पाकिस्तान के कट्टरपंथियों के इशारे पर पंजाब में आतंकी वारदात करने वाले सिख युवक अपने गुरु गोविंद सिंह जी के बलिदान से सबक ले

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वीर बाबा फतेह सिंह और जोरावर सिंह को नवाब वजीर खान ने ही दीवार में चिनवाया था
गुरु तेग बहादुर जी की गर्दन भी औरंगजेब ने कटवाई थी। कट्टरपंथी विचारधारा ने ही गुरु गोबिंद सिंह जी के पेट में छुरा घोंपा
26 दिसंबर वीर बाल दिवस पर विशेष

इस बार भी 26 दिसंबर को पूरा देश वीर बाल दिवस श्रद्धा के साथ मनाएगा। वीर बाल दिवस सिखों के अंतिम गुरु गोबिंद सिंह जी के पुत्र जोरावर सिंह और फतेह सिंह की याद में मनाया जाता है। गत वर्ष ही जनवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीर बाल दिवस मनाने की घोषणा की थी। इसके बाद से प्रतिवर्ष सरकारी स्तर पर भी वीर बाल दिवस मनाया जाता है।

ऐसे समारोह में खुद प्रधानमंत्री मोदी भी भाग लेते हैं। इस बार वीर बाल दिवस ऐसे माहौल में मनाया जा रहा है जब 23 दिसंबर को सिख युवक गुरविंदर सिंह, वरिंदर सिंह और जश्नप्रीत का उत्तर के पीलीभीत में एनकाउंटर हो गया। इन तीनों सिखों युवकों पर 18 दिसंबर को पंजाब के गुरदासपुर में पुलिस चौकी पर ग्रेनेड फेंकने का आरोप है। पंजाब पुलिस और यूपी पुलिस के संयुक्त अभियान में ही तीनों सिख युवक मारे गए। पंजाब पुलिस का कहना है कि पुलिस चौकी पर ग्रेनेड फेंकने के बाद युवकों ने पाकिस्तान में बैठे कट्टरपंथी जमात के लोगों से मोबाइल पर बात की।

पाकिस्तानी कट्टरपंथी पंजाब में सिख युवकों के माध्यम से आतंकी वारदात करवा रहे है। जो सिख युवक पाकिस्तानी कट्टरपंथियों के इशारे पर आतंकी वारदात कर रहे हैं उन्हें अपने गुरु गोबिंद सिंह जी और उनके परिवार के बलिदान से सबक लेना चाहिए। कट्टरपंथी विचारधारा के कारण ही गोबिंद सिंह जी को सिख समुदाय में गुरु प्रथा को विराम देना पड़ा। गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने जीवन काल में कह दिया कि उनके निधन के बाद गुरु ग्रंथ साहिब ही गुरु होगा। यही वजह है कि गुरु गोबिंद सिंह सिख समुदाय में अंतिम गुरु कहलाए।

पाकिस्तान के कट्टरपंथियों के इशारे पर खालिस्तान मूवमेंट चलाने वाले सिख युवकों को यह समझना होगा कि गोबिंद सिंह जी के पिता गुरु तेग बहादुर की गर्दन मुगल आक्रमणकारी औरंगजेब ने ही कटवाई थी। इतना ही नहीं इस्लाम धर्म स्वीकार न करने के कारण औरंगजेब के वजीर नवाब वजीर खान ने गोबिंद सिंह जी के छह वर्षीय पुत्र फतेह सिंह और 9 वर्षीय पुत्र जोरावर सिंह को जिंदा दीवार में चिनवा दिया। कल्पना की जा सकती है कि जब दो मासूम पुत्रों को दीवार में जिंदा चिनवाया जा रहा था, तब पिता गोबिंद सिंह जी पर क्या बीत रही होगी। जिस पुत्र के पिता की गर्दन काट दी जाए और दो मासूम पुत्रों को जिंदा दीवार में चिनवा दिया जाए उस परिवार की पीड़ा का अंदाजा लगाने के साथ साथ कट्टरपंथी विचारधारा की क्रूरता को भी समझा जा सकता है।

क्रूरता का उस समय तो हद ही गई जब खुद गुरु गोबिंद सिंह जी को नांदेड़ में इसी विचारधारा ने छुरा घोंप कर मार डाला। जबकि जीवन के अंतिम दौर में गुरु गोबिंद सिंह सिर्फ प्रार्थना करने में ही व्यस्त थे। इतिहास गवाह है कि कट्टरपंथी विचारधारा से मुकाबले करने के लिए ही नानक देव जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। सवाल उठता है कि जिस खालसा पंथ की स्थापना कट्टरपंथी विचारधारा के खिलाफ हुई उसी पंथ के कुछ युवक उसी कट्टरपंथी विचारधारा के मोहरे कैसे बन सकते हैं?

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