पुजारियों और ग्रंथियों को वेतन देने की मांग भाजपा में ही उठी
फरवरी में दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव को जीतने के लिए भाजपा राजस्थान वाला फामूर्ला लागू कर सकती है। गत वर्ष नवंबर में राजस्थान में विधानसभा के चुनाव हुए तो भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार की मुफ्त वाली घोषणाएं थी। आमतौर पर भाजपा मुफ्त योजनाओं के पक्ष में नहीं रहती, लेकिन गहलोत की योजनाओं के प्रति लोगों के आकर्षण को देखते हुए चुनावी सभा में स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कहना पड़ा कि भाजपा की सरकार बनने पर अशोक गहलोत की किसी भी योजना को बंद नहीं किया जाएगा।
असल में कांग्रेस के नेताओं और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से बार बार कहा जा रहा था कि भाजपा की सरकार बनने पर मुफ्त की योजनाओं को बंद कर दिया जाएगा। यही वजह है कि भाजपा को भी कहना पड़ा कि उनकी सरकार बनने पर मुफ्त की योजनाएं जारी रहेगी। भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनने के बाद राजस्थान में अभी तक किसी भी मुफ्त की योजना को बंद नहीं किया गया है। चूंकि दिल्ली में भी आम आदमी पार्टी की सरकार की मुफ्त की योजनाओं का व्यापक प्रभाव है, इसलिए दिल्ली में भी भाजपा के नेता कह सकते हैं कि अरविंद केजरीवाल की मुफ्त की योजनाओं को जारी रखा जाएगा।
भाजपा सरकार में मुफ्त की योजनाएं बंद होने के डर को भाजपा के नेता दूर करेंगे। जब दिल्ली वासियों को यह भरोसा हो जाएगा कि मुफ्त का माल भाजपा शासन में भी मिलता रहेगा तो फिर चुनाव में केजरीवाल के समर्थक भी भाजपा को वोट दे देंगे। 31 दिसंबर को केजरीवाल ने दिल्ली के मंदिरों के पुजारियों और गुरुद्वारे के ग्रंथियों को प्रति माह 18 हजार रुपए का वेतन देने की घोषणा की तो अब भाजपा में भी मांग उठने लगी है कि पुजारियों और ग्रंथियों को वेतन देने का वादा किया जाए। भाजपा अब दिल्ली में मुफ्त बिजली पानी देने का वादा भी करने जा रही है। अब भाजपा के नेताओं को भी यह समझ में आ गया है कि मुफ्त की योजनाओं का मतदाताओं पर ज्यादा असर पड़ता है।