भजन सरकार को कम से कम राजस्थान लोक सेवा आयोग और माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष के पद पर तो नियुक्ति करनी ही चाहिए

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अनेक नेताओं के पास दो दो पद है। 70 निगम-बोर्डों में से मात्र 7 पर नियुक्ति हुई है

राजस्थान में भाजपा के कार्यकर्ता लंबे अर्से से राजनीतिक नियुक्तियों का इंतजार कर रहे हैं। विधानसभा के उपचुनाव के बाद तो बेसब्री से इंतजार हो रहा है। लेकिन अब प्रदेश प्रभारी राधा मोहन अग्रवाल ने अपने अंदाज में कहा कि प्रकृति का नियम है पेड़ से पुराने पत्ते गिर जाते हैं और फिर नए पत्ते आते हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में युवाओं की टीम बनाने पर कार्य हो रहा है। भाजपा के कार्यकतार्ओं को राजनीतिक पद कब मिले यह संगठन का आंतरिक मामला है, लेकिन जो पद प्रदेश के आम लोगों से जुड़े हैं, कम से कम उन पर तो नियुक्ति होनी ही चाहिए।

प्रदेश के युवाओं को सरकारी नौकरी देने वाले राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष का पद पिछले चार माह से रिक्त है। एक सदस्य के निधन के कारण सदस्य का पद भी खाली है। यानी अध्यक्ष और सदस्य का पद रिक्त है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ और प्रभारी राधा मोहन अग्रवाल माने या नहीं, लेकिन अध्यक्ष का पद रिक्त होने से आयोग का कामकाज प्रभावित हो रहा है। विधानसभा चुनाव में भाजपा ने आयोग की कार्य प्रणाली को भी मुद्दा बनाया था।

भाजपा ने आयोग में बड़े बदलाव और कामकाज में पारदर्शिता लाने का वादा किया था, लेकिन इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि भाजपा के शासन में भी आयोग के अध्यक्ष का पद चार माह से रिक्त पड़ा है। इसी प्रकार राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष के पद पर तो भाजपा सरकार में नियुक्ति ही नहीं हुई है। कांग्रेस के शासन में डीपी जारौली की बर्खास्तगी के बाद से नियुक्ति नहीं हुई। यानी शिक्षा बोर्ड का जो हाल कांग्रेस के शासन में था, वही भाजपा के शासन में है। मौजूदा समय में अजमेर के संभागीय आयुक्त को बोर्ड के अध्यक्ष पद का अतिरिक्त चार्ज दे रखा है। शिक्षा बोर्ड प्रतिवर्ष दसवीं और बारहवीं के 25 लाख विद्यार्थियों की परीक्षा आयोजित करता है।

बोर्ड ही रीट की परीक्षा भी ले रहा है। स्थायी अध्यक्ष नहीं होने से बोर्ड का भी कामकाज प्रभावित हो रहा है। सीआर चौधरी, ओम प्रकाश भडाना, भागीरथ चौधरी जैसे कई भाजपा नेता है, जिनके पास सरकार और संगठन दोनों में पद है। पिछले कांग्रेस के शासन में 70 निगम-बोर्डों में अध्यक्षों की नियुक्ति की गई, लेकिन एक वर्ष के भाजपा शासन में मात्र 7 बोर्डों में अध्यक्षों की नियुक्ति की हुई है। संभाग स्तर वाले विकास प्राधिकरण के अध्यक्षों के पद पर भी नियुक्तियां नहीं हुई है। मंत्रिमंडल में भी अभी 6 पद खाली है। देखना होगा कि प्रदेश में राजनीतिक नियुक्ति कब तक होती है।

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