बिहार पुलिस ने चार दिन में ही प्रशांत किशोर का अनशन खत्म करवा दिया, जबकि पंजाब में किसान नेता डल्लेवाल 42 दिन से आमरण अनशन पर है

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सुप्रीम कोर्ट की भी नहीं सुन रही पंजाब पुलिस

बिहार में बीपीएससी की परीक्षा रद्द करवाने की मांग को लेकर स्वराज पार्टी के संयोजक प्रशांत किशोर ने पटना में 2 जनवरी को गांधी मैदान में आमरण अनशन शुरू किया था। अनशन के दौरान प्रशांत किशोर के समर्थक बड़ी संख्या में गांधी मैदान पर उपस्थित रहे। गांधी मैदान पर अनशन के लिए प्रशांत किशोर ने पुलिस और प्रशासन से अनुमति नहीं ली, इसलिए पांच जनवरी की रात को पटना पुलिस ने समर्थकों को तितर-बितर कर प्रशांत किशोर को गिरफ्तार कर लिया। इलाज के लिए किशोर को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

पुलिस ने प्रशांत किशोर के गिरते स्वास्थ्य पर भी चिंता जताई। एक और बिहार में पुलिस ने चार दिनों में ही प्रशांत किशोर का अनशन खत्म करवा दिया तो वहीं पंजाब में किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का 6 जनवरी को 42 वें दिन भी अनशन को समाप्त करवाने में पुलिस को सफलता नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने कई बार पंजाब सरकार को फटकार भी लगाई है। कोर्ट का यहां तक कहना रहा कि डल्लेवाल को आत्महत्या के लिए पंजाब सरकार प्रेरित कर रही है। असल में राज्य सरकार की ओर से कहा गया है कि डल्लेवाल पंजाब हरियाणा की सीमा पर अपने समर्थकों के साथ अनशन कर रहे है। समर्थक भी पुलिस को डल्लेवाल तक पहुंचने नहीं दे रहे।

पुलिस ऐसी स्थिति में नहीं है कि डल्लेवाल को अनशन स्थल से जबरन उठाकर अस्पताल में भर्ती करवा दे। पुलिस ने अपनी लाचारी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रख दी है। पंजाब में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी की सरकार है। मुख्यमंत्री भगवंत मान भी किसान नेता डल्लेवाल के आमरण अनशन पर चुप्पी साधे हुए हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि डल्लेवाल के अनशन को पंजाब सरकार और अरविंद केजरीवाल का समर्थन है। सवाल उठता है कि यदि अनशन के दौरान कोई अप्रिय घटना हो जाएगी तो कौन जिम्मेदार होगा?

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