अशोक गहलोत के दिल्ली पहुंचते ही टीएमसी और सपा ने कांग्रेस को झटका दिया

0
(0)

दिल्ली में अब मुसलमानों के एकमुश्त वोट केजरीवाल को मिलेंगे
गत दो बार से कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं है

दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों के लिए 10 जनवरी से नामांकन शुरू हो जाएगा। 5 फरवरी को मतदान तथा 8 फरवरी को मतगणना होगी। देश की राजधानी वाले इस प्रदेश में चुनाव जीतने के लिए इस बार कांग्रेस ने भी पूरी ताकत लगा दी है। जिन वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदारी दी गई है, उनमें राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी शामिल हैं। गहलोत 7 जनवरी को दिल्ली पहुंचे तो टीएमसी और समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को तगड़ा झटका दिया। टीएमसी की नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तथा दिल्ली की सीमा से ले समाजवादी पार्टी के प्रभाव वाले उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी को समर्थन देने की घोषणा कर दी।

सपा और टीएमसी भले ही इंडिया गठबंधन में कांग्रेस के साथ हो, लेकिन इन दोनों पार्टियां का मानना है कि दिल्ली के चुनाव में भाजपा का मुकाबला अरविंद केजरीवाल की पार्टी ही कर सकती है। इस बार आप ने भी कांग्रेस से कोई गठबंधन नहीं किया है। केजरीवाल को पहले ही मुस्लिम परस्त माना जाता है और अब टीएमसी और सपा के समर्थन के बाद कहा जा रहा है कि चुनाव में दिल्ली के मुसलमानों के एकमुश्त वोट केजरीवाल को ही मिलेंगे। गत दो चुनावों में 70 में से कांग्रेस को एक सीट भी नहीं मिली। वर्ष 2020 के चुनावों में केजरीवाल को 62 और भाजपा को 8 सीटें मिली, लेकिन भाजपा ने 38.7 प्रतिशत वोट प्राप्त किए। जबकि कांग्रेस को मात्र चार प्रतिशत वोट मिले।

केजरीवाल की पार्टी की जीत में मुस्लिम वोटों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के मुसलमानों की तरह दिल्ली के मुसलमानों को भी पता है कि कांग्रेस अब भाजपा का मुकाबला नहीं कर सकती है। पश्चिम बंगाल में टीएमसी और उत्तर प्रदेश में सपा की जीत में बड़ा योगदान मुस्लिम मतदाताओं का है। उत्तर प्रदेश में मौजूदा समय में भी लोकसभा की 80 में से 37 सीटें सपा के पास है। इसी प्रकार 125 विधायक सपा के हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व को लगता है कि अशोक गहलोत जैसे नेताओं की बदौलत दिल्ली में कुछ सफलता हासिल कर ली जाएगी। देखना होगा कि दिल्ली में गहलोत की वजह से कांग्रेस को कितना फायदा होता है। वैसे गहलोत ने महाराष्ट्र और गुजरात में भी प्रचार किया था, जहां कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया।

क्या आप इस पोस्ट को रेटिंग दे सकते हैं?

इसे रेट करने के लिए किसी स्टार पर क्लिक करें!

औसत श्रेणी 0 / 5. वोटों की संख्या: 0

अब तक कोई वोट नहीं! इस पोस्ट को रेट करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

Leave a Comment