कबूतरबाजों के गिरोह सक्रिय हैं राजस्थान में

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अलग अलग विषयों की “डेप्थ स्टोरी” पर गहराई से पड़ताल करना मेरा शौक है। बहुत मेहनत करनी पड़ती है इसके लिए… मगर जब ब्लॉग तैयार होता है तो पाठकों को बेहतरीन जानकारियां मिल जाती हैं। माफियायों के विरुद्ध मैंने पिछले कई ब्लॉग्स लिखे। इस बार राजस्थान के मानव तस्करों पर आपको चौंकाने वाली जानकारियां दे रहा हूँ। मानव तस्करी माफियायों के लिए राजस्थान उनकी पहली पसंद है।

 

पूरे देश में मानव तस्करी माफियायों के मामलों में राजस्थान दूसरे नम्बर पर है। साल 2024 में देश भर में दर्ज हुए 10 हजार से अधिक मामलों में  अकेले राजस्थान में 17 प्रतिशत केस दर्ज हुए।

 

मानव तस्करी को प्रचलित भाषा मे कबूतरबाजी भी कहा जाता है। इन कबूतरबाजों के एजेंट राजस्थान के विभिन्न शहरों में फैले हुए हैं। कई शहरों में तो बाकायदा इन्होंने अपने दफ़्तर भी खोल रखे हैं। इन दफ़्तरों में अंग्रेजी बोलने वाले युवक युवतियों को मोटी तनख्वाह पर रखा जाता है। विदेशों में नौकरी लगाने के सपने दिखा कर उनसे मोटी रकम वसूली जाती है। विदेशों में बैठे इनके एजेंट भी कबूतरबाजी में शामिल होते हैं।

मानव तस्करी और साइबर फ्रॉड के मामले में शुक्रवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने राजस्थान सहित तीन राज्यों के कई स्थानों पर छापेमारी की। यह छापेमारी गुरुग्राम के फेमस यूट्यूबर बॉबी कटारिया के कबूतरबाजी से जुडी बताई जा रही है।

दरअसल नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी ने शुक्रवार को राजस्थान सहित तीन राज्यों के कई स्थानों पर छापेमारी की, ताकि मानव तस्करी और साइबर धोखाधड़ी मामलों में शामिल विभिन्न संदिग्धों की संलिप्तता की पहचान की जा सके।

एनआईए टीमों ने तीन राज्यों दिल्ली, हरियाणा,और राजस्थान में पांच स्थानों की तलाशी ली। यह कार्रवाई भारत के कमजोर युवाओं को लाओस के गोल्डन ट्राएंगल एसईजेड में तस्करी करने वाले व्यक्तियों और ट्रैवल एजेंटों पर एजेंसी की चल रही कार्रवाई का हिस्सा थी।

तलाशी के दौरान डिजिटल उपकरण और दस्तावेजों सहित आपत्तिजनक सामग्री बरामद की गई।

नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी ने एक प्रेस बयान में कहा, तलाशी की गई जगहें मुख्य आरोपी बलवंत उर्फ बॉबी कटारिया के सहयोगियों और कार्यालयों से संबंधित थीं।

एजेंसी ने यह भी बताया कि उनकी जांच में पता चला है कि संदिग्ध पीड़ितों को तस्करी में जोड़ा जा रहा था। उन्हें लाओस में एक साइबर धोखाधड़ी कंपनी में भर्ती और उनके लॉजिस्टिक्स को संभालने का दायित्व दिया जा रहा था।

जांच के दायरे में मानव तस्करी सिंडिकेट गुरुग्राम और भारत के भीतर और बाहर के अन्य क्षेत्रों से संचालित हो रहा था। यह पीड़ितों की भर्ती, परिवहन और भारत से लाओस के गोल्डन ट्राएंगल एसईजेड में उनके स्थानांतरण से संबंधित है।

एजेंसी द्वारा जारी बयान में बताया गया कि गुरुग्राम पुलिस द्वारा दर्ज किए गए मामले को एनआईए ने इसी महीने की शुरूआत में अपने हाथ में लिया है। इसकी प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ कि जिन संदिग्धों के परिसर की आज तलाशी ली गई, वे आरोपी बलवंत उर्फ बॉबी कटारिया, एमबीके ग्लोबल वीजा प्राइवेट लिमिटेड के मालिक, के लिए काम कर रहे थे।

मेरी अर्जित जानकारी के मुताबिक कबूतरबाज विदेशों में आकर्षक नौकरियों का वादा करके युवाओं को फंसाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। अंग्रेजी में प्रवीण पीड़ितों को सोशल मीडिया चैनलों के माध्यम से लुभाया जाता है और धोखाधड़ी से विदेशों में भेजा जाता है, जहां उन्हें फर्जी कॉल सेंटरों में काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। यदि वे सहयोग करने से मना करते हैं तो उन्हें शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है और उनके यात्रा दस्तावेज छीन लिए जाते हैं।

कुछ समय पहले अजमेर के कुछ युवकों को इसी तरह के गिरोह ने अपने जाल में फांस लिया था जिसे बमुश्किल अजमेर लाया गया। पीड़ितों के परिवारों ने तस्करों को बड़ी रकम अदा कर छुड़वाया।

राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र जिसमें झुंझुनूं, सीकर, नीम का थाना शामिल हैं में बहुत से कबूतरबाज सक्रिय हैं। इसके अलावा गंगानगर, भीलवाड़ा, जैसलमेर, उदयपुर और पाकिस्तान से जुड़े क्षेत्रों में भी कई मानव तस्कर अपने गिरोह चला रहे हैं। बेरोजगारों की परेशानियों का लाभ उठाने वाले लोग राजस्थान में सबसे जियादा सक्रिय है। बिहार पहले नंबर पर है। राजस्थान सरकार यद्यपि इस दिशा में कई पुख़्ता कदम उठा रही है मगर अभी भी और प्रभावशाली कदम उठाने की जरूरत है।

गिरफ़्तार मानव तस्करी भी इस दिशा में महतवपूर्ण है। किसी व्यक्ति को बल प्रयोग कर, डराकर, धोखा देकर, हिंसा आदि के जरिए बंधक बनाकर रखना या उसे बेच देना गिरफ्तार मानव तस्करी के अंतर्गत आता है। मानव तस्करी के ज्यादातर मामले छोटे बच्चों या बालिकाओं के आते हैं। छोटे बच्चों को बाल श्रम के लिए दूसरे राज्य से गैरकानूनी तरीके से लाया जाता है। बच्चों को भीख मंगवाने, होटलों, घरों, ढाबों और दुकानों में काम करवाने के लिए भी बड़े पैमाने पर तस्करी की जाती है। बालिकाओं को देह व्यापार के लिए तस्करी की जाती है। ड्रग्स और हथियारों के बाद मानव तस्करी दुनिया का सबसे बड़ा संगठित अपराध है।

मानव तस्करी की बड़ी वजह पर बात करते हुए अजमेर के डॉ. अरविंद शर्मा बताते हैं कि हमारे देश में मानव तस्करी के कई बड़े कारण हैं। इनमें से प्रमुख कारण गरीबी, अशिक्षा, बंधुआ मजदूरी, देह व्यापार, सामाजिक असमानता, क्षेत्रीय लैंगिक असंतुलन, चाइल्ड पोर्नोग्राफी है। उन्होंने कहा कि 2016 के बाद से मानव तस्करी के आंकड़ों में कमी जरूर आई है,लेकिन जो गिरावट होनी चाहिए वो अभी तक नहीं हुई है। हालांकि राजस्थान के सभी जिला पुलिस मुख्यालय पर मानव तस्करी यूनिट का गठन किया गया है, जो समय-समय पर कार्रवाई करती है।

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