दिल्ली के उत्तम नगर में रहने वाले ओमकार नाथ शर्मा मेडिसिन बाबा के नाम से मशहूर हैं। पिछले करीब 15-16 सालों से घर-घर जाकर ऐसी दवाइयां इकट्ठा करते हैं जो इस्तेमाल नहीं की जा सकती या जिसे लोग फेंक देते हैं। इन एक्स्ट्रा दवाइयों को इकट्ठा करते हैं। इसके बाद बाबा इन दवाइयां को वो उन लोगों तक पहुंचाते हैं ,जिन्हें इसकी जरूरत होती है। उन लोगों की मदद करते हैं जो दवा नहीं खरीद पाते।
दिल्ली के मेडिसिन बाबा की कहानी
मेडिसिन बाबा ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि करीब 15 साल पहले लक्ष्मी नगर में निमार्णाधीन मेट्रो का एक पिलर गिर गया था। इस हादसे में कई लोग घायल हुआ। कुछ की मौत हुई। जब ओमकार घटना स्थल के पास से गुजर रहे थे तो उन्होंने देखा कि घायल हुए लोग गरीब और मजदूर हैं।
घायल लोगों को इलाज के लिए अस्पताल ले गया तो वहां मौजूद डॉक्टर ने घायलों को कहा कि कुछ जरूरी की दवाइयां अस्पताल में खत्म हो चुकी हैं। अगर आपके पास कोई दवाई लाने वाला हो तो बाजार से मंगवा लें। लेकिन सभी घायल गरीब थे। उनके पास इतने तो पैसे नहीं थे कि वो दवा मंगवा सके।
खुद बन गए गरीबों का मसीहा
इसके बाद मेडिसिन बाबा को यह ख्याल आया कि क्यों ना इन लोगों के लिए सस्ते और गरीबों की मदद करने के लिए फ्री में दवाइयां उपलब्ध कराई जाए। तभी से इनका नाम मेडिसिन बाबा पड़ गया। वो घर-घर जाकर जरूरतमंदों के लिए दवाई इकट्ठा करते हैं और फिर डॉक्टर की पर्ची देखकर दवा देते हैं।
घर-घर जाकर मांगते हैं दवा
87 साल की उम्र में भी मेडिसिन बाबा का जज्बा बिल्कुल कम नहीं हुआ है। आज भी उनका जज्बा वैसे ही कायम है। ओमकार आज भी दिल्ली की सड़कों पर जाकर घूम-घूम कर दवाइयां इकट्ठा करते हैं। बढ़ती उम्र की सीमाएं भी उन्हें उनके लक्ष्य से नहीं हिला पाई है। वह खुद दो कमरों के किराए के मकान में रहते हैं, जिसमें से एक उन्होंने मेडिसिन बैंक में तब्दील कर रखा है। उन्होंने एक कमरे में कई सारी अलमारियां रखी हैं जहां पर वह इकट्ठा की गई दवाइयां रखते हैं।
मेडिसिन बाबा हर महीने 5 से 6 लाख की दवाइयां इकट्ठा करते हैं और आश्रम, सरकारी अस्पतालों में मौजूद जरूरतमंद लोगों को मुफ्त में बांटते हैं। ओंकार नाथ की कहानी देशभर के कई नाम ही किताबों ने भी छपी है। छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूल में 10वीं की किताब में भी उनकी कहानी छुपी हुई है।