महाकुंभ 2025 में बाबा मंगल गिरी अपने 11 किलो के रुद्राक्ष मुकुट के साथ आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। भगवान शिव के प्रति समर्पित यह हठ योग उनकी गौ रक्षा और जनकल्याण के संकल्प को दशार्ता है।
महाकुंभ नगर, प्रयागराज। महाकुंभ 2025 का अद्भुत आयोजन प्रयागराज में जारी है, जहां श्रद्धालु एक से बढ़कर एक साधु-संतों की आध्यात्मिक साधना का दर्शन कर रहे हैं। लेकिन इनमें सबसे अधिक चर्चा का केंद्र बने हुए हैं पंचदशनाम आवाहन अखाड़े से जुड़े बफार्नी बाबा मंगल गिरी, जिनका हठ योग श्रद्धालुओं के लिए चमत्कार बन गया है। बाबा के सिर पर 11 किग्रा. की रुद्राक्ष की माला है, जिसे उन्होंने भगवान शिव के आंसुओं का प्रतीक मानकर धारण किया है।
भोलेनाथ की भक्ति में डूबे बाबा मंगल गिरी
बाबा मंगल गिरी ने बताया कि उनका यह हठ योग वर्ष 2013 में शुरू हुआ था। तब रुद्राक्ष माला का वजन कम था, लेकिन तप और संकल्प के साथ यह बढ़ते-बढ़ते अब 11 किग्रा तक पहुंच गया है। बाबा का कहना है कि वह इसे 21 किग्रा. तक ले जाने का दृढ़ निश्चय कर चुके हैं। यह माला उनके लिए केवल एक मुकुट नहीं, बल्कि भगवान शिव के प्रति उनकी अगाध भक्ति और गौ रक्षा व जनकल्याण के प्रति उनका व्रत है।
15 साल की तपस्या और काशी में निवास
बाबा मंगल गिरी ने अपनी साधना की शुरूआत केदारनाथ के बफीर्ले क्षेत्रों में 15 साल तपस्या से की। वहां की कठिन परिस्थितियों में उन्होंने भक्ति और ध्यान के माध्यम से अपनी साधना को और गहराई दी। वर्तमान में वह काशी में वास करते हैं, जहां उनका यह रुद्राक्ष मुकुट हर किसी का ध्यान आकर्षित करता है।
श्रद्धालुओं का उमड़ा जनसैलाब
बाबा मंगल गिरी का कहना है, “हमने यह संकल्प लिया है कि भगवान शिव के आंसुओं से बने रुद्राक्ष को अपने सिर पर धारण कर गौ रक्षा और धर्म कल्याण का संदेश फैलाएंगे।” उनके इस अनोखे हठ योग को देखने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आ रहे हैं। हर कोई बाबा के संकल्प और भक्ति से प्रेरित हो रहा है।
गौ रक्षा और जनकल्याण का संदेश
बाबा मंगल गिरी का मानना है कि उनका यह हठ योग समाज में धर्म और आध्यात्मिक जागरूकता लाने के लिए है। वह इसे गौ रक्षा, पर्यावरण संरक्षण और समाज कल्याण के प्रति अपने समर्पण का प्रतीक मानते हैं।
महाकुंभ का आकर्षण बने बाबा मंगल गिरी
महाकुंभ 2025 में बाबा मंगल गिरी का यह तपस्या और अनूठा हठ योग सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है। श्रद्धालु उनके पास आशीर्वाद लेने और उनकी कहानी सुनने के लिए उमड़ रहे हैं। बाबा का यह संकल्प न केवल आध्यात्मिक महत्व रखता है, बल्कि समाज में भक्ति और समर्पण की भावना को भी प्रोत्साहित करता है। आप भी महाकुंभ 2025 में बाबा मंगल गिरी के इस अद्भुत योग को देखने जरूर आएं और उनकी प्रेरणादायक कहानी का हिस्सा बनें।