अमेरिका में ट्रंप प्रशासन की सख्त नीतियों के कारण भारतीय छात्रों को पार्ट टाइम नौकरियां छोड़नी पड़ रही हैं, जिससे उन्हें आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए अब छात्रों को बचत और उधार पर निर्भर रहना पड़ रहा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रवासियों के खिलाफ सख्त नीतियों को अपना चुनाव अभियान बनाया था। 20 जनवरी को शपथ लेकर ट्रंप अब राष्ट्रपति बन गए हैं। ट्रंप के नए शासनकाल में अमेरिका में प्रवासियों के लिए बहुत कुछ बदल गया है। इसका सीधा असर अमेरिका में पढ़ने गए भारतीय छात्रों पर भी पड़ रहा है। 20 जनवरी से पहले ही अमेरिका में पढ़ाई कर रहे भारतीयों छात्रों ने अपनी पार्ट टाइम नौकरियां छोड़नी शुरू कर दी थीं।
छात्रों को छोड़नी पड़ी नौकरी
अमेरिका में प्रवासी छात्र कैफे, गैस स्टेशन या दूसरी जगह पर पार्ट टाइम नौकरी करके आसानी से 40-50 डॉलर यानी लगभग चार हजार रुपये प्रतिदिन कमा लेते हैं। इस आय से उन्हें अमेरिका में अपने खर्चे पूरे करने में मदद मिलती है। अधिकतर छात्र यहां पढ़ाई के लिए लोन भी लेते हैं। लेकिन ट्रंप की सख्त नीतियों ने अब उनके सामने मुश्किल हालात खड़े कर दिए हैं। मीडिया से बात करते हुए एक भारतीय छात्र ने कहा कि वह एक कैफे में रोजाना 7 डॉलर प्रति घंटा तक कमा रहा था। लेकिन ट्रंप के शपथ लेने से पहले ही उसे ये नौकरी छोड़नी पड़ी क्योंकि वो अमेरिका में अपने भविष्य को खतरे में नहीं डालना चाहता था।
ट्रंप के आने के बाद प्रशासन की सख्ती
ये छात्र वैद एफ-1 वीजा पर पढ़ाई करने के लिए अमेरिका जाते हैं। इस वीजा के तहत उन्हें यूनिवर्सिटी कैंपस पर कुछ घंटे काम करने की अनुमति होती है। लेकिन बहुत से छात्र कैंपस के बाहर भी नौकरियां करते हैं। अब ऐसे छात्रों के सामने मुश्किल हालात है। एक भारतीय अखबार से बात करते हुए एक छात्र ने कहा, हालांकि मैं आराम से पार्ट टाइम नौकरी कर रहा था। लेकिन हो सकती है, इसलिए मैंने पहले ही नौकरी छोड़ दी। मैंने अमेरिका में पढ़ाई करने के लिए 42.5 लाख का कर्ज लिया है। ऐसे में मैं कोई खतरा नहीं ले सकता हूं।
हैदराबाद की रहने वाली एक छात्रा ने भी इसी तरह का अनुभव साझा किया है। इस छात्रा ने कहा, कार्यस्थलों पर जांच हो सकती है, ऐसे में मैंने और मेरे दोस्तों ने नौकरी छोड़ने का तय किया है। कुछ महीने बाद हम देखेंगे हालात कैसे रहते हैं। फिलहाल ये छात्र अपनी बचत में से खर्च करने पर मजबूर हैं। कुछ को भारत में अपने परिजनों और दोस्तों से उधार भी लेना पड़ रहा है।
आर्थिक संकट का करना पड़ रहा सामना
इस स्थिति ने छात्रों को असमंजस में भी डाल दिया है। पार्ट टाइम नौकरियां छोड़ने पर छात्रों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है ।एक और छात्र ने कहा, मेरी बचत खत्म हो गई है और मामूली खर्चों के लिए मुझे दोस्त से उधार लेना पड़ रहा है। मैं अपने परिजनों से पैसे मांगने में हिचक रहा हूं क्योंकि मुझे यहां पढ़ने भेजने के लिए वो पहले भी भारी खर्च कर चुके हैं। अमेरिकी विश्वविद्यालयों में 3 लाख 31 हजार भारतीय छात्र हैं। अमेरिका में भारतीयों छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 2022-23 शैक्षणिक वर्ष के मुकाबले इस साल अमेरिका में 23 प्रतिशत अधिक छात्र हैं।
अमेरिका में सबसे ज्यादा विदेशी छात्र भी भारतीय ही हैं। अमेरिका में कुल अंतरराष्ट्रीय छात्रों में से 29 प्रतिशत भारतीय हैं। इनके बाद चीन के छात्रों का नंबर आता है। भारतीय छात्र बेहतर भविष्य की तलाश में अमेरिका का रुख करते हैं। अब तक छात्र यहां पार्ट टाइम नौकरियां करके रहने का खर्च निकालते रहे थे। अब छात्रों के सामने रोजमर्रा के खर्च पूरे करने और किराया देने का संकट पैदा हो सकता है।