हंसगिरी बाबा, जिन्हें ‘साइकिल बाबा’ के नाम से जाना जाता है, पिछले 8 सालों से साइकिल पर तीर्थयात्रा कर रहे हैं। 10,000 किमी से ज्यादा का सफर तय कर महाकुंभ पहुँचे बाबा की कहानी प्रेरणादायक है।
संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ 2025 की धूम मची हुई है, जहां लाखों श्रद्धालु अपनी आस्था की डुबकी लगाने के लिए पहुंचे हैं। इस बीच, यहां एक खास शख्सियत भी हैं, जिनकी यात्रा न केवल भक्ति से प्रेरित है, बल्कि एक अद्भुत साहस और तप की मिसाल भी है, हम बात कर रहे हैं, हंसगिरी बाबा की जिन्हें लोग ‘साइकिल बाबा’ के नाम से जानते हैं। इस अनोखे बाबा की पूरी गृहस्थी उनकी साइकिल पर सवार है और वे अपने जीवन को पूरी तरह से आस्था और भक्ति के लिए समर्पित कर चुके हैं।
8 साल, 10,000 किमी और अनगिनत तीर्थ यात्राएं
हंसगिरी बाबा पिछले 8 सालों से अपनी साइकिल पर तीर्थ यात्रा कर रहे हैं। इस दौरान वे 10,000 किमी से अधिक की यात्रा कर चुके हैं, जिसमें मां वैष्णो देवी, अयोध्या, काशी, बाण सागर और बाबा वैद्यनाथ जैसे प्रमुख धार्मिक स्थल शामिल हैं। अब महाकुंभ में श्रद्धालुओं और संतों के बीच इनकी उपस्थिति एक अनोखी छाप छोड़ रही है। महाकुंभ के बाद उनका अगला लक्ष्य गंगासागर की यात्रा करना है, जो उनके जीवन का एक नया अध्याय होगा।
गृहस्थ जीवन को त्यागने की प्रेरणादायक कहानी
हंसगिरी बाबा का असली नाम हंसराज है। वे एक छोटे से गांव के रहने वाले हैं और उनकी पहले एक सामान्य गृहस्थी थी। 10 साल पहले उनके बड़े भाई ने उन्हें पैतृक संपत्ति में हिस्सा देने से इनकार किया, जिससे हंसराज को गहरे आघात पहुंचा इस घटना ने उन्हें गृहस्थ जीवन त्यागने और एक तपस्वी जीवन जीने की प्रेरणा दी। उन्होंने अपनी साइकिल पर ही घर के सभी जरूरी सामान लादे और घर छोड़ दिया।
गुरुदीक्षा और संत बनने का अद्भुत सफर
इंदौर से 100 किमी दूर एक संत के सानिध्य में हंसराज ने गुरुदीक्षा ली और उनका नाम हंसराज से बदलकर हंसगिरी बाबा हो गया। उन्होंने संकल्प लिया कि अब वे कभी ऐसी गृहस्थी नहीं बनाएंगे, जिसे छोड़ना कठिन हो। वे बताते हैं कि हालांकि वे पढ़े-लिखे नहीं हैं, लेकिन उनका एक ही उद्देश्य है – भगवत प्राप्ति।
मां कामाख्या का भव्य मंदिर बनाने का सपना
हंसगिरी बाबा का एक और सपना है, जो उन्हें और भी प्रेरणादायक बनाता है। उनका सपना है कि वे मां कामाख्या का एक भव्य मंदिर बनवाएं। उनका विश्वास है कि जीवन का हर क्षण भगवान के नाम होना चाहिए और वे कहते हैं, “जो कुछ भी करूंगा, ईश्वर के लिए करूंगा।”
प्रयागराज महाकुंभ में कई ऐसे संत हैं जिन्होंने अपनी गृहस्थी को सीमित कर अपने जीवन को आस्था और भक्ति के लिए समर्पित कर दिया है। हंसगिरी बाबा उनकी श्रेणी में एक प्रेरणादायक नाम बन चुके हैं, जो अपनी साइकिल पर ही दुनिया भर की यात्रा कर आस्था की नई ऊंचाई छू रहे हैं।