ऐसे बारात लेकर पहुंचा दूल्हा, ससुराल वाले बोले- ‘वाह दामाद जी’
भीलवाड़ा जिले में एक दूल्हा अनोखे तरीके से बारात लेकर अपनी ससुराल पहुंचा। बारात को देखकर हर कोई दंग रह गया। बारात में कोई भी गाड़ी नहीं थी न ही कोई रथ या घोड़ा।
भीलवाड़ा के एक गांव में एक अनूठी और दिलचस्प बारात ने लोगों का ध्यान पूरी तरह से अपनी ओर खींच लिया। आधुनिकता के इस दौर में जहां लोग बारात में महंगी गाड़ियों और भव्य सजावट का सहारा लेते हैं, वहीं जाट समाज ने अपनी पुरानी परंपरा को जीवित रखते हुए सजी-धजी बैलगाड़ी में बारात निकालकर मॉडल जमाने में पुरानी परंपराओं को जिंदा रखने के लिए मिसाल पेश की है।
भीलवाड़ा जिले के रायपुर से करीब 15 किमी दूर गांव कोशीथल में एक अनोखी बारात देखने को मिली। जहां एक सजी-धजी बैलगाड़ी में सवार होकर एक दूल्हा अपनी जीवन संगिनी के घर रायपुर के सूरजपुरा गांव में मांगी लाल जाट के घर बारात लेकर पहुंचा हैं। पारंपरिक रीति रिवाज को कायम रखते हुए दुल्हा बैलगाड़ी से बारात लेकर पहुंचा है।
लग्जरी गाड़ी के बजाई चुना बैलगाड़ी
आज के आधुनिक दौर में जहां शादियां लगातार महंगे और खचीर्ली हो रही है। ऐसे में लोग महंगी-महंगी कार, घोड़ा-बग्गी से बारात में पहुंचते है। लेकिन जाट समाज के रीति रिवाज पारंपरिक प्रथा आज भी ग्रामीण क्षेत्र में जीवित है। इसी प्रथा को जिंदा रखते हुए जाट समाज द्वारा बैलगाड़ी को सजा कर बारात निकाली है।
दूल्हा इच्छा की जाहिर
दूल्हा के पिता मांगी लाल जाट ने बताया कि बेटे मोनू स्वयं की इच्छा थी कि जब भी उसकी शादी होगी, वह आजकल के दिखावों से परे अपनी बारात पुरानी रीति रिवाज की तरह सजी सवंरी बैलगाड़ी से निकालेगा। जिसके अनुरूप यह सारी व्यवस्था कर पुरानी परम्परा से बारात लेकर आए हैं।
बैलगाड़ी से बारात आने की जानकारी लगने पर आसपास के गांव के लोग, बारात को देखने गांव पहुंच गए। जिस प्रकार से दुल्हा-दुल्हन की कार को सजाया जाता है, उसी प्रकार से बैलगाड़ी को भी सजाया गया। बेलों को भी खूबसूरत तैयार किया गया है। जिसमें संवार होकर दूल्हा जीवन संगिनी के घर पर पहुंचा।