भजनलाल का परचम! क्या चंडू खाना फहराएगा

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हा हा हा हा!

चंडू खाने की चार दीवारी से फिर एक खबर अफवाहों के पंख लगा कर उड़ान भर गई। कह दिया गया कि वसुंधरा राजे का ठसका धरा रह गया। उनको मुख्यमंत्री भजन लाल के दर पर सर झुकाना पड़ा। उनसे मिलने उनके घर जाना पड़ा। खबर उल्टी थी जिसे सीधे तौर पर परोस दी गयी।

वसुंधरा जी के पुख़्ता सूत्रों ने राज खोला। बताया कि दिल्ली में उनके निवास पर भजनलाल जी महाराज उनसे मिलने गए थे। वसुंधरा जी उनसे मिलने नहीं गईं थीं। यह भी साफ कर दिया गया कि वसुंधरा जी का कद अभी इतना नहीं गिरा है कि उनको कल के नेताओं के नखरे उठाने के लिए उनके देवरे ढोकने पड़ें।

भजनलाल तो उनके सामने राजनीती में बहुत नादान हैं। जब उन्होंने मोदी और शाह के आगे ही अपना ठसका नहीं छोड़ा तो नए नवेले भजनलाल जी की भला क्या बिसात

मित्रों! चंडू खाने वालों को बताना चाहता हूँ कि दिल्ली के दरबार में वसुंधरा जी नतमस्तक होने नहीं गयीं थीं। पूरे बरस मान मर्दन होता रहा मगर उन्होंने नत मस्तक मुद्रा नहीं अपनाई तो अब वह आखरी वक़्त में क्या खाक मुसलमां होतीं। और एक और बात जो सोशल मीडिया के जरिये परोसी गई कि पूर्व में किसी भी नेता का कद कितना भी बड़ा रहा हो, लेकिन मौजूदा समय में राजनीती के केंद्र बिंदु सी एम शर्मा ही हैं। ये भी चंडू खाने की दीवार तोड़ कर ही बाहर आई खबर है।

जयपुर में खुद मोदी जी की त्योरियां इस बार ढ़ीली पड़ी थीं और उन्होंने खुद वसुंधरा को दिल्ली आने का न्यौता दिया था न कि वसुंधरा जी ने उनसे मिलने की अभिलाषा जाहिर की थी।

इस पर भी पुख़्ता खबर है कि वसुंधरा जी ने नागपुर से दिशा निर्देश व स्वीकृति लेने के बाद ही मोदी से मिलने का फैसला किया था। मोदी जी ने उनसे अकेले में जो बात की उसका ब्यौरा भी है मेरे पास ! मगर उनकी निजता को मैं तोड़ना नहीं चाहता।

जो दिखाई दे रहा है उसे चंडू खाना समझ नहीं पा रहा। वसुन्धरा के दाएं बाएं हाथों को भजनलाल जिम्मेदारियों से नवाज रहे हैं वह अपने आप में दर्शा रहा है कि दिल्ली का दिल वसुंधरा के नाम पर कितना पिघल चुका है।

वसुंधरा के खास सिपहसालार और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष परनामी जी भजनलाल के एक साल की उपलब्धियों को गिनाने अजमेर आ चुके हैं। वसुंधरा जी के खास प्रो. बी पी सारस्वत जी को प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ आए रोज चुनौती पूर्ण दायित्व सौंप रहे हैं। वसुंधरा जी स्वयं भजन लाल की सराहना कर रही हैं। ऐसे में क्या यह समझ पाना मुश्किल है कि वसुन्धरा को लेकर दिल्ली का दिल अब उतना छोटा नहीं रहा।

बदलाव आ रहा है तो वसुंधरा समर्थक विधायकों का मंत्री बनने का सपना भी हिलोरे मार रहा है मगर चंडू खाने की रसोई में जो हांडी पकाई जा रही है उसमें वो नाम नहीं उबल रहे जो सही मायने में उबलने चाहिएं। अजमेर के जिन नेताओं के नाम सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर गारंटी के साथ परोसे जा रहे हैं वो चंडू खाने की खबर का ही हिस्सा है। दोस्तों!अजमेर जिले का कोटा पूरा हो चुका है। केकड़ी और ब्यावर जरूर नए जिले बने हैं और इनका फिलहाल कोई हिस्सा सत्ता में नहीं है।

शत्रुघ्न गौतम और शंकर सिंह रावत जो वसुंधरा के निकट समझे जाते रहे हैं और भजनलाल की गुड़ लिस्ट में भी हैं। इन दोनों के भाग्य का छींका फिर भी टूट सकता है। बाकी सुरेश रावत को हटाए जाने की बात करना तो चंडू खाने की चार दीवारी को तोड़ कर निकाली गई खबर है। यहां बता दूं कि सुरेश रावत और शत्रुघ्न गौतम दोनों वो नाम हैं जो भजनलाल की ही नहीं दिल्ली की भी पसंद हैं।

अब यह बात तो तय है कि और कुछ हो न हो वसुंधरा जी के दिन और बेहतर होने वाले हैं।

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