किसी भी व्यक्ति के जीवन में आने वाली परेशानियों का मतलब सिर्फ पैसा ही नहीं होता है। पितृ दोष भी एक बड़ा कारण हो सकता है। इसलिए किसी भी जातक की कुंडली में पितृ दोष लगने से जीवन में परेशानियों का अंबार लग सकता है। यदि आप पितृ दोष के मुक्ति पाना चाहते हैं तो महाकुंभ एक बेहतर अवसर हो सकता है। ऐसे में महाकुंभ जाएं तो वहां कुछ उपाय कर सकते हैं। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में-
माना जाता है कि, यदि पितृ नाराज हो जाएं, तो ऐसे में जातक की कुंडली में पितृ दोष लग सकता है। इससे व्यक्ति के जीवन में परेशानियां बढ़ सकती हैं। पितृ दोष न केवल उस व्यक्ति तक सीमित रहता है बल्कि आने वाली कई पीढ़ियों को प्रभावित कर सकता है। इससे छुटकारा पाने के लिए तमाम उपाय करते हैं, लेकिन महाकुंभ पितृ दोष के मुक्ति पाने का एक बेहतर अवसर हो सकता है। ऐसे में महाकुंभ जाएं तो वहां पितृ दोष से मुक्ति के लिए भी कुछ उपाय कर सकते हैं।
संगत तट पर श्राद्ध कर्म करें: ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए आप महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में संगम तट के किनारे गंगा स्नान के बाद श्राद्ध कर्म कर सकते हैं। इससे पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और जातक का पितृ शांत होते हैं। जिससे आपको पितृ दोष से राहत मिल सकती है।
पितरों को जल अर्पित करें: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाकुंभ में स्नान करने मात्र से साधक को कई अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। वहीं पितृ दोष से मुक्ति के लिए महाकुंभ में स्नान करने के दौरान थोड़ा-सा गंगाजल हाथ में लें और पितरों को इसे अर्पित कर प्रणाम करें। साथ ही अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना मांगें।
काले तिल अर्पित करें: अर्यमा को पितरों का देव कहा जाता है। इसलिए महाकुंभ स्नाना के बाद अर्यमा की पूजा करें और उनको काला तिल अर्पित करें। ऐसा करने से पितर खुश होते हैं। इसके अलावा आपके वंश को देव अर्यमा और पितर दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
ग्रहों को मिलेगी शांति: ज्योतिषाचार्य की मानें तो पितृ पक्ष के समय आप पूजा में काले तिल का उपयोग करते हैं तो कुंडली से त्रिग्रही दोष शांत होते हैं। काले तिल से राहु, केतु और शनि ये तीनों ग्रह शांत हो जाते हैं और इनका दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है।
हाथ जोड़कर नमस्कार करें: महाकुंभ में स्नान के दौरान सूर्य देव को भी जल अर्पित करें और हाथ जोड़कर नमस्कार करें। इसी के साथ महाकुंभ में आए हुए साधु-संतों की सेवा करें और उनके सानिध्य में कुछ समय बिताएं। ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और आपके ऊपर अपनी दया दृष्टि बनाए रखते हैं।
श्रीहरि की पूजा करें: महाकुंभ स्नान के दौरान श्रीहरि की पूजा करें और उन्हें काला तिल अर्पित करें। मान्यता है कि, तिल की उत्पत्ति भगवान विष्णु से हुई है। इसलिए तिल अर्पण के बाद विधिपूर्वक व्रत करें। इससे भगवान विष्णु और पितर दोनों ही प्रसन्न होंगे। हरि कृपा से पितरों को वैकुंठ की प्राप्ति होती है।
जरूरतमंदों का दान करें: पितरों की कृपा प्राप्ति के लिए आप अपने सामर्थ्य के अनुसार, दान-पुण्य भी जरूर करें। इसके लिए आप महाकुंभ में सोन-चांदी और अन्न का दान कर सकते हैं। इसी के साथ आप महांकुभ में गरीब व जरूरतमंद लोगों में गर्म कपड़ों का भी दान कर पितृ दोष से राहत पा सकते हैं।