पीएम मोदी की ओर से भेजी गई चादर पर ख्वाजा साहब की दरगाह के प्रतिनिधियों ने अकीदत दिखाई

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जियारत के लिए आने वाले जायरीन की तकलीफों को मोदी सरकार दूर करेगी
मोदी सरकार की नजर में अब दरगाह में मंदिर होने का कोई मुद्दा नहीं

4 जनवरी को जब अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से चादर पेश की गई तो चादर से जुड़े प्रतिनिधियों ने भी चादर के प्रति पूरी अकीदत दिखाई। दरगाह में इन दिनों ख्वाजा साहब के 813 वें सालाना उर्स की छह दिवसीय रस्में हो रही है। देश के प्रधानमंत्री की ओर से उर्स में चादर भेजने की परंपरा है। परंपरा को निभाने के लिए ही केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलात मंत्री किरण रिजिजू पीएम की चादर को लेकर अजमेर आए। यहां दरगाह की परंपरा के अनुरूप मंत्री रिजिजू और पीएम की चादर का इस्तकबाल हुआ।

दरगाह की धार्मिक रस्मों पर एकाधिकार रखने वाले खादिमों की प्रतिनिधि संस्था सैयद जादगान के अध्यक्ष गुलाम किबरिया और सचिव सरवर चिश्ती ने परंपरागत तरीके से स्वागत किया। चिश्ती ने मंत्री को अंजुमन की गतिविधियों से अवगत भी कराया। रिजिजू ने अंजुमन के अतिथि रजिस्टर में अपनी भावनाओं को भी लिखा। रिजिजू ने दरगाह को साम्प्रदायिक सौहार्द का स्थल बताया। दरगाह के दीवान के प्रतिनिधि और आॅल इंडिया सज्जादानशीन कौंसिल के अध्यक्ष सैयद नसरुद्दीन चिश्ती ने भी चादर का इस्तकबाल किया। यहां उल्लेखनीय है कि सज्जादानशीन कौंसिल ने वक्फ बोर्ड एक्ट में संशोधन का समर्थन किया है।

सरकार ने जब संसद में संशोधन प्रस्ताव को रखा तब चिश्ती के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल ने किरण रिजिजू से मुलाकात भी की। दरगाह को केंद्र मानकर सूफिज्म को बढ़ावा देने वाले दरगाह के खादिम सलमान चिश्ती ने भी पीएम की चादर के साथ रहे। खादिम अफशान चिश्ती ने दरगाह की सभी परंपराओं को निभाते हुए रिजिजू को जियारत करवाई। चूंकि दरगाह कमेटी अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधीन आती है, इसलिए कमेटी के तमाम अधिकारी भी पीएम की चादर के समय दरगाह में उपस्थित रहे।

दरगाह के खादिम परिवारों से जुड़े कई युवा यूट्यूब पर चैनल चलाते हैं। इन चैनलों पर भी पीएम मोदी की चादर का लाइव प्रसारण किया गया। दरगाह से जुड़े सभी प्रतिनिधियों ने पीएम की चादर और मंत्री रिजिजू के प्रति अकीदत दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़। रिजिजू को दरगाह परिसर में जो सम्मान मिला उस से वे उत्साहित भी नजर आए। दरगाह परिसर में खड़े होकर ही रिजिजू ने पीएम मोदी का संदेश भी पढ़कर सुनाया। पीएम ने अपने संदेश में कहा कि ख्वाजा साहब ने समाज में प्रेम एवं सौहार्द को बढ़ाने के लिए जो काम किया उसका प्रभावी हमारी पीढियों पर निरंतर रहेगा।

जायरीन की तकलीफों को दूर करेंगे

केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने माना कि मौजूदा समय में दरगाह में आने वाले जायरीन को अनेक तकलीफें होती है, खासकर महिलाओं को ज्यादा परेशानी होती है। रिजिजू ने यह बात दरगाह क्षेत्र में सुलभ शौचालय नहीं होने के संदर्भ में कही। दरगाह क्षेत्र में सुलभ शौचालय की मांग कई बार उठ चुकी है। लेकिन इसका समाधान आज तक भी नहीं हुआ है। जबकि छह दिवसीय उर्स में लाखों जायरीन आते हैं। प्रतिदिन भी औसतन पचास हजार जायरीन आते हैं। इसके अलावा जायरीन को दरगाह के अंदर भी अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। रिजिजू के बयान से प्रतीत होता है कि वे जायरीन को होने वाली तकलीफों का पहले ही अध्ययन करके आए थे।

मंदिर का कोई मुद्दा नहीं

केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलात मंत्री किरण रिजिजू ने 4 जनवरी को जिस तरह पीएम मोदी की चादर को ख्वाजा साहब की मजार पर पेश किया उसके बाद दरगाह में मंदिर का कोई मुद्दा नहीं रहा है। उल्लेखनीय है कि हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की याचिका पर अजमेर की सिविल अदालत ने केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलात मंत्रालय, पुरातत्व विभाग और दरगाह कमेटी को नोटिस जारी किए हैं। जब अल्पसंख्यक मामलात मंत्री ने ख्वाजा साहब और उनकी दरगाह के प्रति इतनी आस्था दिखा दी है, तब मोदी सरकार का भी रुख स्पष्ट हो गया है। कहा जा सकता है कि मोदी सरकार की नजर में अब दरगाह में मंदिर होने का कोई मुद्दा नहीं रहा। दरगाह कमेटी ने अपने प्राथमिक जवाब में पहले ही विष्णु गुप्ता के वाद को खारिज करने की मांग कर रखी है। कमेटी का कहना है कि दरगाह का संचालन दरगाह एक्ट 1955 के अंतर्गत होता है, इसलिए दरगाह का सर्वे नहीं करवाया जा सकता।

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