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अजमेर शहर पर मेरा शोध परख ब्लॉग?
अजमेर शहर! टायर्ड और रिटायर्ड लोगों का शहर है। यह दुखद सत्य है कि यहां संसार के सबसे थके हारे लोग रहते हैं। इतिहास गवाह है कि इस शहर में आखरी मर्द सम्राट पृथ्वीराज हुआ था। उनके बाद इलायची बाई ने गद्दी संभाल ली और आज तक इस शहर पर उनकी ही कृपा बनी हुई है।
इस शहर के लोग फितरत से भिखारी हैं। गरीब नवाज की चौखट पर बैठे बैठे भीख मांगना इनकी दैनिक जरूरत बन चुका है। इस शहर के लोग जन्म जात अकर्मण्य माने जाते हैं। निकम्मे और निठल्ले लोगों का शहर है यह अजमेर।
अपने शरीर पर बैठी मक्खी को उड़ाने के लिए भी लोगों को किसी कृपालु के आने का इंतजार करना होता है। इन सारे अवगुणों के बावजूद हमें अजमेरी होने पर गर्व है। हम बड़े ही गर्व से कहते हैं कि हम अव्वल दर्ज़े के दो तिया छह हैं।
आप भी सोच रहे होंगे कि आज मुझे हो क्या गया है जो अजमेर शहर के लोगों को इतना कोस रहा हूँ।
दरअस्ल जिस तरह महात्मा बुद्ध को बोधि वृक्ष के नीचे बैठने से बोधिसत्व प्राप्त हो गया था उसी प्रकार मुझे भी सुभाष उद्यान के बीच में लगे बबूल के पेड़ के नीचे बैठने के बाद यह अजमेरत्व प्राप्त हुआ है। विदेशी बबूल के नीचे जब बैठा तो लगा कि इस रक्तबीज की भरमार अब पूरे राजस्थान में हो चुकी है। खैर ! जो हुआ वह ठीक हुआ। मुझे देर सवेर सही अपने शहर की सच्चाई का तो पता चल गया वरना इस मुर्दा शहर के लोगों को तो आज तक पता नहीं चला कि हम जिन्दा लाशों की भीड़ बन चुके हैं।
हम आना सागर के रामघाट पर तैर रही किसी लावारिस लाश की तरह है जिसे कोई गोताखोर निकालेगा और पुलिस वाले ठिकाने लगा देंगे। यहां एक और बात बता दूं कि हमारे शहर में भारी मुर्दों को हल्का करने के लिए उनके बाल उखाड़े जाते हैं। जीते जी भले ही हम किसी का कोई बाल उखाड़ने में असमर्थ रहें मगर मरने के पश्चात यह सब करने का गौरव प्राप्त कर लेते हैं।
अजमेर के विकास और उत्थान में भिखारियों का बहुत बड़ा योगदान रहा है। हमारे शहर में संसार के सबसे जियादा भिखारी निवास करते हैं। दुनिया भर के मंगते हमारे शहर में दूर दूर से आते रहते हैं। यही वजह है कि सरकार ने 8 किलोमीटर की परिधी वाले शहर को ए क्लास सिटी का दर्ज़ा दे रखा है। छह लाख भिखारी तो इस शहर की मूल आबादी में शामिल हैं और 2 लाख भिखारी विभिन्न शहरों से आते जाते रहते हैं।
अजमेर में तीन प्रकार के भिखारी पाए जाते हैं।
पहली टाइप उन भिखारियों की है जो कुदरत से भिखारी हैं। दूसरी टाईप के भिखारी वे हैं जो सुविधा सम्पन्न तो हैं मगर उनकी फितरत में मंगतापन जुड़ा है। तीसरे टाईप के भिखारी ऐसे हैं जो गाहे बगाहे मौका देख कर भीख मांगने में सिद्धस्त हैं। वोट मांगने वाले और रिश्वत मांगने वाले भिक्षु इस कैटेगिरी में आते हैं। इनकी नीयत सारे टाईप के भिखारियों से जियादा खराब मानी जा सकती है।
दरगाह और बजरंग गढ़ क्षेत्र में फैले भिखारियों की दुनिया सबसे अलहदा है। अजमेर के इन भिखारियों का स्टैण्डर्ड दुनिया में सबसे अलग है। सबसे जियादा अमीर भिखारी अजमेर में हैं। यहाँ खानाबदोश भिखारियों तक के पास मोबाइल मिल जाते हैं। अकेला अजमेर ऐसा शहर है जहाँ के भिखारी किराए के मकानों में रहते हैं। जिनके घरों में टी वी, फ्रीज, कूलर तक लगे हुए हैं। इस स्टैंडर्ड के अधिकांश भिखारी दरगाह क्षेत्र में भीख मांगने का व्यवसाय करते हैं। जी हाँ ! अकेला अजमेर ऐसा शहर है जहां भीख मांगना भी व्यवसाय के रूप में विकसित हो चुका है।
यहाँ इन्कम टैक्स विभाग यदि भिखारियों से रिटर्न भरने को कहे तो मेरा दावा है कि नौकरी पेशा लोगों से जियादा टैक्स भिखारियों से प्राप्त हो सकता है। यहाँ भीख माफिया भी पिछले दस सालों में तेजी से बढ़े हैं।
आप ताज्जुब करेंगे कि नया बाजार के कई नामी व्यापारी इन भीख माफियायों से मोटी रकम ब्याज पर लेते हैं।
कई भिखारियों के लाखों रुपये ब्याज पर चल रहे हैं। दरगाह इलाके के भिखारी भीख मांगने में मोबाइल का सर्वाधिक प्रयोग करते हैं। कौन जायरीन मोटा आसामी है? उसके कार नम्बर क्या हैं? कौन सी होटल में ठहरा है?ये सारी जानकारियां मोबाइल पर उपलब्ध करवाई जाती हैं। यहाँ भिखारियों की मोबाईल यूनिट काम करती हैं।
शायद ब्लॉग बड़ा हो रहा है । रोकना पड़ेगा। मगर बता दूं कि इंदौर में भी अजमेर जैसे ही हालात हैं। वहां भी आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा भिखारियों का है।
पिछले दिनों वहां भीख मांगने पर रोक लगा दी गयी है। जो लोग आगे नहीं पढ़ना चाहें तो उनके लिए यहाँ ही ब्लॉग खत्म हो चुका है मगर जो पढ़ने से थके नहीं हों वो आगे भी पढ़ सकते हैं।
भारत के सबसे स्वच्छ कहे जाने वाले शहर इंदौर में 1 जनवरी से भिखारियों को पैसे देना अपराध माना जाएगा।
जो भी व्यक्ति भिखारियों को पैसे देगा, उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी। इंदौर पुलिस ने शहर को भिखारियों से निजात दिलाने के लिए यह नियम बनाए हैं। इसको लेकर पुलिस फिलहाल शहर में जागरूकता अभियान चला रही है, जो कि दिसंबर अंत तक चलेगा। 1 जनवरी के बाद अगर व्यक्ति भीख देते हुए पाया गया तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी। केंद्र सरकार के पायलट प्रोजेक्ट के तहत इंदौर को भिखारी मुक्त बनाने की यह कोशिश हो रही है। यह अभियान 10 शहरों में चलाया जा रहा है।
क्या ऐसा कोई अभियान अजमेर में भी चलाया जाना चाहिए? जरा सोचिए और बताईये!