दूदू जिला निरस्त होने से डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा खुश
केकड़ी के भाजपा विधायक शत्रुघ्न गौतम अब मंत्री या संसदीय सचिव बन सकते हैं
28 दिसंबर को राजस्थान में भजनलाल शर्मा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने उन तीन संभागों और 9 जिलों को निरस्त कर दिया, जिन्हें पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने बनाया था। मंत्रिमंडल के फैसले की जानकारी देते हुए कैबिनेट मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि कांग्रेस ने जिस राजनीतिक नजरिए से नए संभाग और जिलों की घोषणा की वह विधानसभा चुनाव में विफल हो गया। नवगठित जिलों में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा।
यानी मंत्री पटेल यह मानते हैं कि नया जिला बनाने के बाद भी कांग्रेस के उम्मीदवार इन क्षेत्रों में चुनाव हार गए। चूंकि नए जिलों से कांग्रेस को कोई राजनीतिक लाभ नहीं हुआ है, इसलिए भाजपा सरकार ने 17 में से 9 जिले खत्म कर दिए हैं। सब जानते हैं कि राजस्थान में गत 25 वर्षों से एक बार कांग्रेस और एक बार भाजपा की सरकार बन रही है। देखना होगा कि वर्ष 2028 में होने वाले विधानसभा चुनाव में नए जिलों को समाप्त करने वाला फैसला भाजपा को कितना फायदा पहुंचाता है। कांग्रेस का तो मानना है कि भाजपा के इस एक फैसले से ही अगली बार कांग्रेस की सरकार बन जाएगी।
डीग और खैरथल बचा
भाजपा सरकार के तीन संभाग और 9 जिले निरस्त करने के पीछे एक तर्क यह भी दिया है कि नवगठित जिले और पुराने जिला मुख्यालय की दूरी बहुत कम है। यह तर्क कितना सही है यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन मौजूदा सबूत बताते हैं कि डीग जिले से भरतपुर जिला मुख्यालय की दूरी मात्र 38 किलोमीटर है। ऐसी ही स्थिति खैरथल और अलवर की है। लेकिन सरकार ने डीग और खैरथल को जिला बनाए रखा है।
सब जानते हैं कि भरतपुर-डीग मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का गृह क्षेत्र है तो खैरथल केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव के अलवर संसदीय क्षेत्र में आता है। माना जा सकता है कि सीएम शर्मा और केंद्रीय मंत्री यादव के कारण डीग और खैरथल जिले बच गए। यदि शर्मा और यादव का राजनीतिक प्रभाव नहीं होता तो डीग और खैरथल से भी जिले का दर्जा छीन लिया जाता।
जानकार सूत्रों के अनुसार खैरथल का जिला मुख्यालय जल्द ही भिवाड़ी को बनाया जा सकता है। असल में औद्योगिक क्षेत्र होने के कारण भिवाड़ी की आबादी साढ़े पांच लाख की है। इतनी आबादी तो अलवर मुख्यालय की भी नहीं है। सूत्रों के अनुसार खैरथल के बजाए भिवाडी को जिला मुख्यालय बनाने पर आम सहमति हो गई है। वैसे भी पुलिस अधीक्षक का पद भिवाड़ी में ही है। अब कलेक्टर को भी भिवाड़ी में बैठने की तैयारी हो गई है। मौजूदा समय में किशोर कुमार खैरथल के जिला कलेक्टर हैं।
बैरवा खुश
कांग्रेस के शासन में जब अजमेर संसदीय क्षेत्र के दूदू को जिला बनाया गया, तब प्रशासनिक और राजनीतिक क्षेत्र में आश्चर्य व्यक्त किया गया, क्योंकि तब दूदू का स्तर ग्राम पंचायत वाला था। सरकार ने रातों रात दूदू को नगर पालिका का दर्जा दिया। लेकिन फिर भी दूदू के आसपास की तहसीलों के नेताओं ने दूदू जिले में शामिल होने से मना कर दिया। तब प्रेमचंद बैरवा विपक्ष में थे और बैरवा ने भी दूदू को जिला बनाने पर नाराजगी जताई। प्रशासनिक दृष्टि से तब दूदू जयपुर ग्रामीण जिले के अधीन आता था। कांग्रेस ने भले ही दूदू को जिला बनाया हो, लेकिन फिर भी कांग्रेस उम्मीदवार बाबूलाल नागर को हार का सामना करना पड़ा। भाजपा उम्मीदवार प्रेमचंद बैरवा की जीत हुई और बैरवा डिप्टी सीएम भी बने, लेकिन डिप्टी सीएम के पद के मुकाबले में दूदू जिले का स्तर बहुत कम था। यहां तक की कि कलेक्टर, एसपी के बैठने के लिए समुचित दफ्तर भी नहीं थे। यही वजह है कि अब जब दूदू से जिले का दर्जा छीन लिया गया है तो बैरवा भी खुश है।
गौतम बन सकते हैं मंत्री
अजमेर जिले के उपखंड रहे केकड़ी को जिला बनवाने में कांग्रेस के तत्कालीन विधायक रघु शर्मा की सक्रिय भूमिका थी। कहा जा सकता है कि रघु शर्मा के राजनीतिक दबदबे के कारण ही केकड़ी को जिले का दर्जा दिया गया। अजमेर के ब्यावर उपखंड को जिला बनाने की मांग वर्षों से हो रही थी। विधायक शंकर सिंह रावत भी पिछले 15 वर्षों से अपने निर्वाचन क्षेत्र को जिला बनाने के लिए संघर्ष कर रहे थे, लेकिन कांग्रेस सरकार ने ब्यावर के साथ साथ अजमेर के केकड़ी उपखंड को भी जिला घोषित कर दिया।
केकड़ी को जिला बनवाने के बाद भी रघु शर्मा विधानसभा का चुनाव हार गए। अब जब जिले का दर्जा समाप्त कर दिया गया है, तब केकड़ी के मौजूदा भाजपा विधायक शत्रुघ्न गौतम की प्रतिक्रिया फिलहाल सामने नहीं आई है। माना जा रहा है कि जिले की एवज में गौतम को मंत्री या संसदीय सचिव का पद दिया जाएगा। अलबत्ता शत्रुघ्न गौतम ने विधायक बनने के बाद नसीराबाद से लेकर केकड़ी तक के मार्ग को फोरलेन में तब्दील करवाने की बड़ी घोषणा सरकार से करवा ली है। गौतम की यह बड़ी राजनीतिक उपलब्धि है।