अरविंद केजरीवाल के लिए इस बार दिल्ली की जंग मुश्किल

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माकन ने धोखेबाज और फजीर्वाल कहा, कांग्रेस के सक्रिय होने से दलित और मुस्लिम वोटों पर आंच

 

आम आदमी पार्टी के संयोजक एवं दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल फ्रॉड किंग यानि धोखेबाजों के सरताज हैं। उन्हें एक शब्द में फजीर्वाल कहा जा सकता है। वो एंटीनेशनल हैं। अरविंद केजरीवाल के लिए यह पवित्र या पतित विचार कांग्रेस नेता अजय माकन के हैं। अब इस बात का कोई पैमाना तो है नहीं की,कैसे अरविंद केजरीवाल को धोखेबाज या फजीर्वाल माना जाए। लेकिन राजनीति में अपनी एंट्री से लेकर अब तक अरविंद केजरीवाल ने जो कहा उस पर कभी भी अमल नहीं किया।

अन्ना हजारे के आंदोलन में कहा था कि कभी भी राजनीति में नहीं आएंगे। लेकिन आम आदमी पार्टी बनाकर राजनीति की। फिर अपने बच्चों की कसम खाकर कहा की दिल्ली में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस का समर्थन नहीं लेंगे। लेकिन 2014 में कांग्रेस के समर्थन से ही सरकार बनाई। फिर कहा कि उनके मंत्री और वह सरकारी सुविधाओं नहीं लेंगे। लेकिन सभी ने उनका भरपूर आनंद लिया और तो और खुद के सीएम हाउस की मरम्मत के नाम पर 50 करोड़ रुपए स्वाहा कर दिए। जेल जाने के बाद भी मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं देने का कीर्तिमान भी उन्हीं का हैं। अगर अजय माकन कह रहे हैं कि अरविंद केजरीवाल जैसे व्यक्ति पर भरोसा नहीं किया जा सकता और वह अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं तो इसमें इन बातों कै देखते कुछ सच्चाई तो नजर आती ही है।

जाहिर है कि माकन के बयान से आम आदमी पार्टी को मिर्ची लगनी ही थी और लगी भी।

दिल्ली की सीएम आतिशी मार्लेना और सांसद संजय सिंह कह रहे हैं कि कांग्रेस 24 घंटे के अंदर माकन के खिलाफ कार्रवाई करें,वरना वह इंडिया गठबंधन से कांग्रेस को अलग करने के लिए विपक्षी दलों से बात करेंगे। सवाल ये है कि कांग्रेस, माकन पर कार्रवाई क्यों करें? क्योंकि ना तो कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने हरियाणा में गठबंधन करके चुनाव लड़ा और ना ही अब दिल्ली में वह चुनाव साथ लड़ रहे हैं। यानी दोनों का मुकाबला भाजपा के साथ-साथ एक-दूसरे से भी होगा। ऐसे में राजनीतिक माहौल में आरोप तो लगेंगे ही और इसके लिए एक पार्टी अपने नेता पर क्यों कारवाई करें? इंडिया ब्लॉक में होते हुए भी जिस तरह हरियाणा में कांग्रेस ने आप का हाथ झटक उससे गठबंधन नहीं किया था,अब दिल्ली में बारी आप की है। जो अकेले सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी।

दरअसल, कांग्रेस के विरोध में आ जाने से अरविंद केजरीवाल की परेशानियां बढ़ गई है और अगर दिल्ली में त्रिकोणीय मुकाबला हुआ, तो भाजपा को इसका लाभ हो सकता है,जो पिछले 10 साल से तमाम कोशिशों और हथकंडों के बावजूद भी दिल्ली की सत्ता से बाहर है।

यह भाजपा को कांटे की तरह चुभता है कि वह उस केंद्र शासित प्रदेश में सत्ता से बाहर है,जहां से केंद्र सरकार चलती है। इसलिए इस बार उसने पूरी ताकत झोंक दी। आए दिन उसके नेता अरविंद केजरीवाल को निशाने पर ले रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस नेताओं के भी निशाने पर आ जाने से अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी सकते में है, क्योंकि कांग्रेस बीजेपी से ज्यादा आम आदमी पार्टी को निशाना बनाए हुए हैं. कांग्रेस को देर से ही सही ये अहसास हो गया है कि जितनी दुर्गति उसकी दिल्ली की राजनीति में आप के साथ गठबंधन करने के बाद हुई है,उससे अच्छी स्थिति में तो वह अकेले रहकर भी आ सकती है। 2013 में आपसे गठबंधन करने के बाद दिल्ली में कांग्रेस लगभग हाशिए पर चली गई है।

कांग्रेसी मानते हैं कि आप का समर्थन करना कांग्रेस की गलती थी।

कांग्रेस के अलग चुनाव लड़ने और ज्यादा सक्रिय होने से अरविंद केजरीवाल को चिंता यह है कि दिल्ली में दलित और मुस्लिम वोट बंट सकते हैं,जो लगभग 30% है और अभी आम आदमी पार्टी के समर्थक माने जाते हैं। कांग्रेस का भी यही वोट बैंक है,जो आपसे गठबंधन करने के बाद अरविंद केजरीवाल की लुभावनी योजनाओं के कारण उनकी गोद में चला गया। दिल्ली की जो 12 सुरक्षित सीटें एससी के लिए उन पर भी आम आदमी पार्टी का ही कब्जा है। अगर दलित और मुस्लिम वोट का कुछ हिस्सा भी कांग्रेस की तरफ मुड़ता है,तो आप की मुसीबत बढ़ सकती है। वैसे भी 10 साल तक सत्ता में रहने के बाद सत्ता विरोधी लहर, खुद अरविंद केजरीवाल,मनीष सिसोदिया, संजय सिंह और सत्येंद्र जैन सहित कई नेताओं की जेल यात्रा, कई घोटाले के आरोपों के कारण आप की छवि को काफी दागदार हो चुकी है। इसीलिए इस बार अरविंद केजरीवाल ने 27 विधायकों के टिकट काट दिए हैं।

इधर, अरविंद केजरीवाल की दो घोषित योजनाओं संजीवनी योजना में दिल्ली में बुजुर्गों का मुफ्त इलाज व महिला सम्मान योजना के तहत महिलाओं को 21 सौ रुपए देने की योजना का ऐलान भी विवाद में आ गया है।

खुद दिल्ली सरकार के मंत्रालयों ने ही इनका खंडन कर दिया। महिला और बाल विकास विभाग तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने अखबारों में विज्ञापन देकर कहा है कि ऐसी कोई सरकारी स्कीम नहीं है। उन्होंने लोगों को इनके लिए कार्ड बनाने के नाम पर व्यक्तिगत जानकारी नहीं देने की भी सलाह दी है। यह भी अपने आप में देश में पहला मामला है, जब सरकार के मंत्रालय ही योजनाओं का खंडन कर रहे हैं।जाहिर है सीएम आतिशी मार्लेना ने इसके लिए भाजपा पर आरोप लगाए हैं। यूथ कांग्रेस ने तो अरविंद केजरीवाल के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी की शिकायत भी कर दी है।

दरअसल अरविंद केजरीवाल की राजनीति लोगों के सामने एक्सपोज हो चुकी हैं।

इसलिए उन्हें सत्ता गंवाने का डर है। इसलिए वह ताबडतोड योजनाओं की घोषणा कर रहे हैं। लेकिन यह तो मानना पड़ेगा की राजनीति के चतुर सुजान अरविंद केजरीवाल अपनी योजनाओं और घोषणाओं से भाजपा कांग्रेस को चौंकाते जरूर हैं। मुफ्त की कई योजनाएं लागू करके दिल्ली की सत्ता पर 10 साल की काबिज अरविंद केजरीवाल इस बार कठिन चुनौती का सामना कर रहे हैं। लेकिन कई बार वह भाजपा व केंद्र सरकार द्वारा उन पर और आप पर बनाए गए दबाव को मुद्दा बनाकर सहानुभूति सटोरने में कामयाब रहे हैं। अगर इस बार भी भाजपा दिल्ली की जंग नहीं जीती है,तो फिर साबित हो जाएगा कि वो अपने विरोध, आरोपों को भी अपने पक्ष में भुना लेते हैं।

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