ऐप और पोर्टल के माध्यम से ख्वाजा साहब के जीवन और उनके द्वारा दी गई शिक्षाओं के बारे में भी जानकारी हो सकेगी
यह व्यवस्था केंद्र सरकार के अधीन आने वाली दरगाह मैनेजमेंट कमेटी करेगी
पीएम मोदी की ओर से 4 जनवरी को केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू चादर पेश करेंगे
दरगाह में शिव मंदिर होने का मुद्दा धरा रह गया
अंग्रेजी तारीख 1 जनवरी को आसमान में चांद दिखने के साथ ही इस्लामिक कैलेंडर रजब माह की शुरूआत भी हो गई। अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह में रजब माह की पहली तारीख से लेकर छठी तारीख तक ख्वाजा साहब का सालाना उर्स मनाया जाता है। यही वजह है रही कि दरगाह में इस्लामिक परंपराओं के अनुरूप ख्वाजा उर्स की रस्में शुरू हो गई। 813 साल के इतिहास में संभवत: यह पहला अवसर होगा जब वेब पोर्टल और ऐप के माध्यम से दरगाह की रस्मों को लाइव दिखाने की सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है। इस वेब पोर्टल और ऐप की लांचिंग 4 जनवरी को केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय के मंत्री किरण रिजिजू अजमेर में करेंगे।
यानी अब जिस तरह हिंदुओं के धार्मिक स्थलों की आरती और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों का लाइव प्रसारण होता है, उसी प्रकार दरगाह की रस्मों का भी होगा। पार्क इतना ही है कि हिंदुओं के धार्मिक स्थलों की व्यवस्था मंदिर ट्रस्ट के माध्यम से की जाती है जबकि ख्वाजा साहब की दरगाह के वेब पोर्टल और ऐप का जिम्मा केंद्र सरकार के अधीन काम करने वाली दरगाह कमेटी का होगा। चूंकि दरगाह कमेटी अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधीन काम करती है, इसलिए केंद्रीय मंत्री रिजिजू के अजमेर आने को बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
रिजिजू न केवल वेब पोर्टल और ऐप की लॉन्चिंग करेंगे, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उर्स में भेजी गई चादर को ख्वाजा साहब की मजार पर सूफी परंपरा के अनुरूप पेश करेंगे। देश के प्रधानमंत्री की ओर से प्रतिवर्ष उर्स में चादर भेजने की परंपरा है, जिसे मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी गत 11 वर्षों से निभा रहे हैं। रिजिजू को वेबपोर्टल और ऐप लॉन्च करेंगे उसके माध्यम से ख्वाजा साहब के जीवन और उनके द्वारा दी गई शिक्षाओं की जानकारी भी ली जा सकेगी। दरगाह कमेटी ने दरगाह से जुड़े मुस्लिम विद्वानों से जानकारी एकत्रित कर वेब पोर्टल को तैयार किया है।
यहां यह उल्लेखनीय है कि ख्वाजा साहब की दरगाह में खादिम समुदाय और दरगाह के दीवान की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। छह दिवसीय उर्स के दौरान होने वाली धार्मिक महफिल की सदारत दरगाह दीवान जैनुअल आबेदीन ही करते हैं। दरगाह दीवान के महत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दरगाह में आने वाले चढ़ावे के आधे हिस्से के तौर पर दो करोड़ रुपए की राशि प्रतिवर्ष दीवान आबेदीन को दी जाती है। यह राशि खादिमों की संस्था अंजुमन सैयद और शेखजादगान की ओर से दी जा रही है।
दरगाह कमेटी ने ख्वाजा साहब और उनकी शिक्षाओं की जानकारी वेब पोर्टल पर दर्ज करने से पहले दरगाह से जुड़े सभी पक्षों से विमर्श भी किया। ताकि लॉन्चिंग के बाद कोई विवाद न हो। दरगाह के अंदर जायरीन को सुविधाएं उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी भी कमेटी की है। ऐप लॉन्चिंग के बाद दरगाह में तैयार होने वाली देग और कमेटी के गेस्ट हाउस के कमरों की बुकिंग भी आनलाइन हो सकेगी।
मंदिर का मुद्दा धरा रह गया
हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अजमेर की सिविल अदालत में दावा प्रस्तुत कर दरगाह परिसर के सर्वे कराने की मांग की है। अदालत ने केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय, पुरातत्व विभाग और दरगाह कमेटी को नोटिस भी जारी किए है। दरगाह कमेटी ने अपने प्राथमिक जवाब में कहा है कि दरगाह के लिए केंद्र सरकार ने 1955 में एक्ट बना दिया था और इस एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने भी सहमति दी। इसलिए अब दरगाह परिसर का सर्वे नहीं करवाया जा सकता। हालांकि दरगाह कमेटी के माध्यम से केंद्र सरकार ने अपना रुख पहले ही स्पष्ट कर दिया लेकिन अब उर्स के दौरान जिस प्रकार केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू 4 जनवरी को अजमेर आ रहे है, उससे यह साफ हो गया है कि केंद्र सरकार ख्वाजा साहब की दरगाह के मुद्दे पर कोई विवाद खड़ा नहीं करना चाहती है।
हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता और अजमेर में बनी धर्म रक्षा समिति के अध्यक्ष सेवानिवृत्त डीजे अजय शर्मा ने पीएम मोदी से आग्रह किया था कि इस बार ख्वाजा उर्स में चादर न भेजी जाए। दोनों का मानना रहा कि प्रधानमंत्री द्वारा चादर भेजे जाने का असर सिविल अदालत की कार्यवाही पर पड़ेगा। लेकिन इस मांग को दरकिनार करते हुए न केवल चादर को भेजा जा रहा है बल्कि केंद्रीय मंत्री दरगाह के वेबपोर्टल और ऐप को लॉन्च कर रहे हैं। जाहिर है कि केंद्र सरकार की नजर में मंदिर होने का मुद्दा खारिज हो गया है।