दीपावली कब है, आज या कल?

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दीपावली

इस साल अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर और 1 नवंबर को पड़ रही है। जिस कारण दीपावली के पूजन को लेकर दुविधा की स्थिति बनी हुई है।

लक्ष्मी पूजन के लिए कौन सा मुहूर्त शुभ?

दीपावली में लक्ष्मी पूजन के लिए सबसे अधिक शुभ समय प्रदोषव्यापिनी अर्थात सूर्यास्त के बाद त्रिमुहूर्त में, कार्तिक अमावस्या को महालक्ष्मी पूजन किया जाता है। दिनांक 31 अक्टूबर 2024 को कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि शाम 03:53 बजे तक है और इस समय अमावस्या तिथि की शुरूआत हो जाएगी। जोकि 1 नवंबर को शाम 06:17 बजे तक रहेगी।

ऐसे में 1 नवंबर 2024 को महालक्ष्मी पूजन के लिए बहुत कम समय बच रहा है क्योंकि शाम को जल्दी ही अमावस्या तिथि समाप्त हो जाएगी। लेकिन 31 अक्टूबर 2024 को अमावस्या की तिथि होते हुए भी लक्ष्मी पूजन नहीं किया जाएगा। इसके लिए शास्त्रों में कुछ प्रमाण दिए गए हैं जोकि इस प्रकार से हैं-

अथाश्विनामावस्यायां प्रातरभ्यंग: प्रदोषे दीपदानलक्ष्मी-परजनादि विहितम्। तत्र सूर्योंदयं व्याप्ति-अस्तोत्तरं घटिकाधिकरात्रिव्यापिनी दर्शे सति न संदेह:। (धर्मसिन्धु)

अर्थ-
कार्तिक अमावस्या को प्रदोष के समय लक्ष्मी पूजन के लिए कहा गया है। उसमें यदि सूर्योंदय से लेकर सूर्यास्त के अनन्तर 1 घड़ी अर्थात 24 मिनट से अधिक रात्रि तक (प्रदोषकाल) अमावस्या हो, तो कुछ संदेह की बात नहीं है।

परदिने एव दिनद्वयेपि वा प्रदोषव्याप्तौ परा। पूर्वत्रैव प्रदोषव्याप्तौ लक्ष्षीपूजनादौ पूर्वां। (धर्मसिन्धु:)

अर्थ-
अगले दिन ही या दोनों दिन प्रदोषव्यापिनी अर्थात अमावस्या हो तो अगली अमावस्या लेनी होगी।

इयं प्रदोषव्यापिनी ग्राह्या। दिनद्धये सत्त्वासत्त्वे परा। (तिथिनिर्णय:)

तिथिनिर्णय (भट्टोजिदीक्षितकृत) पुरुषार्थ चिन्तामणि में लिखा है कि यदि दोनों दिन अमावस प्रदोष का स्पर्श न करे तो दूसरे दिन ही लक्ष्मी पूजन करना चाहिए।

व्याप्तिरिति पक्षे परत्र यामत्रयाधिकव्यापिदर्शे दर्श्पेक्षया प्रतिपद्वृदधिसत्वे लक्ष्मीपूजादिकमपि परत्रैवेत्युक्तम।
एतन्मते उभयत्र प्रदोषाव्याप्ति-पक्षेपि परत्र ‘दर्शस्य सार्धयामत्रयाधिक-व्याप्ति-त्वात्परैव युक्तति भाति। (पुरुषार्थ-चिन्तामणि)

अर्थ-
यदि अमावस्या केवल पहले दिन ही प्रदोषव्याप्त हो और यदि अगले दिन अमावस्या तीन प्रहर से अधिक व्याप्त हो तथा दूसरे दिन भी प्रतिपदा वृद्धगामिनी होकर तीन प्रहर के उपरांत समाप्त हो रही हो, तो लक्ष्मी पूजन अगले दिन ही करें।

इसी प्रकार यदि दोनों दिन अमावस्या प्रदोषव्यापत होने से कल ही लक्ष्मी पूजन युक्तियुक्त

महालक्ष्मी पूजन 1 नवंबर 2024, शुक्रवार को शाम में सूर्यास्त से आधा घंटा पहले और सूर्यास्त के 2 घंटा 24 मिनट के बीच में अर्थात शाम 05:03 बजे लेकर 7:57 बजे के बीच महालक्ष्मी पूजन कर सकते हैं। यदि बिल्कुल ही शुद्ध समय लेना हो तो शाम 5:33 बजे से 6:17 के बीच का उचित रहेगा।

दिवाली पर क्या करें?

कार्तिक अमावस्या यानि दीपावली के दिन प्रात:काल शरीर पर तेल की मालिश के बाद स्नान करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से धन की हानि नहीं होती है।

दिवाली के दिन वृद्धजन और बच्चों को छोड़कर अन्य व्यक्तियों को भोजन नहीं करना चाहिए। शाम को महालक्ष्मी पूजन के बाद ही भोजन ग्रहण करें।

दीपावली पर पूर्वजों का पूजन करें और धूप व भोग अर्पित करें। प्रदोष काल के समय हाथ में उल्का धारण कर पितरों को मार्ग दिखाएं। यहां उल्का से तात्पर्य है कि दीपक जलाकर या अन्य माध्यम से अग्नि की रोशनी में पितरों को मार्ग दिखायें। ऐसा करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
दिवाली से पहले मध्य रात्रि को स्त्री-पुरुषों को गीत, भजन और घर में उत्सव मनाना चाहिए। कहा जाता है कि ऐसा करने से घर में व्याप्त दरिद्रता दूर होती है।

दीपावली में पांच दिन स्त्री प्रंसग न करें ऐसा करने से घर में दरिद्रता का वास होता है।

ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9116089175

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