जिन करोड़ों भारतीयों के पास सरकारी और निजी क्षेत्र की नौकरी नहीं है, उनका क्या होगा?

1
(1)

सरकारी कार्मिकों को कम से कम मुफ्त की योजनाओं से तो वंचित किया जाए

देश भर के सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए केंद्र सरकार ने 8 वें वेतन आयोग की घोषणा कर दी है। इसका लाभ कार्मिकों और पेंशनर्स को अगले वर्ष से मिलना शुरू हो जाएगा। कार्मिकों के मौजूदा वेतन में 38 और रिटायर कार्मिकों की पेंशन में 34 प्रतिशत की वृद्धि होगी। न्यूनतम वेतन 34 हजार रुपए हो जाएगा। देश भर 45 लाख कर्मचारी और 65 लाख पेंशनर्स हैं। यह संख्या केंद्रीय कर्मचारियों की है। जब केंद्रीय कर्मचारियों का वेतन बढ़ता है तो राज्य सरकारें भी अपने कर्मचारियों का वेतन केंद्र के अनुरूप ही कर देती है।
अकेले राजस्थान में राज्य सरकार के 12 लाख से ज्यादा कर्मचारी है। इससे देश भर में राज्य कर्मचारियों की संख्या का अंदाजा लगाया जा सकता है। निजी क्षेत्र के कार्मिकों का वेतन पहले से ही बहुत ज्यादा है। आमतौर पर निजी क्षेत्र में भी न्यूनतम वेतन 40 हजार रुपए प्रतिमाह है। सवाल उठता है कि जिन भारतीयों के पास सरकारी और निजी क्षेत्र की नौकरी नहीं है, उनका क्या होगा? कर्मचारियों का वेतन बढ़ने से गैर कार्मिकों को कोई फायदा नहीं होता।
महंगाई बढ़ने के साथ ही कार्मिकों का तो वेतन बढ़ जाता है जबकि गैर कार्मिकों को अपनी सीमित आय से ही महंगाई का मुकाबला करना होता है। यह सही है कि वोट की खातिर राजनीतिक दल अब सभी नागरिकों को मुफ्त की योजनाओं का लाभ दे रहे है। महिलाओं को तो प्रतिमाह ढाई हजार रुपया तक दिया जा रहा है। बिजली, पानी, शिक्षा, चिकित्सा, राशन सामग्री आदि भी फ्री में मिल रही है। कम से कम मुफ्त की योजनाओं से सरकारी कर्मचारियों को वंचित किया जाना चाहिए। यदि मुफ्त की योजनाओं से सरकारी और निजी क्षेत्र के कार्मिक वंचित होते हैं इसका फायदा गैर कार्मिकों को मिलेगा।

क्या आप इस पोस्ट को रेटिंग दे सकते हैं?

इसे रेट करने के लिए किसी स्टार पर क्लिक करें!

औसत श्रेणी 1 / 5. वोटों की संख्या: 1

अब तक कोई वोट नहीं! इस पोस्ट को रेट करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

Leave a Comment