हालांकि रिटायरमेंट के बाद गुप्ता को मुख्य सूचना आयुक्त और पत्नी बीनू गुप्ता को रेरा का चेयरमैन बनाया गया था
गहलोत ने मुख्यमंत्री रहते राजनीतिक स्वार्थों के खातिर नए संभाग और जिले बनाए
कांग्रेस के शासन ने मुख्य सचिव रहे डीबी गुप्ता ने मौजूदा भाजपा सरकार के उस निर्णय की प्रशंसा की है, जिसमें तीन संभागों और 9 नए जिलों को निरस्त करने का निर्णय लिया गया है। गुप्ता का कहना है कि जो स्थान जिला बनने के योग्य भी नहीं था, उसे अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री रहते हुए संभाग का दर्जा दे दिया।
गहलोत ने मुख्यमंत्री रहते जो तीन नए संभाग और 17 जिले बनाए वे व्यवहारिक नहीं थे। अब जब मौजूदा सरकार ने 9 जिले खत्म कर दिए है, तब सरकार पर वित्तीय भार भी कम पड़ेगा। एक नए जिले को बनाने के लिए कम से कम एक हजार करोड़ रुपए चाहिए। पिछले सरकार ने प्रशासनिक वित्तीय और भौगोलिक परिस्थितियों को देखे बिना ही नए संभाग और जिले बनाने का निर्णय लिया था। राजस्थान के प्रशासनिक क्षेत्रों में डीबी गुप्ता को शांत और सरल स्वभाव का अधिकारी माना गया, इसलिए अब सवाल उठ रहा है कि आखिर गुप्ता ने गहलोत सरकार के खिलाफ बयान क्यों दिया?
जानकार सूत्रों के अनुसार ऐसा बयान देकर डीबी गुप्ता ने अशोक गहलोत से पुराना बदला लिया है। गुप्ता जब प्रदेश के मुख्य सचिव थे, तब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुप्ता की सेवानिवृत्ति से तीन माह पहले उन्हें मुख्य सचिव के पद से हटा दिया था। गुप्ता की सेवानिवृत्ति 30 अक्टूबर 2020 को होनी थी, लेकिन उन्हें जुलाई 2020 में ही हटाकर राजीव स्वरूप को मुख्य सचिव बना दिया।
हालांकि डीबी गुप्ता को संतुष्ट करने के लिए गहलोत ने उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद मुख्य सूचना आयुक्त और उनकी पत्नी बीनू गुप्ता को रेरा का चेयरमैन बनाया, लेकिन गुप्ता इससे संतुष्ट नहीं हुए और अब मौका मिलते ही गहलोत पर हमला कर दिया। गहलोत अब जब अपने फैसलो को सही ठहरा रहे है, तब उनकी सरकार में रहे मुख्य सचिव का बयान गहलोत के विरोध की धार को काम करता है।
गहलोत की समझ पर सवाल
डीबी गुप्ता के बयान के मद्देनजर अब अशोक गहलोत की समझ पर भी सवाल उठ रहे हैं। यह सही है कि गुप्ता को सेवानिवृत्ति से तीन माह पहले मुख्य सचिव के पद से हटाया गया, लेकिन कई आईएएस की वरिष्ठता लांघकर गुप्ता को मुख्य सचिव भी गहलोत ने ही बनाया था। यदि तीन माह पहले मुख्य सचिव के पद से हटाया तो गहलोत ने ही सेवानिवृत्ति के बाद तीन वर्ष के लिए मुख्य सूचना आयुक्त का पद भी दिया। गहलोत ने मुख्यमंत्री रहते उन व्यक्तियों को लाभ पहुंचाया जो उनके प्रति वफादारी नहीं थे। डीबी गुप्ता यदि वफादार होते तो इस तरह भाजपा सरकार में अशोक गहलोत की बुराई नहीं करते।
मालूम हो कि गहलोत ने लोकेश शर्मा को भी अपना वफादार समझते हुए मीडिया सलाहकार नियुक्त किया था, लेकिन अब लोकेश शर्मा भी अशोक गहलोत को जेल भिजवाने के काम में जुटे हुए हैं। लोकेश शर्मा ने कह दिया है कि भाजपा नेताओं के फोन टैपिंग का आॅडियो क्लिप मुख्यमंत्री रहते अशोक गहलोत ने ही दिया था। भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में भाजपा सरकार बने अभी एक वर्ष हुआ है और इस एक वर्ष में अशोक गहलोत के दो प्रमुख वफादार बागी हो कर सामने आए हैें। देखना होगा कि आने वाले दिनों में गहलोत के कितने वफादार बागी होते हैं।