राजस्थान में ऐसी व्यवस्था स्थानीय निकायों में क्यों नहीं हो रही? 49 निकायों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है
वन स्टेट वन इलेक्शन की कवायद
राजस्थान में वन स्टेट वन इलेक्शन की कवायद के तहत ग्राम पंचायतों में सरपंच को ही प्रशासक नियुक्त करने का फैसला राज्य सरकार ने कर लिया है। प्रदेश में अधिकांश ग्राम पंचायतों का कार्यकाल 31 जनवरी को पूरा हो जाएगा। सरकार ने फैसला किया है कि कार्यकाल समाप्त होते ही एक कमेटी का गठन कर सरपंच को ही ग्राम पंचायत का प्रशासक नियुक्त कर दिया जाएगा। इस कमेटी में ग्राम पंचायत के वार्ड पंच और उपसरपंच ही सदस्य होंगे। यानी कार्यकाल समाप्त हो जाने के बाद भी कोई 11 हजार व्यक्तियों का सरपंच पद कायम रहेगा। जानकार सूत्रों के अनुसार राजस्थान में पंचायती राज और स्थानीय निकाय संस्थाओं के चुनाव अगले वर्ष कराए जाएंगे। जब तक चुनाव नहीं होंगे तब तक सरपंच ही प्रशासक की भूमिका निभाते रहेंगे। राज्य सरकार के इस फैसले से निवर्तमान सरपंच बेहद खुश है, क्योंकि बगैर चुनाव के ही एक डेढ़ साल तक सरपंची करने का अवसर मिल गया है। एक ग्राम पंचायत में सरपंच किस तरीके से काम करता है इसके बारे में पंचायत के ग्रामीण अच्छी तरह जानते हैं। सरपंच बनने से पहले जिस व्यक्ति के पास साइकिल भी नहीं होती, वह सरपंच बनने के बाद एक दो साल में ही 20-20 लाख रुपए की कीमत वाली कार में बैठा नजर आता है। जो ग्राम पंचायतें शहरी सीमा में आ गई है, उनके अधिकांश सरपंच तो मालामाल हो गए हैं। ऐसे सरपंचों को राज्य सरकार ने डेढ़ साल तक पद पर बने रहने की छूट दे दी है।
स्थानीय निकायों में ऐसी सुविधा क्यों नहीं?:
राजस्थान की 158 स्थानीय निकाय (पालिका, परिषद और निगम) संस्थाओं में से 49 का कार्यकाल गत वर्ष 25 नवंबर को पूरा हो गया। शेष संस्थाओं का कार्यकाल भी जनवरी 26 तक पूरा हो जाएगा। सवाल उठता है कि जिन स्थानीय निकायों का कार्यकाल पूरा हो गया था, वहां पंचायती राज राज जैसी व्यवस्था लागू क्यों नहीं की गई? सरकार ने सरपंचों का तो ख्याल रखा, लेकिन पालिका, परिषद और नगर निगम के प्रमुखों एवं वार्ड पार्षदों का ख्याल नहीं रखा। एक तरह से यह शहरी मतदाताओं के साथ भेदभाव भी है। जब स्थानीय निकाय संस्थाओं के चुनाव भी पंचायती राज के साथ कराए जाएंगे तो फिर पंचायतीराज जैसी व्यवस्था स्थानीय निकायों में भी होनी चाहिए। जिन 49 निकायों का कार्यकाल पूरा हो चुका है, उनमें पुष्कर नगर परिषद भी शामिल है।
परिषद के निवर्तमान अध्यक्ष कमल पाठक ने कहा कि वे पुष्कर के विधायक और प्रदेश के जल संसाधन मंत्री सुरेश रावत के माध्यम से मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से मुलाकात करेंगे। उनका प्रयास है कि 49 निकायों के निवर्तमान प्रमुखों और पार्षदों को एकजुट करें, ताकि पंचायतीराज जैसी व्यवस्था स्थानीय निकायों में भी हो सके। कमल पाठक की सक्रियता की ओर अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9414300172 पर ली जा सकती है।
एस पी मित्तल
वर्ष 2016 में मेरी उम्र 54 वर्ष है और मैं करीब 40 वर्षों से पत्रकारिता कर रहा हूँ | पत्रकारिता की घुट्टी जन्मजात है। मेरे पिता स्व.कृष्ण गोपाल जी गुप्ता जो भभक पाक्षिक पत्र निकालते रहे। उससे मैंने पत्रकारिता का सबक सीखा। मेरी पत्रकारिता की यात्रा में दैनिक राष्ट्रदूत, दैनिक भास्कर, दैनिक नवज्योति, दैनिक पंजाब केसरी आदि अखबारों का सहयोग तो रहा ही है, लेकिन वर्ष 2000 में जब मैंने सम्पूर्ण उत्तर भारत में पहली बार केबल नेटवर्क पर न्यूज चैनल शुरू किया तो मुझे सीखने का जोरदार अवसर मिला। जिलेभर के केबल ऑपरेटरों की मदद से जब एक घंटे की न्यूज का प्रसारण हुआ तो अजमेर सहित राजस्थान भर में तहलका मच गया। हालांकि साधनों के अभाव और बड़े मीडिया घरानों के केबल में कूद पडऩे से मुझे अपना अजमेर अब तक नामक चैनल बंद करना पड़ा। 17 नवम्बर 2005 को जब मैंने देश के राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से अजमेर के सर्किट हाऊस में व्यक्तिगत मुलाकात की तो मुझे एक सुखद अनुभूति हुई। यूं तो मेरे लिखे की गूंज राजस्थान विधानसभा से लेकर लोकसभा तक में हुई है, लेकिन मेरी पत्रकारिता की सबसे बड़ी सफलता यही है कि मैं आज भी नियमित लिख रहा हूँ | यदि किसी पाठक के पास कोई सुझाव हो तो अवश्य दें | आपका एस.पी.मित्तल