राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष डोटासरा अब और क्या देखना चाहते हैं?
6 जनवरी को राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने बांसवाड़ा में एक सभा को संबोधित किया। यह सभा बांसवाड़ा को संभाग का दर्जा खत्म करने के विरोध में आयोजित की गई थी। डोटासरा ने अपने अंदाज में कहा कि क्या काकजी का राज है, जो मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने बांसवाड़ा के संभाग के दर्जा को खत्म कर दिया। इससे पहले डोटासरा ने सीकर में आयोजित एक ऐसी ही सभा में कहा कि भजन सरकार की औकात नहीं कि वह संभाग और जिलों को समाप्त कर दें। समझ में नहीं आता कि डोटासरा किस संदर्भ में काकाजी का राज और औकात वाली बात कह रहे हैं।
भजन सरकार ने तो सीकर, बांसवाड़ा और पाली तीनों नए संभागों के साथ साथ 9 नए जिले भी समाप्त कर दिए। इन सभी का गठन पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में किया गया था। सरकार ने जब तीन संभाग और 9 जिले समाप्त के आदेश ही जारी कर दिए है, तब डोटासरा कौन सा काकाजी का राज और औकात देखना चाहते हैं? भजन सरकार ने अपने आदेश के साथ ही समाप्त किए गए संभागों से कमिश्नर व आईजी तथा जिलों से कलेक्टर व एसपी भी हटा दिए हैं।
मुख्यमंत्री शर्मा ने स्पष्ट कर दिया है कि अब समाप्त किए गए संभागों और जिलों पर अब पुनर्विचार नहीं होगा। यानी भजन सरकार अपने फैसले पर कायम रहेगी। इतनी स्पष्टता के बाद भी डोटासरा सरकार की औकात को चुनौती दे रहे हैं। असल में डोटासरा को लगता है कि विरोध करने से संभाग और जिले बहाल हो सकते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि कांग्रेस के विरोध को जनसमर्थन नहीं मिल रहा है। यहां तक की कांग्रेस के कार्यकर्ता भी एकजुट नहीं हो पा रहे हैं।
कांग्रेस को यह समझना चाहिए कि 80 प्रतिशत लोगों का काम कलेक्टर, एसपी से नहीं पड़ता। इन 80 प्रतिशत लोगों का काम ग्राम पंचायत और शहर में स्थानीय निकाय से ही होता है। बहुत से लोगों का तो इन दोनों संस्था के पास काम नहीं पड़ता। यह बात जरूर है कि जिन भू-कारोबारियों ने नए जिलों के गठन के समय जमीन खरीद ली उन्हें अब जिला समाप्त होने पर नुकसान हुआ है। हो सकता है कि ऐसे लोग कांग्रेस के विरोध में शामिल हो। जहां तक प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति का सवाल है तो हाल ही के 7 विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव में कांग्रेस की चार क्षेत्रों में जमानत जब्त हो गई है। कांग्रेस को अपनी इस स्थिति पर विचार करना चाहिए।