भाजपा की प्रदेश कार्यशाला में मुख्यमंत्री भजन लाल ने दिल जीत लिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के कार्यकाल में सरकार विधायक की पार्टी देख कर बजट आवंटित किया करती थी, हम कांग्रेसियों और भाजपाईयों में कोई भेद नहीं करते । निष्पक्ष होकर बजट बांटते हैं। इतनी सुंदर बात तो आज तक किसी मुख्यमंत्री ने नहीं कही।
कितना बड़ा दिल है हमारे भजन लाल जी का! कांग्रेसियों को भी वह दिल खोल कर चाहते हैं! उनके इस महावाक्य की असलियत का पता लगाने के लिए मैंने किशनगढ़ के कांग्रेसी विधायक डॉ विकास चौधरी से बात की।
बातचीत में उन्होंने भजन लाल जी के वक्तव्य और नीयत दोनों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने जो कुछ कहा उससे तो लगा कि भजन लाल जी के खाने के दाँत एक दम अलग हैं।
डॉ विकास चौधरी ने कहा कि भजन लाल जी ने किशनगढ़ को पूरी तरह से नजर अंदाज ही नहीं कर रखा बल्कि स्थानीय दिग्गजों के इशारों पर सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। उनपर गायबाना दवाब डाला जा रहा है कि या तो विधानसभा में सरकार के विपरीत आवाज मत उठाओ वरना किशनगढ़ के विकास पर आर्थिक ब्रेक लगा दिए जाएंगे।
उन्होंने इशारों में बताया कि स्थानीय दिग्गज नेता (इशारा केंद्रीय मंत्री भागीरथ चौधरी की तरफ) जिनकी खुद की सियासत स्थली किशनगढ़ है वह न तो खुद क्षेत्र का विकास कर रहे हैं न मुझे करने दे रहे हैं। अधिकारियों को उन्होंने स्पष्ट इशारा कर रखा है कि हरकाम उनसे पूछ के किया जाए। विधायक को नजर अंदाज करने के लिए उन्होंने हर स्तर पर व्यवस्था कर रखी है। यही वजह है कि जनता के हितों से जुड़े कोई भी काम आसानी से नहीं हो पा रहे।
डॉ विकास चौधरी की बातों से लगा कि अभी कुछ दिनों वह सरकार का रुख देख रहे हैं।यदि उनको निराशा ही हुई तो वह जनता के हितों के लिए सड़क संसद जाने तक नहीं चूकेंगे।
फिलहाल वह निगरानी कर रहे हैं। पिछले दिनों उनके समर्थक जो चुनावों के दौरान भाजपा छोड़ कर कांग्रेस में चले गए थे, पतली गली से उनके पाले से निकलना शुरू हो गए हैं। मंत्री पुत्र सुभाष चौधरी इस दिशा में पूरी तरह से सक्रिय हैं। हाल ही में बहुत से नेता जो विकास रथ पर नजर आते थे अब भागीरथ जी के रथ पर सवार हो गए हैं। अभी तो शुरूआत है । आगे ऐसे लोग जो सत्ता सुख के लिए ही राजनीति में आते हैं सब विकास चौधरी का साथ छोड़ देंगे।
किशनगढ़ के लिए मुख्यमंत्री भजन लाल का क्या सोच है यह कुछ यूँ बताते हैं विकास चौधरी।गहलोत सरकार के समय किशनगढ़ को पी डब्ल्यू डी के लिए दस करोड़ का बजट मिलता था मगर भजन लाल जी ने मात्र पांच करोड़ का दिया है। इसी तरह हर विभाग के बजट में इतनी ही कटौती कर दी है। कैसे होगा औधोगिक नगरी का विकास।
अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त किशनगढ़ के विकास में भागीरथ चौधरी की भूमिका पर सवाल उठाते हुए चौधरी पूछते है कि हवाई अड्डे की तरक्की के लिए उन्होंने क्या कुछ किया?
यह दायित्व तो उनका ही है। विधायक का नहीं। न तो उनके पहले कार्यकाल में कुछ हुआ न इस बार के। अब तो वह केंद्रीय मंत्री हैं। दिल्ली में उनके नाम की तूती बोलती है । यदि वह चाहते तो सच में किशनगढ़ का हवाई अड्डा अब तक राष्ट्रीय मान चित्र पर आ सकता था।
डॉ चौधरी की इस बात का मैं समर्थन करता हूँ कि हवाईअड्डा किसी महानगर के बस अड्डे से भी गया बीता है। जिस मंशा और शिद्दत से संजीव जिंदल जैसे महान इंजीनियर और उनकी टीम ने इस हवाई अड्डे को बनाया था वह मंशा धूल धूसिर हो चुकी है।
मेरा दावा है कि यदि भागीरथ चौधरी की स्थिति में अजमेर का और कोई नेता होता तो यह हवाई अड्डा आज कहाँ का कहाँ होता।
जब भी मंत्री महोदय मीडिया से रूबरू होते हैं तो ऐसा ज्ञान बघारते हैं जैसे वह राजस्थान के सर्वश्रेष्ठ नेता हैं। मैं उनको मान भी लेता अगर उन्होंने कुछ हट कर उपलब्धि हाँसिल की होती।
किशनगढ़ में जो केंद्रीय सरकार की योजनाएं आ रही हैं वह मंत्रालयों की सामान्य योजनाएं हैं जो हर राज्य में प्राथमिकता के अनुसार बांटी जा रही हैं। इनमें किसी स्थानीय नेता के प्रभाव का इस्तेमाल नहीं हो रहा।
यह तो बिल्ली के भाग्य का छींका टूटना था सो माननीय नेता जी को टिकिट मिल गया, सामने खड़े नेता को पार्टी के नेताओं ने ही धोखा दे दिया,आर्थिक प्रबन्धन नहीं हो पाया वरना रामचन्द्र चौधरी ही उनको ले बैठते! भाग्य प्रबल था सो वह मंत्री भी बन गए। खैर!
मुख्यमंत्री भजनलाल जी की बजट वाली बात तो चुटकुले जैसी है। सियासत में इस तरह के जुमलों का उपयोग हर युग मे होता आया है। इस बार भी हो गया।
सुरेंद्र चतुर्वेदी
सुरेन्द्र चतुर्वेदी की साहित्य की कई विधाओं में पचास के करीब पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं | फिल्मी दुनिया से भी सुरेन्द्र चतुर्वेदी का गहरा जुड़ाव रहा है ,जिसके चलते उन्होंने लाहौर, तेरा क्या होगा जानी, कुछ लोग, अनवर, कहीं नहीं, नूरजहां और अन्य तमाम फिल्मों में गीत लिखे, पटकथा लिखीं. पंजाबी, हिंदी, उर्दू आदि कई भाषाओं पर अधिकार रखने वाले सुरेन्द्र चतुर्वेदी अपने ऊपर सूफी प्रभावों के कारण धीरे-धीरे सूफी सुरेन्द्र चतुर्वेदी के रूप में पहचाने जाने लगे. यों तो उन्होंने अनेक विधाएं आजमाईं पर ग़ज़ल में उनकी शख्सियत परवान चढ़ी. आज वे किसी भी मुशायरे की कामयाबी की वजह माने जाते हैं.उनकी शायरी को नीरज, गुलज़ार, मुनव्वर राणा जैसे शायरों ने मुक्तकंठ से सराहा है. गुल़जार साहब ने तो जैसे उन्हें अपने हृदय में पनाह दी है. वे राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा विशिष्ट साहित्यकार सम्मान एवं अन्य कई सम्मानों से नवाजे गए हैं | कानपुर विश्वविद्यालय से मानद डाक्टरेट की उपाधि से विभूषित चतुर्वेदी इन दिनों अजमेर में रह रहे हैं |
चौथी कक्षा में जिंदगी की पहली कविता लिखी | कॉलेज़ तक आते-आते लेख और कविताएं तत्कालीन पत्र पत्रिकाओं में प्रमुखता से प्रकाशित होने लगीं. जैसे धर्मयुग, साप्ताहिक हिंदुस्तान, सरिता, दिनमान, सारिका, इंडिया टुडे आदि |