पुष्कर तीर्थ में हुई विशाल सभा
दिल्ली के कॉलेज का नाम वीर सावरकर रखने पर कांग्रेस को ऐतराज क्यों?
3 जनवरी को तीर्थ नगरी पुष्कर में अहिल्या बाई होलकर के त्रिशताब्दी जन्म समारोह के अवसर पर एक विशाल धर्म सभा हुई। इस सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि अहिल्या बाई इंदौर की रानी थी। वे चाहती तो सरकारी कोष से भी मंदिरों का जीर्णोद्धार कर सकती थी, लेकिन उन्होंने अपने 16 करोड़ रुपए के व्यक्तिगत कोष से देशभर के क्षतिग्रस्त मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया। यह राशि अहिल्या बाई को तब उनके ससुराल पक्ष से प्राप्त हुई थी।
उन्होंने कहा कि सब जानते हैं कि एक कट्टरपंथी विचारधारा ने भारत के मंदिरों को तोड़ा। ऐसे टूटे मंदिरों के जीर्णोद्धार और संरक्षण का काम तीन सौ वर्ष पहले रानी अहिल्या बाई होलकर ने किया। विपरीत परिस्थितियों में भी रानी होलकर ने तब देश के सामने एक अनूठी मिसाल प्रस्तुत की। यही वजह है कि आज रानी होलकर को लोकमाता के रूप में पूजा जा रहा है। उन्होंने भारत की आस्था और संस्कृति के प्रतीकों को ढूंढ ढूंढ कर जीर्णोद्धार करवाया।
उन्होंने रानी होलकर को न्याय की व्यवस्था करने वाली कुशल प्रशासक बताया। वे शिव की आाा मानकर धर्म की मयार्दा के अनुरूप शासन करने की पक्षधर थी। अनगिनत कष्टों के बाद भी अपने कर्तव्य मार्ग से तनिक भी विचलित नहीं हुई। आज की युवा पीढ़ी खासकर महिलाओं को रानी होलकर के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। धर्म सभा को मान पुरा पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी ज्ञानानंद और रानी होलकर के वंशज उदयराज होलकर ने भी संबोधित किया।
सभा से पहले पुष्कर तीर्थ में शोभायात्रा निकाली गई। इस शोभायात्रा में 300 बालिकाओं ने रानी होलकर का परिधान पहनकर प्रस्तुत दी। समारोह में समिति के संरक्षक रामनिवास वशिष्ट तथा अध्यक्ष दशरथ सिंह तंवर ने अतिथियों को स्मृति चिह्न देकर स्वागत किया।
कांग्रेस को ऐतराज क्यों
3 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में एक कॉलेज के भवन का शिलान्यास भी किया। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) से जुड़े इस कॉलेज का नाम स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर पर रखा गया है, लेकिन कांग्रेस ने सरकारी कॉलेज का नाम वीर सावरकर रखने पर ऐतराज जताया है। कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि कॉलेज का नाम हाल ही में दिवंगत पीएम मनमोहन सिंह के नाम पर रखा जाना चाहिए। कांग्रेस ने सावरकर को स्वतंत्रता सेनानी मानने से इंकार किया। इससे पहले भी कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी सावरकर के बारे में अशोभनीय टिप्पणी कर चुके हैं।
सवाल उठता है कि आखिर कांग्रेस को कॉलेज का नाम वीर सावरकर रखने पर ऐतराज क्यों है? इतिहास गवाह है कि सावरकर को खतरनाक स्वतंत्रता सेनानी मानते हुए अंग्रेजों ने अंडमान निकोबार में कालापानी की सजा दी थी। सावरकर 13 साल से भी ज्यादा काला पानी वाली इस जेल में रहे। जहां तक माफी वाले पत्र का सवाल है तो यह स्वतंत्रता आंदोलन की एक योजना थी ताकि सावरकर जैसे क्रांतिकारी बाहर आकर अंग्रेज शासन के खिलाफ फिर से सक्रिय हो। वीर सावरकर के योगदान की प्रशंसा पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने भी की। प्रधानमंत्री रहते हुए इंदिरा गांधी ने सावरकर पर डाक टिकट भी जारी किया।