तीन बेटियों का पिता होने पर गर्व जताया था
10 वर्ष तक भारत के प्रधानमंत्री और लंबे अरसे तक वित्त मंत्री, रिजर्व बैंक के गवर्नर, वित्त सचिव आदि के पदों पर रहे डॉक्टर मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की उम्र में 26 दिसंबर की रात को निधन हो गया। अब मीडिया में उनसे जुड़े संस्मरण और घटनाएं प्रमुखता के साथ दिखाई जा रही है। मेरे जीवन का भी एक किस्सा डॉक्टर सिंह से सीधा जुड़ा है। इस घटना को समझने के लिए पाठकों को पहले मेरे फेसबुक पेज पर भभक अखबार में प्रकाशित मेरे खुले पत्र और फिर उस खुले पत्र पर डॉ. मनमोहन सिंह के तत्कालीन मीडिया सलाहकार संजय बारू के पत्र को पढ़ाना चाहिए।
वर्ष 2005 के दीपावली पर्व के अवसर पर प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की ओर से अपील की गई इस बार दीपावली के मौके पर प्रधानमंत्री को मिठाई अथवा कोई उपहार न दिया जाए। पीएम की ओर से अपील की गई कि लोग अपने सामर्थ्य के अनुसार भूकंप पीड़ितों के लिए प्रधानमंत्री राहत कोष में राशि जमा कराए। उस समय मैंने इस अपील पर भभक समाचार पत्र में डॉ. मनमोहन सिंह के नाम एक खुला पत्र लिखा। यह खुला पत्र एक नंबर 2005 के अंक में प्रकाशित हुआ।
मैंने इस पत्र में लिखा कि क्या देश के प्रधानमंत्री को दीपावली के मौके पर इतनी अधिक राशि की मिठाई और उपहार मिलते हैं जिनसे भूकंप पीड़ितों की मदद की जा सकती है। यहां मेरे लिखने का उद्देश्य यह था कि डॉ. सिंह एक ईमानदार प्रधानमंत्री है, इसलिए दीपावली पर महंगी मिठाई और उपहार स्वीकार नहीं कर सकते। मेरा लिखना रहा कि भूकंप पीड़ितों की सहायता को दीपावली पर प्रधानमंत्री की मिठाई और उपहार से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। मेरे खुले पत्र वाले भभक का अंक जब प्रधानमंत्री कार्यालय पहुंचा तो सभी ने सकारात्मक आलोचना कर सराहना की। तब 16 नवंबर 2005 को लिखे पत्र में प्रधानमंत्री के मीडिया सलाहकार डॉ. संजय बारू ने लिखा कि मैं व्यक्त की गई भावनाओं की सराहना करता हंू।
स्वाभाविक है कि इस पत्र को लिखने से पहले डॉ. मनमोहन सिंह को को भी सकारात्मक आलोचना से अवगत कराया गया। डॉ. बारू का पत्र बताता है कि डॉ. मनमोहन सिंह अपनी सकारात्मक आलोचना के भी प्रशंसक रहे। ऐसी ही घटनाएं डॉ. सिंह को महान बनाती है। डॉ. सिंह की पारिवारिक पृष्ठभूमि राजनीति की नहीं रही, लेकिन अपनी ईमानदार, मिलनसारिता और सद्व्यवहार वाली छवि के कारण ही वे भारत जैसे लोकतांत्रिक देश के दस वर्षों तक प्रधानमंत्री रहे।
डॉ. मनमोहन सिंह ने कभी भी नगर पालिका से लेकर लोकसभा तक का चुनाव नहीं लड़ा। वित्त मंत्री बनाए जाने पर 1991 में डॉ. सिंह को पहली बार कांग्रेस ने राज्यसभा का सांसद बनवाया। 2018 में छठी और अंतिम बार डॉ. सिंह राजस्थान से राज्यसभा के सांसद बने। मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी डॉ. सिंह की प्रशंसा की है। डॉ. सिंह ने कई बार कहा कि उन्हें तीन बेटियों के पिता होने का गर्व है। यहां यह उल्लेखनीय है कि डॉ. सिंह के कोई पुत्र नहीं हंै।