शाह का पुतला फूंकने से कांग्रेस में जान नहीं फूँकी जा सकती डोटासरा जी

0
(0)

डायलेसिस पर चल रही राजस्थान कांग्रेस को आत्मबोध हुआ है कि यदि वह अमित शाह के अंबेडकर जी वाले बयान पर व्यायाम करे तो राज्य कांग्रेस की रगों में बहते खून को थोड़ी ताजगी मिल सकती है। यही वजह है कि प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने एक आदेश जारी कर सभी पदाधिकारियों को प्रेस कॉन्फ्रेंस! धरने! प्रदर्शन और पुतले फूंकने के निर्देश दिए हैं।

हो सकता है उनकी नजर में ये काम वेंटिलेशन पर लेटी कांग्रेस में जान फूँक दे मगर पुतले फूंकने से पार्टी में जान फूंकी जा सकती है मैं तो नहीं मानता।

मेरा मानना है कि मुर्दे को सैलून ले जाकर उसके पूरे बाल भी कटवा दिए जाएं तो भी वह हल्का नहीं हो सकता।

उप चुनावों में कांग्रेस ने जिस तरह अपनी जीती हुई सीट्स भाजपा को परोसीं वह सही पूछो तो डोटासरा के कुचयन का ही परिणाम था। यदि टिकिट देने में जरा भी दूरदर्शिता बरती जाती तो कांग्रेस का इतना बुरा हाल नहीं होता।

शाह के पुतले फूंकना अपनी जगह ठीक भी हों तो भी डोटासरा जी को यह सोचना चाहिए कि जब आपके पूरे कार्यकाल में जिÞला मुख्यालयों पर अध्यक्ष और कार्यकारिणी ही नहीं बना सके तो आप क्या खा कर पार्टी में जान फूंक पाओगे?

कांग्रेस की राजस्थान में जितनी दुर्दशा डोटासरा के कार्यकाल में हुई, क्या उसका कोई दूसरा उदाहरण देश में है?

राजस्थान से कांग्रेस की सत्ता किसी हाल में नहीं जाती यदि राज्य में पार्टी संगठित होती। गहलोत ने जिस समय पार्टी की बांगडोर संभाली थी उस वक़्त भाजपा दूर दूर तक उसके मुकाबिल नहीं थी मगर सचिन पायलट और अशोक गहलोत ने जिस तरह मौखिक कुश्तियां लड़ीं! पार्टी को अपने अपने पहलवानों के सहारे से अखाड़ेबाजों के हवाले किया उसी का नतीजा है कि पार्टी आज चौराहे पर फूटी हाँड़ी की तरह हो चुकी है।

यह तो गनीमत है कि भाजपा के नेता भी कांग्रेस का ही अनुसरण कर रहे हैं वरना कांग्रेस का झंडा उठाने वाला नहीं बचता।

आज राज्य में मरजीवड़े कार्यकतार्ओं की कोई कमी नहीं। घर फूंक कर तमाशा देखने वाले समर्पित कार्यकर्ता मौजूद हैं। पार्टी के वर्तमान हालात पर उनको आंसूं बहाते देखा जा सकता है। अतीत के नेताओं को याद करते हैं तो उनका सर अपने आप ऊँचा उठ जाता है। कांग्रेस का हर कार्यकर्ता तमाम जोशो खरोश के पराजित सेना में खड़ा हुआ महसूस करता है।

डोटासरा जी जो अभी अपने आपको राज्य का सबसे बड़ा कांग्रेसी समझते हैं जरा राज्य के विभिन्न हिस्सों में रह रहे आम कार्यकतार्ओं का दिल टटोल कर तो देखें उनको पता चल जाएगा कि उनके पराजित सैनिक अपने सैनापति के रूप में उनको किस तरह से देखते हैं?

अशोक गहलोत अब वह चिराग नहीं रहे हैं जो आँधियों को चुनौती दे सकें। उनका बकाया तेल कितना बचा है इस सत्य को उनके सिवा हर कांग्रेसी जानता है। डोटासरा की नृत्य मुद्रा में तो कांग्रेस नहीं चलाई जा सकती।

अमित शाह ने महान युगदृष्टा बाबा जी अंबेडकर को लेकर जो कहा वह शर्मनाक भी हो तो उसे सियासत की आड़ बनाकर राजनीति नहीं की जा सकती। कभी बाबा जी ने जीते जी सोचा भी नहीं होगा कि उनके जाने के बाद देश के नामाकूल नेता उनके नाम पर सियासती रोटियां सेकेंगे।

समाज को वोटों के लिए बांटने वाले देश के नेता सच पूछो तो देश प्रेमी नहीं देश द्रोही हैं। देश को तोड़ने से शायद अभी भी इन पार्टी बाजों का पेट नहीं भरा है। अब भी वह मजहब की आड़ में वोटों का शिकार करने में नहीं चूक रहे।

महापुरूषों के नाम पर आए दिन जो खुराफाती बयान जारी किए जाते हैं यह इशारा हैं कि देश के गद्दार सीमा पार ही नहीं अंदर भी रहते हैं।

कांग्रेस हो या भाजपा या अन्य कोई भी दल यदि वह अपना मजबूत भविष्य देखना चाहते हैं तो उनको महापुरुषों के जीवन और उनके समर्पित सिध्दान्तों से प्रेरणा लेनी होगी।

बेहतर होता कि डोटासरा जी शाह के बयानों पर धरने प्रदर्शन और पुतले जलाने के निर्देश देने की जगह बाबा अंबेडकर जी के आदर्शों को लेकर समाज के बीच जाते। युवाओं को बताने के लिये स्कूल्स कॉलेजों में जाते और बताते कि किस महापुरुष के लिए हम क्या कर रहे हैं?क्या क्या कह रहे हैं।

अंत मे यही कहूँगा कि पहले कांग्रेसी यह तो जान लें कि अंबेडकर जी हैं क्या?उनके जीवन मूल्यों की जानकारी तो प्राप्त कर लें। मेरा दावा है कि डोटासरा जी जैसे नेता जो खुद को अब तक नहीं समझ पाए वह बाबा जी को क्या खाक समझेंगे।

यहाँ मेरा यह दावा भी की धरना प्रदर्शन और शाह का पुतला फूंकने वाले भी नहीं जानते होंगे कि बाबा अंबेडकर थे क्या?बस डोटासरा ने कह दिया लग जाओ काम पर। और लग गए। काम पर लगते ही अजमेर में जो दृश्य देखने को मिला वो गजब है। वरिष्ठ कोंग्रेसी नेता डॉ श्रीगोपाल बाहेती और रामचंद्र चौधरी की जो बेइज्जती आज कांग्रेसी नेता इंसाफ अली ने पार्टी द्वारा आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया के सामने की वो बेहद शर्मनाक ही कहीं जाएगी। अब इस घटना के बाद डोटासरा जी का कोंग्रेसियो को इस काम पर लगाने का उद्देश्य क्या था ये वो ही जाने।

क्या आप इस पोस्ट को रेटिंग दे सकते हैं?

इसे रेट करने के लिए किसी स्टार पर क्लिक करें!

औसत श्रेणी 0 / 5. वोटों की संख्या: 0

अब तक कोई वोट नहीं! इस पोस्ट को रेट करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

Leave a Comment