पुष्कर में चल रहे त्रिशताब्दी जयंती समारोह के साथ मेरे इस खुलासे पर क्या कहना चाहेंगे उनके वंशज?
बेचान के कागजात मेरे पास
तीर्थ राज पुष्कर में इन दिनों भारत की महान महारानी अहिल्याबाई होल्कर की स्मृतियों को पुनर्जीवित करने के लिए समारोह आयोजित किया गया। शताब्दी समारोह के रूप में। यह हिन्दू समाज के लिए गर्व की बात है। भारतीय स्वयं सेवक संघ की इस पहल का मैं अपने ह्रदय तल से स्वागत करता हूँ।
महारानी अहिल्याबाई पर कुछ भी लिखना शब्दों के परे है वह देश की ऐसी महिला शासिका थीं जिनके जनहित में किए गए कामों को कभी भुलाया नहीं जा सकता। यह हमारे लिए शर्म की बात है कि हममें से बहुत कम लोग उनके बारे में जानते हैं।
यहाँ आज मेरे ब्लॉग का विषय सिर्फ़ उनके गुणगान करना नहीं बल्कि यह बताना है कि उस महान रानी के वंशज! आज उनकी सम्पतियों को किस तरह खुर्दबुर्द करके न केवल उनकी स्मृतियों की बेकदरी कर रहे हैं बल्कि कृत्घ्न होकर स्वार्थ सिद्धि में लगे हुए हैं।
दूर क्यों जाएं? उस महान आत्मा की पुष्कर स्थित बहुमूल्य ऐतिहासिक संपत्तियों को बेच दिया गया है। बेचान के कागजात मेरे पास हैं । कोई भी आपत्ति उठाने वाला व्यक्ति मुझसे मिलकर इन बेचान दस्तावेजों को देख सकता है।
किस तरह अहिल्याबाई जी की पुष्कर स्थित सम्पति का बेचान किया गया इसका खुलासा मैं बाद में करूँगा पहले यह बताना चाहूँगा कि महान शासिका अहिल्याबाई ने अपने राजपाठ के समय क्या क्या जनहितकारी कार्य किए। आइए जानें और उस महान हिंदूवादी महारानी को र्ह्दय से नमन करें।
मालवा की रानी अहिल्याबाई होल्कर ने कई सामाजिक और धार्मिक कार्यों को अंजाम दिया था। उन्होंने भारत के कई तीर्थों पर मंदिर बनवाए। जैसे सोमनाथ! केदारनाथ! बद्रीनाथ! प्रयाग! वाराणसी! पुरी धाम! महेश्वरम! महाबलेश्वर! पुणे! इंदौर ! उडुपी ! गोकर्ण और काठमांडू! तीर्थराज पुष्कर में भी उन्होंने कई ऐतिहासिक निर्माण करवाए। उन्होंने औरंगजेब द्वारा तोड़े गए कई मंदिरों का दोबारा निर्माण करवाया। काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनरुद्धार करवाया। महेश्वर में वस्त्र उद्योग की स्थापना की। घाट बनवाए! कुए और बावड़िया बनवाईं! और मार्ग बनवाए! उन्होंने अपनी राज्य सीमाओं में ही नहीं दूर अन्य राज्यों में भी अन्न सत्र खोले। उनके प्रयासों के मंदिरों में विद्वानों की नियुक्तियां हुईं।
उन्होंने समाज सुधार ! कृषि सुधार! जल प्रबंधन ! पर्यावरण रक्षा! जन कल्याण ! और शिक्षा के क्षेत्र में अद्भुत काम किए।
अहिल्याबाई होल्कर एक बुद्धिमान तेज सोच की शासक के तौर पर याद की जाती रहेंगी।
स्थान अभाव के कारण मैं यहाँ ब्लॉग के मूल विषय पर आ जाता हूँ।
तीर्थ राज पुष्कर में हाल ही अहिल्याबाई के कुछ वंशज पधारे। उनको समारोह में बहुत बड़ा सम्मान दिया गया मगर सच पूछो तो मेरा मन उनके सम्मान को लेकर बड़े भावोद्रेक में है।
मेरे पुष्कर की पावन धरा उनके चरण कमलों के स्पर्श से आल्हादित हो जाती! यदि उनके वंशजों ने तीर्थ राज में उनकी पूज्या अहिल्याबाई जी की स्मृतियों की सार संभाल की होती। मगर यहाँ तो उन स्मृतियों को ट्रस्ट पर काबिज उनके वंशजों द्वारा ही बेच दिया गया।
शर्म की बात है कि जिस महान शासिका ने मालवा की सीमाओं से दूर आकर पुष्कर की पवित्र जमीन पर पुण्य निर्माण करवाए उन्हें उनके किसी उत्तराधिकारी या ट्रस्ट के सदस्यों ने बेच दिया।
जी हाँ, मैं सबूतों के साथ इस गुप्त कारोबार का खुलासा करना चाहता हूँ।
देवी अहिल्याबाई होल्कर की पुष्कर राज में कई सम्पतियाँ हैं। उनमें से 2 महत्वपूर्ण सम्पतियों की जानकारी और दस्तावेज मेरे पास उपलब्ध है इसलिए मैं तो इन दो सम्पतियों की ही बात करना चाहूंगा। मैं चाहता हूँ कि रानी अहिल्या बाई की पुष्कर में अन्य या पूरे देश में स्थित जीर्ण शीर्ण या खुर्द बुर्द कर दी गई और सम्पतियों की जानकारी तीर्थ राज पुष्कर में जुटे उनके परिजनों और विचारकों को जुटानी चाहिए। उन पर मंथन करना चाहिए।
पहली संपत्ति माली मन्दिर के पास हैं जिसके आधे हिस्से में होटल कन्हैया संचालित हैं जो विष्णु गोपाल हेड़ा द्वारा 1984 में मेजर मदनसिंह जगदाले पुत्र श्री माधवराव जगदाले सचिव खासगी डेवी अहिल्या बाई होल्कर चैरेटीज ट्रस्ट मानक बाग इन्दौर द्वारा मुख्तियार आम ट्रस्टीगण से बेचान किया गया । उक्त सम्पति मे से कुछ भाग विष्णुगोपाल हैड़ा द्वारा कल्याणमल प्रजापति पुत्र पेमा जी को 1985 में बेचान कर दिया गया।
दूसरी संपत्ति वराह घाट पर गणेश मन्दिर के पास से सरोवर की सिढ़ियो तक स्थित संपति कमलजीत सिंह सक्रेटरी एवं मुख्यार आम-खासगी देवी अहिल्याबाई होल्कर चैरिटीज ट्रस्ट इंदौर द्वारा पंकज भारद्वाज पुत्र ओमप्रकाश भारद्वाज को सन 2011 में बेचान कर दी गई।
उक्त दोनो संपतियाँ नगरपालिका की आबादी भूमि में स्थित हैं।
एक तरफ उस महान शासिका की स्मृतियों को जीवंत बनाए रखने के उद्देश्य से चार दिवसीय “होल्कर त्रिशताब्दी जयंती समारोह” पुष्कर में मनाया जा रहा है। उस महान महारानी के वंशज आदरणीय उदयराजे भी समारोह की शोभा बढ़ाने के लिए पधार रहे हैं। मगर किसी ने भी इस बात की चिंता नहीं की, कि रानी अहिल्या बाई की सम्पतियों की सार संभाल पर विचार किया जाए। साथ ही उस महान आत्मा को ठेस पहुंचाने वाली घटना पर अफसोस जाहिर किया जाए।
काश! एक बार महाराजा उदयराजे उन मंदिरों की सम्पत्तियों को देखने का कष्ट करते जो ट्रस्ट के रिकॉर्ड पर हैं और उन सम्पतियों को ट्रस्ट पर काबिज उनके ही किसी भाई बंधुओं ने बेच दीं।
यह तो मुझे सिर्फ पुष्कर राज की बेची हुई सम्प्पत्तियों की जानकारी है। देश में कहाँ कहाँ ये कुत्सित कोशिश की गई जांच का विषय है। क्या कोई महान राजनेता इन बेची हुई ऐतिहासिक सम्पत्तियों को पुन: प्राप्त करने के प्रयास करेगा?