जिम्मेदारी सौंपी है। उसके पांच मुख्यमंत्री अब तक दिल्ली में प्रचार कर चुके हैं और बाकी भी आने वाले दिनों में दिल्ली में नजर आएंगे। केंद्रीय मंत्रियों को भी विधानसभावार जिम्मेदारियां सौंपी गई है। जबकि संगठन के नेता भी अलग लगाए गए हैं।