“दीन दयाल जी” के नाम पर बना संस्थान अजमेर में गुटबाजी का शिकार

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अपने मूल उद्देश्य से भटका
पार्टी और माननीय विरोधी नेता! कर रहे हैं दुरुपयोग

दीनों पर दया करने वाले महापुरुषों के नाम अजमेर में सियासी तौर पर अपना दबदबा कायम करने के लिए इस्तेमाल हो रहे हैं। जी हाँ अजमेर का दीनदयाल जी के नाम पर एकात्म मानव दर्शन अनुसन्धान एवं विकास संस्थान पिछले कुछ समय से पार्टी विरोधी नेताओं के प्रयोग और उपयोग के लिए सुरक्षित हो गया है।

यहाँ आप सबकी जानकारी के लिए बता दूँ कि पंडित दीनदयाल पर शोध करने वाले और राष्ट्रीय स्तर पर इस संस्थान का दायित्व संभाल रहे डॉ. महेश शर्मा द्वारा यह संस्थान अजमेर में बनाया गया था । इस संस्थान का शुरूआत में दायित्व राज्य के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद प्रो बी पी सारस्वत और आनंद सिंह राजावत को सौपा गया था। इसका उद्देश्य प्रबुद्ध लोगों को आपस में जोड़ना और जन जन तक दीनदयाल जी के त्याग, समर्पण की जानकारी पहुँचाना था।

संस्थान द्वारा साल में एक आध संगोष्ठी आयोजित की जाती थी। इसमें अधिकतर गैर राजनीतिक प्रबुद्ध लोग भाग लिया करते थे। शनै शनै यह संस्थान लगभग निष्क्रिय हो चुका था।

अब अचानक पिछले 6 महीनों में इस संस्थान के शायद अच्छे दिन आ गए हैं। अब तो आए दिन इस संस्थान की तरफ से गोष्ठियां होने लगी हैं। अब तक 4-5 संगोष्ठी इस संस्थान के बैनर तले हो चुकी हैं। ये बात अलग है कि भले ही इन गोष्ठियों में लोगों की संख्या 15-20 ही रहती है।

आश्चर्य की बात यह है कि शुरूआती दायित्व संभालने वाले डॉ बी पी सारस्वत कहीं दिखाई नहीं देते। उनका इन कार्यक्रमों से दूरी बनाना चचार्ओं में आ गया है।

जानकारी लेने पर पता चला कि क्यों कि अब इस संस्थान में कथित तौर पर पार्टी विरोधी लोग ही सक्रिय हैं। कुछ सक्रिय लोग अब सारस्वत को कार्यक्रम की जानकारी ही नहीं देते इसलिए चाह कर भी सारस्वत गोष्ठियों में भाग नहीं ले पाते। आयोजकों में से एक जो भाजपा विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने से निष्कासित किए जा चुके हैं संस्थान का इस्तेमाल कुछ अलग मकसद से कर रहे हैं।

अब इस संस्थान से शहर के दद्दू भी जुड़ गए हैं। यह वही पके हुए कद्दू हैं जिन्हें “माननीय” जी ने अपने से दूर करके उनकी असली औकात दिखा दी थी। सुना है अब वे माननीय जी के विरोधी हो गए हैं। उनके डी डी संस्थान से जुड़ने के पीछे भी बहुत बड़ा कारण है। जानकारी में आया है कि माननीय के सामने यदि वह बिल्कुल निष्क्रिय हो गए तो शहर से उनका बचा कुचा वजूद भी खत्म हो जायेगा । सोची समझी रणनीति के तहत ही वे निष्कासित नेता जी के पाले में आकर इस संस्थान से जुड़ गए हैं। जल्दी जल्दी इस मंच पर संगोष्ठीयां की जाने लगी हैं। उनकी गलत फहमी है कि इन संगोष्ठियों से विरोधी गुट की शहर में उपस्थिति बनी हुई है।

माननीय जी के विरोधियों के पास और कोई विकल्प नहीं होने के कारण वे सब भी इस संस्थान से जुड़ गए है।

लोगों का कहना है कि “डी डी”संस्थान अब पार्टी विरोधियों या यूँ कहें “माननीय” विरोधियों का मंच बनकर रह गया है। पार्टी समर्पित बी.पी. सारस्वत ही अब तक इस संस्थान से जुड़ें दिखाई दे रहे थे। परन्तु जब वह भी ‘आजा मेरी गाड़ी मे बैठ जा’ गाने की तर्ज पर खुले आम माननीय के साथ उनकी गाड़ी में बैठकर जयपुर चले गए तो अब तो “डी डी” संस्थान पूर्ण रूप से केवल पार्टी / माननीय विरोधी मंच बन कर रह गया है। दो ध्रुवो के मिलन का मौका था अजमेर बार के शपथ ग्रहण कार्यक्रम का। अब पूरी शहर भाजपा में इस मिलन से खलबली मच गई है।

जाहिर है कि शहर भाजपा में फिर एक बार नया गठजोड़ होता दिखाई दे रहा है। इस गठजोड़ की सबसे ज्यादा प्रतिक्रिया दक्षिण मुखी नेताओं में दिखाई देगी। दक्षिण में नेतागिरी करने वाले कई कानूनविद नेता कोर्ट में हुए शपथ ग्रहण कार्यक्रम में उपस्थित थे और दो ध्रुवो के मिलन का ये दृश्य देखकर अचंभित भी। वैसे भी माननीय के जन्मदिन पर हुए कार्यक्रम में दक्षिण मुखी कई कद्दावर नेताओं ने उपस्थिति दर्ज करवाकर राजनीतिक चहल पहल बढ़ा रखी है।

शहर भाजपा में लगभग सभी ताकतवर धड़े ! माननीय जी के साथ होने से यह तय है कि आने वाले समय में भाजपा के प्रदेश संगठन में “माननीय” का दबदबा बढेगा। राजनीतिक नियुक्तियों में भी उनके लोग समायोजित होंगे।

दोस्तों! विधानसभा अध्यक्षो के सम्मलेन में भाग लेने गए देवनानी जी की तबियत कल कुछ खराब हो गई थी। अब उनकी हालत में सुधार है। मैं देवनानी जी के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करता हूँ।
फिलहाल..
दीन दयाल बिरिदु संभारी,
हरहु नाथ मम संकट भारी’

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