बाहेती को आगे बैठा देख भड़के, बदतमीजी से कहा इसे बाहर निकालो,चौधरी को भी कहा, आप साइलेंट रहो
कांग्रेसी कार्यकतार्ओं के आपसी लड़ाई एवं मतभेदों पर सेवादल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालसिंह देसाई की कहीं बात को कांग्रेस नेता इंसाफ अली खान ने उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस में ही अंजाम देकर बता दिया कि वह वाकई अपने राष्ट्रीय नेताओं के निदेर्शों की कितनी पालना करते हैं। मामला सोमवार मंगलवार की सुबह सर्किट हाउस का है। गृहमंत्री अमित शाह के अंबेडकर पर दिए बयान के विरोध में कांग्रेस ने विरोध मार्च का आयोजन किया था। उसके पहले देसाई ने सर्किट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया।
प्रेस कॉन्फेस में वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉक्टर श्रीगोपाल बाहेती के खिलाफ इंसाफ ने अपने मन की भड़ास निकाली। देसाई ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक सवाल के जवाब में कहा था कि कांग्रेस कोई भजन मंडली नहीं है। यह राजनीतिक संगठन है, सबकी अपनी महत्वाकांक्षाएं होती है। भाजपा नहीं है जहां एक की आवाज के सामने लाखों कार्यकतार्ओं की आवाज दब जाती है। कांग्रेस का कोई भी कार्यकर्ता आवाज उठा सकता है। लेकिन इंसाफ इसके पहले ही इस पर अमल भी कर चुके थे।
सर्किट हाउस के हाल में डॉ. बाहेती को आगे बैठा देखकर इंसाफ भड़क गए । उन्होंने बाहेती का नाम लिए बगैर कहा कि यह गद्दार यहां क्या कर रहा है, इसे बाहर निकालो। जो कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ता है। उसको उठाओ यहां से। इस पर कांग्रेस के लोकसभा के प्रत्याशी रहे पूर्व देहात कांग्रेस अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी ने इंसाफ को शांत रहने को कहा,तो उन्होंने चौधरी को साइलेंट रहने की हिदायत देते हुए कहा कि आपको नहीं कह रहा। इस पूरे घटनाक्रम के दौरान खुद को अपमानित महसूस करने के बावजूद डॉ.बाहेती खामोश रहे। लेकिन अचरज की बात यह है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता देसाई ने इंसाफ को बाद में कुछ नहीं कहा।
कभी डॉ. बाहेती के ही करीबी रहे इंसाफ की तब से उनसे राजनीतिक रंजिश हो गई है,जब से उनकी पत्नी नसीम अख्तर पुष्कर से चुनाव लड़ने लगी। 2003 में डॉ. बाहेती पुष्कर के विधायक थे। उसके बाद जब वह उत्तर से चुनाव लड़ने लगे,तो कांग्रेस ने नसीम को टिकट दिया था। 2008 में तो नसीम अख्तर पहला चुनाव तो पुष्कर से चुनाव जीत गई थी। लेकिन उसके बाद लगातार तीन चुनाव वह पुष्कर से हार रही है। पिछला चुनाव तो बाहेती ने पुष्कर से निर्दलीय के रूप में लड़ा था। तब उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान उन्हें वापस कांग्रेस में शामिल कर लिया गया।
इंसाफ को हमेशा ये अंदेशा रहा है कि उनकी पत्नी के पुष्कर में लगातार हारने का एक कारण डॉ.बाहेती भी रहे हैं। जिनका पुष्कर में राजनीतिक प्रभाव रहा है और वो भीतरघात करते हैं। इंसाफ इससे पहले भी दो-तीन बार बाहेती को अपमानित कर चुके हैं।
इंसाफ को बाहेती के कांग्रेस के बागी होकर लड़ने और निष्कासन के बाद फिर पार्टी में शामिल करने को लेकर तो तकलीफ है। लेकिन शायद वह ये भूल गए कि जिन रामचंद्र चौधरी ने लोकसभा का पिछला चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था। वह खुद 2013 में मसूदा से बागी होकर विधानसभा का निर्दलीय चुनाव लड़ चुके हैं। तब उन्हें भी कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया था। लेकिन बाद में वापस कांग्रेस में शामिल कर लिए गए थे। इसी तरह नाथूराम सिनोदिया,कयूम खान, वाजिद चीता सहित और भी कई नेता हैं,जो विधानसभा चुनाव बागी होकर लड़ने के कारण कांग्रेस से निकाले गए। लेकिन बाद में वापस शामिल कर लिए गए। ऐसे में बाहेती को लेकर इंसाफ की तकलीफ कांग्रेसियों की भी समझ से परे हैं। कांग्रेस ही क्यों,बीजेपी सहित अन्य पार्टियों में भी बागी होकर लड़ने वालों को चुनाव के दौरान निष्कासित कर दिया जाता है। लेकिन बाद में सब को वापस शामिल लेते हैं।
हालांकि अजमेर में उत्तर के विधायक विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने बागी ज्ञान सारस्वत को वापस भाजपा में नहीं आने दिया। ये उनके पद और पार्टी में प्रभाव के चलते हुआ। उन्होंने तो चुनाव में विरोध करने वाले कुछ कार्यकताओं क निष्कासन भी रद्द नहीं होने दिया।
बाद में मीडिया से बातचीत करते हुए इंसाफ अली ने आरोप लगाया कि बाहेती कभी कांग्रेस के साथ नहीं रहे। मेरे पास सबूत है कि जब विष्णु मोदी पुष्कर से चुनाव लडे और प्रभा ठाकुर जब अजमेर से लोकसभा का चुनाव लड़ी,तो बाहेती ने उनके खिलाफ काम किया। लेकिन सवाल ये है कि मोदी और ठाकुर को चुनाव लडे 25-30 साल हो चुके हैं,उन्होंने अब तक सबूत सार्वजनिक क्यों नह़ी किए? वह किसका इंतजार कर रहे हैं। वैसे भी नसीम और बाहेती दोनों ही तीन बार चुनाव हार चुके हैं।
ऐसे में अगर वह सोच रहे हैं कि 2028 में होने वाले चुनावों में वह फिर टिकट हासिल कर सकते हैं,तो यह उनकी राजनीतिक नादानी ही होगी। दोनों में 36 के आंकड़े का एक कारण ये भी है कि जहां बाहेती अशोक गहलोत गुट के नेताओं में शुमार होते हैं,वही इंसाफ और उनकी पत्नी नसीम,सचिन पायलट के खेमे में हैं। इन दोनों गुटों में बंटी कांग्रेस में ऊपर से लेकर नीचे तक के नेता इसी तरह आपस में लड़ते-भिड़ते रहते हैं।