तो पाकिस्तान पर भी तालिबान का कब्जा हो जाएगा?

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भारत में भी बैठे है तालिबान के समर्थक
अफगानिस्तान के घरों में खिड़कियों पर रोक। ताकि महिलाएं न दिख सके

पाकिस्तान के हवाई हमले के बाद अफगानिस्तान पर काबिज मुस्लिम कट्टरपंथी संगठन तालिबान के लड़ाकों ने पाकिस्तान की सीमा पर घमासान मचा रखा है। तालिबानियों ने पाकिस्तान की सीमा में घुस कर कई चौकियों पर कब्जा कर लिया है। तालिबानी लड़ाके लगातार पाकिस्तान की सीमा में घुस रहे हैं। तालिबान को पाकिस्तान में इसलिए सफलता मिल रही है कि पाकिस्तान में बड़ी संख्या में तालिबान के समर्थक मौजूद है। पाकिस्तान में बैठे तालिबान समर्थक चाहते हैं कि जिस प्रकार अफगानिस्तान शरिया कानून के तहत चल रहा है, वैसे ही पाकिस्तान भी चले।

हालांकि पाकिस्तानी सेना तालिबान के लड़ाकों का मुकाबला कर रही है, लेकिन यह मुकाबला ज्यादा दिन नहीं हो सकेगा। क्योंकि आर्थिक दृष्टि से पाकिस्तान बेहद कमजोर है। वैसे भी तालिबान के लड़ाके अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना को भगा चुके हैं। तकनीक की दृष्टि से मजबूत होने के बाद भी अमेरिकी सेना तालिबानियों का मुकाबला नहीं कर सकी। अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब तालिबान पूरे पाकिस्तान पर हावी हो जाएगा तो फिर भारत की सीमा पर हालात कैसे होंगे?

भारत की सीमा भी अफगानिस्तान और पाकिस्तान से जुड़ी हुई है। पूर्व में जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया था तो भारत के अनेक मुस्लिम संगठनों ने खुशी जताई थी। यानी भारत में भी तालिबान के समर्थक हैं। मालूम हो कि केरल में मुस्लिम कट्टरपंथी संगठन हमास के समर्थन में रैली हो चुकी है। यदि तालिबान का कब्जा पाकिस्तान पर भी होता है तो यह भारत के लिए चिंता की बात होगी।

खिड़कियों पर रोक

तालिबान का राज किस प्रकार होता है इसका अंदाजा हाल ही में अफगानिस्तान में जारी एक आदेश से पता चलता है। तालिबान की ओर से कहा गया है कि मकान के रसोई आदि में कोई खिड़की नहीं होगी। तालिबान का मानना है कि रसोई, स्नानघर आदि में महिलाओं का काम ज्यादा होता है। तालिबान नहीं चाहता कि मुस्लिम परिवार की महिलाएं खिड़की से नजर आए। जिन पुराने मकानों में खिड़कियां हैं उन्हें भी बंद करवाने के आदेश दिए गए है।

महिलाओं के स्कूल कॉलेज की शिक्षा पर अफगानिस्तान में पहले ही रोक लगा दी है। तालिबान ने अफगानिस्तान में महिलाओं के लिए पहले भी कई प्रतिबंध लगाए हैं। इसके विपरीत धर्मनिरपेक्ष भारत में मुस्लिम महिलाओं को भी पूर्ण स्वतंत्रता है। मुस्लिम परिवारों की लड़कियां भी ईसाई मिशनरी द्वारा संचालित कान्वेंट स्कूल कॉलेज में पढ़ती है। मुस्लिम लड़कियां फिल्मों में भी धड़ल्ले से काम कर रही है। प्राइवेट ही नहीं सरकारी संस्थाओं में भी मुस्लिम महिलाएं कार्यरत है।

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